आनंद मोहन सिंह का जीवन परिचय | Anand Mohan Singh Biography in Hindi

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Anand Mohan Singh News – बिहार भारत का एक ऐसा राज्य है जहां राज्य की तरक्की कम और बाहुबली नेताओं का दबदबा ज्यादा दिखाई देखने को मिला है. फिर चाहे इन बाहुबली नेताओं में सुनील पांडे हो या सूरजभान सिंह या फिर हो अनंत सिंह. माना जाता है कि आज भी इन लोगों के बिहार की जनता में खौफ है. एक समय था जब बिहार के पूर्व सांसद और बाहुबली आनंद मोहन सिंह अपनी बन्दुक के साथ कुर्सी पर बैठे उनकी एक फोटो माया मैगजीन में छपी थी. ये दिसंबर 1991 की बात है और उस मैगजीन के कवर पर लिखा था, ये बिहार है. आनंद मोहन सिंह को 1994 में गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या के आरोप में अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. लेकिन अब बिहार सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया है. वह पिछले 15 सालों से बिहार की जेल में बंद थे. बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने नियम में बदलाव करके आनंद मोहन सिंह को रिहा किया है.

15 सालों से जेल ही सजा काट रहे आनंद मोहन सिंह 27 अप्रैल 2023 को बिहार की सहरसा जेल से रिहा हो गये है. कहा जा रहा है कि यह अब राजनीती मामला हो गया है. आने वाले चुनाव में आनंद मोहन सिंह चुनावी चेहरा बन सकते हैं. आज के इस लेख में हम आपको आनंद मोहन सिंह का जीवन परिचय (Anand Mohan Singh Biography in Hindi) के बारे में पूरी जानकरी देने वाले है.  

Anand Mohan Singh Biography in Hindi

आनंद मोहन सिंह का जीवन परिचय (Anand Mohan Singh Biography in Hindi)

नाम (Name) आनंद मोहन सिंह (Anand Mohan Singh)
जन्म तारीख (Date Of Birth) 28 जनवरी 1954
जन्म स्थान (Place) सहरसा, बिहार, भारत
उम्र (Age) 69 साल (2023)
धर्म (Religion) हिन्दू
जाति (anand mohan singh cast) तोमर राजपूत
व्यवसाय  (Business) राजनेता
पद (Position) पूर्व सांसद
राजनीतिक दल (Political Party) राष्ट्रीय जनता पार्टी
शिक्षा (Educational Qualification) कॉलेज ड्राप आउट
विश्वविद्यालय (University) पटना विश्वविद्यालय
नागरिकता (Nationality) भारतीय
राशि (Zodiac Sign) कुंभ राशी
भाषा (Languages) हिंदी, इंग्लिश     
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) विवाहित
दादा का नाम (Grandfather’s Name) राम बहादुर सिंह
पत्नी का नाम  (Wife Name) लवली आनंद
बच्चे (Children) चेतन आनंद सिंह, सुरभि आनंद, अंशुमन आनंद

कौन है आनंद मोहन सिंह (Who is Anand Mohan Singh)

आनंद मोहन सिंह पूर्व सांसद है. वह स्वतंत्रता सेनानी राम बहादुर सिंह के पोते है. इन्होने बिहार पीपुल्स पार्टी की स्थापना की थी. धीरे-धीरे राजनीति में पांव पसारने के साथ-साथ वह बाहुबली बनते चले गए. वर्ष 1974 में राजनीति में प्रवेश किया और पूर्वी भारत में कई आंदोलनों का हिस्सा रहे. इमरजेंसी के दौरान 2 साल जेल की सजा भी काटी. इनकी पत्नी लवली आनंद भी पूर्व सांसद और विधायक रह चुकी है. वर्ष 1994 में आनंद मोहन सिंह पर 1985 बैच के आईएएस अधिकारी और गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या का आरोप लगा था. साल 2007 में बिहार की अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। फिर मामला पटना उच्च न्यायालय में गया जहां उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. 15 सालों तक जेल में रहने के बाद अब बिहार सरकार ने नियमों में संशोधन करते हुए आनंद मोहन सिंह की जल रिहाई करवा दी है और वह 27 अप्रैल 2023 को सहरसा जेल से रिहा हो गये है.

