भारत में दहेज प्रथा पर निबंध एवं कविता, इतिहास, उत्पत्ति, कारण, प्रभाव, केस के नियम, बचने के उपाय, शायरी, (Dowry System In India Essay In Hindi, History, Origin, Cause, Effects, Meaning, Act, Quotes)
दोस्तों यह तो हम सभी जानते हैं कि शादी समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह उल्लास और उत्साह का पर्व है, यूं कहें तो यह जीवन की एक नई शुरुआत है. शादी दो दिलों और परिवार का मिलन है सही चल जाये तो जीवन भर निभाए नही तो चंद दिनों में ही सब बिखर जाये. दहेज प्रथा हमारे भारतीय समाज में सदियों पुरानी प्रथाओं में से एक है. यह सबसे अधिक समय से चली आ रही बुराइयों में से एक है, जिससे आज भी कई युवा और परिवार ऐसी सामाजिक बुराई के खिलाफ लड़ रहे हैं.
आज के परिवेश में दहेज प्रथा से निपटने के लिए आम जनता, परिवार और समाज में बड़े पैमाने पर जागरूकता पैदा करने की बहुत आवश्यकता है. ताकि हमारा समाज इसके खिलाफ लड़ सके और देश आगे बढ़ सके. और समाज के खिलाफ और इस तरह की प्रथा का समर्थन करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए और सख्त से सख्त कदम उठाए जाने चाहिए.
आज के इस आर्टिकल में हम आपको भारत में दहेज प्रथा पर निबंध (Dowry System In India Essay In Hindi) के बारे में पूरी जानकारी साझा करने जा रहे हैं.
दहेज क्या है ? (What is Dowry in Hindi)
दहेज वह पैसा है जो दूल्हे के माता-पिता और परिवार द्वारा दुल्हन के माता-पिता और परिवार से शादी से पहले, शादी के दौरान या बाद में मांगा जाता है. इसके अलावा दहेज की मांग किसी तीसरे पक्ष के माध्यम से की जा सकती है, जिसने दो परिवारों को मिलवाया है. दहेज में पैसा, सोना-चांदी, संपत्ति, बाइक, कार, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, फर्नीचर, घर, खाली जमीन, फ्लैट, कपड़े आदि किसी भी प्रकार की वस्तुए शामिल हो सकती हैं. ये सभी चीजें वधू पक्ष के ससुराल वालों द्वारा मांगी जाती हैं. अगर इसे सामान्य भाषा में समझा जाए तो वर या उसके परिवार द्वारा की गई किसी भी प्रकार की मांग, जिसमें विवाह के संबंध में कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष सौदा हो, यह सब दहेज माना जाएगा.
दहेज प्रथा की शुरुआत (History of Dowry System in India in Hindi)
माना जाता है कि दहेज प्रथा की शुरुआत उत्तरवैदिक काल में हुई थी, जो विवाह संस्था में एक औपचारिक रस्म के रूप में प्रारंभ हुई थी. और यह प्रथा कई सदियों से चली आ रही है. ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन समय में राजा अपनी बेटियों को कुछ उपहार देकर विदा किया करते थे, ताकि उनकी बेटियां ससुराल में आराम से अपना जीवन व्यतीत कर सकें.
कुछ समय बाद जब भारत में ब्रिटिश हुकूमत का राज हुआ था, तब उन्होंने महिलाओं के लिए ऐसा कानून अधिनियम बनाया कि उन्हें किसी भी संपत्ति के मालिक होने का हक़ रोक दिया. और इस प्रकार महिलाओं के घर से मिलने वाले उपहारों का अधिकार स्वयं पर न होकर पति और ससुराल वालों पर होने लगा. और यह प्रथा धीरे-धीरे बन गई जहां दूल्हे और उसके परिवार द्वारा दुल्हन के परिवार से उपहारों की मांग की गई और यह पूरी दुनिया में खासकर भारत में व्यापक रूप से फैल गया. और इसने देश में एक गंभीर समस्या के रूप में जन्म लिया. यह प्रथा दक्षिण एशिया के देशों में बहुत लोकप्रिय है, जिसमें हिंदू, जैन, मुस्लिम और सिख जैसे धर्मों की संस्कृतियों में इसका विकास हुआ है.
