भोपाल गैस त्रासदी की पूरी कहानी | Bhopal Gas Tragedy In Hindi

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भोपाल गैस त्रासदी दिवस, ट्रेजेडी, कांड, निबंध,  कब हुई, गैस नाम, केस स्टडी, अपराधी, मुआवजा, कितने लोग मरे, प्रभाव, वकील  (Bhopal Gas Tragedy In Hindi, Information, Essay, Gas Leaked Name, Disaster, Case, year, Causes, Movie, Photo, Effects, Place )

भारत में हर वर्ष 2 दिसंबर के दिन राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस (National Pollution Control Day) मनाया जाता है और इसे राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस और भोपाल गैस त्रासदी दिवस के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन का मुख्य उद्देश्य प्रदूषण नियंत्रण अधिनियमों और औद्योगिक आपदाओं के बारे में लोगों को जागरूक करना होता है. इस दिन को मनाने का मुख्य मकसद साल 1984 की भोपाल गैस त्रासदी में मारे गए लोगों को याद करना है. साल 1984 में 2 और 3 दिसंबर की रात को भोपाल में स्थित यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री में मिथाइल आइसोसाइनेट जहरीली गैस का रिसाव हुआ था. जिसमे कई हजारों लोग मारे गए थे. भोपाल गैस त्रासदी को दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक प्रदूषण त्रासदियों में से एक माना गया है. जब भोपाल की हवा में जहर घुल रहा था.

आज के इस आर्टिकल में हम आपको भोपाल गैस त्रासदी दिवस (Bhopal Gas Tragedy In Hindi) क्यों मनाया जाता है. भोपाल गैस त्रासदी किसके द्वारा हुई थी और इसमें कितने लोग मारे गए थे. जिस गैस से लोग मारे गए थे वो कौनसी गैस थी. इन सभी के बारें में हम आपको विस्तार से जानकरी देने वाले है.

Bhopal Gas Tragedy In Hindi

भोपाल गैस त्रासदी क्या थी (What Is Bhopal Gas Tragedy In Hindi)

2 दिसंबर 1984 की रात 12 बजे मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड की पेस्टिसाइड प्‍लांट से विषैली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (bhopal gas tragedy gas name in hindi) के रिसाव से पुरे भोपाल की स्वच्छ हवा विषैली हवा में बदल गई. पुरे शहर में मौत का तांडव सा मच गया था. यह भारत की पहली बड़ी औद्योगिक त्रासदी थी. 30 टन से ज्यादा मिथाइल आइसोसाइनेट विषैली गैस के रिसाव ने 25 हज़ार से अधिक लोगों की जान गई और 6 लाख से अधिक लोग विषैली गैस की चपेट में आये. भोपाल गैस त्रासदी को विश्व की सबसे खतरनाक औद्योगिक त्रासदी के रूप में जाना जाता है.

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कब हुई थी शुरुआत प्लांट की (When Did It Start)

साल 1969 में मिथाइल आइसोसाइनेट का उपयोग करके पेस्टिसाइड का उत्पादन करने के लिए यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड प्लांट को मुख्य रूप से बनाया गया था. साल 1976 में भोपाल में ट्रेड यूनियनों के वर्कर ने प्लांट के अंदर प्रदूषण की शिकायत की. इसके एक साल बाद एक वर्कर ने गलती से जहरीली फॉस्जीन गैस को सूंघ लिया और सूंघते ही कुछ ही घंटो में उस वर्कर की मौत हो गई. इस घटना को देखते हुए एक पत्रकार ने प्लांट की तहकीकात करना शुरू किया और भोपाल के अखबार में अपने तहकीकात के आधार पर एक लेख जारी करते हुए कहा – ‘भोपाल के लोगों जागो, तुम एक ज्वालामुखी के किनारे पर हो’.

भोपाल गैस त्रासदी से तक़रीबन दो साल पहले फॉस्जीन गैस के संपर्क में आने से लगभग 45 वर्कर को एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक साल 1983 और 1984 के बीच फॉस्जीन, कार्बन टेट्राक्लोराइड, मिथाइल आइसोसायनेट और मोनो मिथाइलमाइन के कई बार रिसाव हुए थे.