आनंद मोहन सिंह का जन्म और परिवार (Anand Mohan Singh Birth and Family)

आनंद मोहन सिंह का जन्म 28 जनवरी 1954 को बिहार राज्य के सहरसा जिले के गांव पंचगछिया में तोमर राजपूत परिवार में हुआ था. इनके दादा राम बहादुर सिंह तोमर स्वतंत्रता सेनानी थे. आनंद मोहन की शादी साल 1991 में लवली आनंद (lovely anand mohan) से हुई.

आनंद मोहन सिंह की पत्नी भी राजनीति से ताल्लुक रखती हैं, साल 1994 में उन्होंने अपनी ही बिहार पीपुल्स पार्टी से वैशाली लोकसभा सीट का उपचुनाव लड़ा था. और जीत दर्ज जी. इसके बाद साल 2015 में वह शिवहर विधानसभा क्षेत्र से हिंदुस्तान आवाम मोर्चा पार्टी से टिकट लेकर खड़ी हुईं लेकिन हार गईं.

आनंद मोहन सिंह के तीन बच्चे है चेतन आनंद सिंह, सुरभि आनंद और अंशुमन आनंद. इनके बड़े बेटे चेतन आनंद राष्ट्रीय जनता दल से बिहार के शिवहर से विधायक है.

आनंद मोहन सिंह का राजनीतिक सफ़र (Anand Mohan Singh Political Career)

आनंद मोहन सिंह के दादा राम बहादुर सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिसके चलते उन्होंने महज 20 साल की उम्र में साल 1974 में राजनीति में कदम रखा. उस दौरान वे कॉलेज में पढ़ रहे थे, लेकिन राजनीति का भूत उन पर इस कदर हावी हो गया कि उन्होंने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. साल 1975 और 1977 के बीच इमरजेंसी के दौरान आनंद मोहन 2 साल जेल में रहे.

आनंद मोहन समाजवादी नेता और स्वतंत्रता सेनानी परमेश्वर कुंवर को अपना गुरु मानते थे. आनंद मोहन ने थोड़े ही समय में राजनीति के गुर सीख लिए और राजपूत समाज में अपनी अच्छी पकड़ बना ली.

आनंद मोहन का नाम तब चर्चा में आया जब उन्होंने वर्ष 1978 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के भाषण में एक सभा में काले झंडे दिखाए. और इसके बाद वर्ष 1979-1980 में कोसी क्षेत्र में यादव समाज के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया. और उसके बाद वह लाइमलाइट में आ गये. इसके बाद अवैध गतिविधियों में पहली बार उसका नाम पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज हुआ.

साल 1980 में आनंद मोहन ने समाजवादी क्रांति सेना की स्थापना की. इसे बनाने का उद्देश्य जाति की राजनीति को आगे बढ़ाना और निचली जातियों के उत्थान का विरोध करना था.

वर्ष 1990 में जब लालू प्रसाद यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री का पद संभाला तो उन्होंने मंडल आयोग का समर्थन किया. तो वही आनंद मोहन सिंह ने इस आयोग का विरोध किया. जिसके बाद लालू यादव की सरकार ने उन पर एनएसए, सीसीए और मीसा आदि समेत कई आपराधिक धाराओं में केस दर्ज किया था. इन सबके बावजूद आनंद मोहन कभी पकड़ा नहीं गया.

बृजभूषण शरण सिंह का जीवन परिचय

साल 1990 में आनंद मोहन जनता दल के टिकट पर महिषी विधानसभा क्षेत्र से खड़े हुए और पहली ही बार में जीत दर्ज की. उस समय आनंद मोहन एक कुख्यात साम्प्रदायिक गिरोह का सरगना हुआ करता था और उसकी एक सेना थी जो आरक्षण का समर्थन करने वालों को निशाना बनाती थी.