दहेज प्रथा के कारण (Causes of Dowry System in India in Hindi)
दहेज़ प्रथा सबसे बड़ा और मुख्य कारण है लोभ. लोभ होने के कारण, दूल्हा और उसके परिवार वाले शादी के दौरान दुल्हन के परिवार से दहेज़ के तौर पर मांग करते हैं. और ऐसी आशा व्यक्त करें कि यह पूरी तरह से निजी हो. और खासतौर पर बेटी की विदाई से पहले इस तरह की मांग की जाती है, ताकि बेटी के घर वाले इस मांग को मानने में मजबूर हो जाएं.
सदियों से यह भावना चली आ रही है कि पुत्रों को पुत्रियों से श्रेष्ठ माना जाता है. और यह भावना लोगों में दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है. शादी के बाद महिलाओं को इस तरह रखा जाता है कि वे सिर्फ एक नौकरानी बनकर रह जाती हैं. ससुराल में महिलाओं की स्थिति महज घरेलू भूमिका और बच्चा पैदा करने की मशीन तक सिमट कर रह गई है. आज भी एक कहावत बहुत प्रचलित है “बेटी तो पराया धन है”. शादी से पहले वह अपने पिता पर और शादी के बाद अपने पति पर बोझ होती है. ऐसा हमारे समाज का सोचना है. और एक पिता अपनी बेटी की शादी में यह सोचकर दहेज देता है कि उसके ससुराल वाले उसे परेशान न करें. और यह प्रथा पारंपरिक तरीके से बढ़ती चली गई.
दहेज प्रथा का एक मुख्य कारण धार्मिक तानाशाही भी है. विवाह परंपराओं पर समाज की धार्मिक तानाशाही का दहेज की समस्या की ओर बहुत अधिक झुकाव है. ऐसा ज्यादातर एक ही धर्म के लोगों के बीच होने वाली शादियों में देखा जाता है. और विवाह इसी समाज के भीतर ही करना होता है. और साथ ही लड़के की योग्यता बहुत अच्छी है तो यह लड़के के परिवार के लिए एक अवसर बन जाता है. फिर वे लड़की के परिवार से शादी के साथ-साथ दहेज की मांग करते हैं, अगर मांग मान ली जाती है तो शादी हो जाती है.
समान धार्मिक पृष्ठभूमि के अतिरिक्त सामाजिक स्थिति और जाति के आधार पर भी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं. अंतरजातीय विवाह में यह अक्सर देखने को मिलता है. दूल्हे के परिवार वाले सभी रस्में अपने धर्म के अनुसार करना चाहते हैं. जिसे दुल्हन के परिवार वालों को अनिवार्य रूप से स्वीकार करना होता है. भले ही वे इसके लिए किसी तरह की डिमांड क्यों न करें.
हमारे देश भारत में महिलाओं की सामाजिक स्थिति कमजोर होती जा रही है और इसका कारण दहेज प्रथा है. जहां समाज में महिलाओं को एक वस्तु की तरह समझा जाता है और उन्हें बिना किसी सवाल के कोई भी काम करने के लिए मजबूर किया जाता है. और यह केवल पुरुषों द्वारा ही नहीं बल्कि महिलाओं द्वारा किसी अन्य महिलाओं पर भी किया जाता है.
औपचारिक शिक्षा का अभाव भी दहेज प्रथा को बढ़ावा देने का एक मुख्य कारण है. अधिकांश महिलाओं को जानबूझकर या अनजाने में स्कूल और पढ़ाई से दूर रखा जाता है. इसका कारण या तो समाज और परिवार के डर से उन्हें स्कूल नहीं भेजना है या वे यही सोचते रहते हैं कि लड़कियां स्कूल जाकर क्या करेंगी.
शादी समारोह में देखा जाता है कि लोग दिखावे के लिए लाखों करोड़ रुपये खर्च कर देते हैं. समाज में उनकी उच्च प्रतिष्ठा के लिए, विवाह में अत्यधिक खर्चा और दहेज के रूप में महंगे उपहार दिए जाते हैं. इन सबके कारण समाज में दहेज प्रथा को बढ़ावा मिलता है.