भोपाल गैस त्रासदी के कारण (Bhopal Gas Tragedy Causes)

भोपाल में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के प्लांट में 68 हज़ार लीटर के 3 माइक्रोबायोलॉजिकली प्रभावित जंग (MIC) E610, E611, और E619 स्टोरेज टैंक हैं. भोपाल गैस त्रासदी से महीनों पहले, वर्कर द्वारा एमआईसी में उत्पादन लगातार हो रहा था और टैंकों को भरा जा रहा था.

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किसी भी टैंक को उसकी क्षमता के 50% से ज्यादा भरने की अनुमति नहीं थी और इन टैंक को नाइट्रोजन गैस से दबा दिया गया था. दबाव से तरल एमआईसी को प्रत्येक टैंक से पंप करने की अनुमति दी. लेकिन तीनों टैंकों में से एक टैंक E610 ने नाइट्रोजन गैस के दबाव को सहने की क्षमता खो दी, जिस कारण तरल एमआईसी को इसमें से पंप नहीं किया जा सका.

नियमों के मुताबिक हर टैंक में 30 टन से ज्यादा लिक्विड एमआईसी को नहीं भरा जा सकता था. लेकिन E610 टैंक में 42 टन लिक्विड था. जिसके चलते भोपाल में यूनियन कार्बाइड को अपने इस प्लांट को बंद करना पड़ा

1 दिसंबर 1984 को प्लांट को वापिस शरू करने के बारे में प्रयास किया और खराब टैंक को चालू किया लेकिन प्रयास विफल रहा. तब तक प्लांट के अधिकांश सेफ्टी सिस्टम ख़राब हो चुके थे. 2 दिसंबर 1984 की शाम तक पानी खराब टैंक में घुस गया था, जिसके कारण पानी और मिथाइल आइसोसाइनेट में केमिकल रिएक्शन हुआ और उस रात तक टंकी में दबाव पांच गुना तक बढ़ गया.

आधी रात तक एमआईसी क्षेत्र के मौजूद वर्कर को गैस का असर दिखने लगा और रिसाव भी धीरे धीरे अधिक हो गया. जब तक कुछ निर्णय लिया जाता तब तक अधिक देरी हो चुकी थी। टैंक में केमिकल रिएक्शन गंभीर रूप ले चूका था. एक घंटे के अंदर अंदर लगभग 30 टन एमआईसी टैंक से मिथाइल आइसोसाइनेट निकलकर हवा में घुल गई. अधिकांश भोपाल के लोगो को गैस की शुरूआती रिसाव के बारे में पता चल गया था.

भोपाल गैस त्रासदी की कहानी (Bhopal Gas Tragedy Summary In Hindi)

साल 1984 2 दिसंबर के दिन करीब रात 8:30 बजे भोपाल की स्वच्छ हवा जहरीली हवा में बदलने लगी. रात 12 बजे बाद 3 दिसंबर की सुबह तक पुरे भोपाल में यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से लीक हुई जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (gas tragedy gas name) फ़ैल गई. गैस रिसाव का कारण टैंक संख्या 610 में जहरीली मिथाइल आइसोसायनेट गैस का पानी में मिलना बताया जा रहा है. इससे टैंक में दबाव बना और खुल गया. फिर उसमें से जो गैस निकली, जिसने हजारों लोगों की जान ली और लाखों को अपंग बना दिया.

उस दिन भोपाल की रात वह रात थी जब मौत हवा में घूम रही थी. फैक्ट्री के आस पास कई लोग दूर से आकर झुग्गी-बस्ती में बस गए थे. यहां रहने वाले कुछ लोगों को तो पता ही नहीं चला कि मौत कब आ गई. और उनकी नींद में मौत हो गई. जब गैस समय के साथ साथ धीरे धीरे फैलने लगी और लोगों के घरों तक पहुँचने लगी तभी लोग घबरा गए और अपने घरो से बाहर आ गए. देखते ही देखते नज़ारा मंज़र में बदलने लगा. लोग उल्टिया करने लगे और कुछ लोगो की रास्ते में ही मौत हो गई तो कुछ की हांफते हुए मौत हो गई. कारखाने का अलार्म सिस्टम भी उस समय बंद था.