वर्ष 1993 में आनंद मोहन ने बिहार पीपुल्स पार्टी नाम से अपनी अलग राजनीतिक पार्टी बनाई. इस पार्टी ने साल 1994 में बड़ा उलटफेर किया जब उनकी पत्नी लवली सिंह ने वैशाली लोकसभा सीट से उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इस जीत का असर लालू सरकार पर देखने को मिला. ऐसा कहा जाता है कि उस वक्त बिहार में लालू यादव के सामने आनंद मोहन मुख्यमंत्री के तौर पर छवि दिखने लगी थी. और लोगो का समर्थन मिलने लगा.

साल 1995 में आनंद मोहन की बिहार पीपुल्स पार्टी नीतीश कुमार की समता पार्टी के सामने अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद भी तीन सीट से खड़े होने के बाद इलेक्शन हार गई. और बाद में अपनी पार्टी का नीतीश की पार्टी में विलय कर दिया.

इस दौरान आनंद मोहन जेल में थे और जेल में रहते हुए उन्होंने वर्ष 1996 में शिवहर जिले से लोकसभा का चुनाव लड़ा और इसके साथ ही उन्होंने जीत भी हासिल की. और सांसद बने. इसके बाद इसी सीट से राष्ट्रीय जनता पार्टी से सांसद का चुनाव लड़ा और इस बार भी जीत दर्ज की. इसके बाद इन्होने कॉग्रेस और फिर बीजेपी दोनों का दामन थामा लेकिन इस बार उनकी दाल नही गली.   

आनंद मोहन सिंह को मिली मौत की सजा (Anand Mohan Singh Got Death Sentence)

आनंद मोहन सिंह के दोस्त कौशलेंद्र कुमार की 4 दिसंबर 1994 को हत्या कर दी गई थी. जिसे गैंगस्टर छोटन शुक्ला के नाम से भी जाना जाता था. जिसके बाद कौशलेंद्र कुमार की अंतिम यात्रा में भारी भीड़ उमड़ पड़ी. वहा मौजूद भीड़ के द्वारा 1985 बैच के आईएएस अधिकारी और गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी.के. कृष्णैया मॉब लिंचिंग का शिकार हो गए. भीड़ ने डीएम जी.के.कृष्णैया को कार से बाहर निकाला और फिर गोली मार दी. कहा जाता है कि उस भीड़ को उलसाने का काम आनंद मोहन ने किया था.

इस मामले के चलते साल 2007 में बिहार की निचली अदालत ने आनंद मोहन सिंह को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन जब मामला पटना उच्च न्यायालय पहुंचा तो फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया. आनंद मोहन सिंह का जेल में इतना दबदबा था कि यहां रहते हुए उन्होंने अपनी पत्नी से 2010 और 2014 का चुनाव लडवाया.

आनंद मोहन सिंह पिछले 15 सालों से बिहार की सहरसा जेल बंद थे और अब बिहार की नितीश सरकार ने उन्हें नियमों में संशोधन कर रिहा कर दिया है. 26 अप्रैल 2023 को कागजी कार्रवाई पूरी कर 27 अप्रैल की सुबह आनंद मोहन को जेल से रिहा कर दिया गया.

कहा जाता है कि आनंद मोहन सिंह के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन सबूतों और गवाहों की कमी के कारण आपराधिक मामले हटा दिए गए.

किस नियम के बदलाव के चलते आनंद मोहन सिंह हुए जेल से रिहा

आनंद मोहन सिंह की जेल से रिहाई में कानून के कुछ नियम आड़े आ रहे थे. और नीतीश सरकार ने कानून के नियम में संशोधन करके इस समस्या का समाधान किया. दरअसल बिहार सरकार ने बिहार जेल मैनुअल, 2012 के नियम 484(1) में कुछ बदलाव किये. इस नियम में यह है कि समय से पहले किसी भी कैदी को रिहा नहीं किया जाएगा. लेकिन नीतीश कुमार ने ड्यूटी पर तैनात सरकारी कर्मचारी की हत्या से जुड़ी एक्ट को हटा दिया क्योंकि इसी के तहत ही आनंद मोहन सिंह दोषी थे.

निष्कर्ष :- तो आज के इस लेख में आपने जाना आनंद मोहन सिंह का जीवन परिचय (Anand Mohan Singh Biography in hindi) के बारे में. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.

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