दहेज प्रथा के प्रभाव (Effects of Dowry System in India in Hindi)
ऐसा अक्सर देखने को और सुनने को मिलता है कि दुल्हन के घरवालो से ज्यादा दहेज पाने के चक्कर में दूल्हे के घरवाले किसी भी हद तक चले जाते है. और एक वक्त ऐसा आता है जब ये बात हिंसा तक पहुंच जाती है. इसका दुल्हन पर और दुल्हन के घरवालो पर भी बुरा असर पड़ता है क्योंकि उसे अपने ससुराल वालों द्वारा अपनी प्यारी बेटी के लिए की गई सभी मांगों को पूरा करना है.
दहेज देना और शादी करना महिलाओं के परिवार के सदस्यों के लिए एक बहुत बड़ी आर्थिक देनदारी बन जाता है. देखा जाता है कि लड़कियों को लड़कों से कम समझा जाता है. लड़कियों को लड़कों की तरह शिक्षा नहीं दी जाती, लेकिन लड़कों की शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया जाता है. लड़कियों में शिक्षा की कमी के कारण उन्हें घर का काम करने के लिए मजबूर किया जाता है. और कहा जाता है कि वह अपने ससुराल में जाएगी है, तो ये सभी काम आनी चाहिए. आज भी हमारे देश में बाल विवाह की प्रथा जारी है.
ससुराल द्वारा बहु पर दहेज़ की मांग को लेकर उसे मजबूर किया जाता है. और मांग पूरी न होने पर उस महिला के साथ क्रूर व्यवहार किया जाता है. इसके अलावा महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा, जलाना, प्रताड़ित करना, शारीरिक, भावनात्मक, आर्थिक और यौन हिंसा के साथ-साथ उन्हें डराना-धमकाना किया जाता हैं. एक समय ऐसा भी आता है जब एक महिला को इस हद तक उकसाया जाता है कि वह आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाती है.
कई बार दूल्हे का परिवार शादी के लिए तोहफे की मांग करता है, लेकिन दुल्हन के परिवार वाले इसे पूरा नहीं कर पाते हैं. और इस मांग को पूरा करने के लिए बेटी के पिता को अपना कुछ बेचना पड़ता है या किसी से पैसे उधार लेने पड़ते हैं. इस प्रकार एक बेटी के पिता की छाती पर एक गहरा आर्थिक बोझ पड़ जाता है, जिसे चुकाने में उसका जीवन व्यतीत हो जाता है.
लड़का और लड़की में भेदभाव के चलते कन्या भ्रूण हत्या को काफी बढ़ावा देखने को मिला है. जिसका सीधा असर देश में लड़कियों के अनुपात में कमी आई है.
दहेज प्रथा कानून के बारे में
दहेज के लिए प्राथमिकी दर्ज होने पर धारा 498 ए लागू होने वाली पहली धारा है. इस मामले में पति के अलावा परिवार के अन्य सदस्यों पर भी कार्रवाई की जा रही है. दहेज से जुड़े मामले में 3 साल तक की सजा का प्रावधान है। यह धारा दहेज के लिए ही नहीं बल्कि हर तरह की क्रूरता के लिए भी बनी है.
कई बार महिलाओं को इस हद तक प्रताड़ित किया जाता है कि ज्यादा दहेज मांगने पर उनकी जान भी चली जाती है. इस मामले में दोषी के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 बी के तहत मुकदमा चलता है. और अभियुक्त के दोष सिद्ध होने पर 7 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है.
दहेज निषेध अधिनियम, 1961 को लेन का मूल मकसद दहेज की प्रथा को खत्म करना है. इस एक्ट के अंतर्गत 2 सेक्शन है. धारा 3 और धारा 4. धारा 3 के तहत दहेज लेना और देना अपराध की श्रेणी में आता है. दोषी पाए जाने पर 15 हजार जुर्माना और पांच साल की कैद. वहीं धारा 4 के तहत दहेज मांगने पर 6 महीने से लेकर 2 साल तक की सजा का प्रावधान है.
निष्कर्ष – आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया भारत में दहेज प्रथा पर निबंध (Dowry System In India Essay In Hindi) के बारें में. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.
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