जैसे जैसे रात बीतती गई हॉस्पिटल में मरीजों की संख्या बढती गई. डॉक्टर को खुद समझ नही आ रहा था आखिर करे तो क्या करे. उस समय किसी को चक्कर आ रहे थे तो किसी की आंखों के आगे अंधेरा छा रहा था. महज दो दिनों में 50 हजार से ज्यादा लोग हॉस्पिटल इलाज कराने पहुंचे थे. जबकि कुछ की मौत रास्ते पर हो गई थी.  

इस खतरनाक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से तक़रीबन 25 हजार से ज्यादा लोग मारे गए और 5 लाख 58 हजार से ज्यादा लोग इसका शिकार हुए. गैस रिसाव से पेड़ और जानवर भी काफी ज्यादा प्रभावित हुए थे. कुछ ही दिनों में आसपास के इलाके के पेड़ बंजर में तब्दील हो गए.

भोपाल गैस त्रासदी के आरोपी मुख्‍य प्रबंध अधिकारी वॉरेन एंडरसन था, जो इस कंपनी के सीईओ थे. यह रातोंरात देश छोड़कर अमेरिका भाग गए थे. फिर कभी भारत वापिस नही आये. एंडरसन का 93 वर्ष की आयु में 29 सितंबर, 2014 को फ्लोरिडा के वेरो बीच में निधन हो गया.

भोपाल गैस कांड की गैस का नाम (Which Gas Leaked In Bhopal Gas Tragedy)

भोपाल गैस त्रासदी में मिथाइल आइसोसायनेट (Methyl Isocyanate) गैस के रिसाव के कारण हुआ था. यह एक रंगहीन तरल पदार्थ है जिसका इस्तेमाल पेस्टिसाइड बनाने के लिए किया जाता है. इस पदार्थ को सुरक्षित तरह से रखने के लिए एमआईसी स्टोरेज टैंक में रखा जाता है.यह केमिकल गर्मी में अधिक ज्यादा रिएक्शन करता है. पानी के संपर्क में आने पर मिथाइल आइसोसायनेट में मौजूद कंपाउंड एक दूसरे के साथ रिएक्शन करते हैं जिससे गर्मी अधिक बढती है. वर्तमान में मिथाइल आइसोसायनेट का बनना पूरी तरह से बंद है. लेकिन सीमित मात्रा में पेस्टिसाइड को बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. पूरी दुनिया में इसका एक ही प्लांट है जो वेस्ट वर्जिनिया में स्थित है.

भोपाल गैस त्रासदी का आरोपी (Bhopal Gas Tragedy Accused)

भोपाल गैस त्रासदी के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन थे जिनकी 29 सितंबर, 2014 को फ्लोरिडा में मौत हो गई है. वारेन कम्पनी के सीईओ थे. पुलिस अफसर अपनी कार से वारेन एंडरसन को विशेष विमान तक एअरपोर्ट छोड़ा जिससे वो अमेरिका चले गये. इस घटना के बाद इसकी जाँच में वारेन एंडरसन सहित यूनियन कार्बाइड प्लांट के 11 वर्कर के खिलाफ केस चला.

निष्कर्ष :- तो आज के इस लेख में हमने आपको बताया भोपाल गैस त्रासदी दिवस (Bhopal Gas Tragedy In Hindi) क्यों मनाया जाता है. भोपाल गैस त्रासदी किसके द्वारा हुई थी और इसमें कितने लोग मारे गए थे. जिस गैस से लोग मारे गए थे वो कौनसी गैस थी. के बारे में. उम्मीद करते है आपको यह जानकरी पसंद आई होगी.  

FAQ

Q : भोपाल गैस त्रासदी कब हुई थी
Ans : 3 दिसम्बर 1984 को

Q : भोपाल गैस कांड कब हुआ था
Ans : 3 दिसम्बर 1984 को

Q : भोपाल गैस त्रासदी कब हुई
Ans : 3 दिसम्बर 1984 को

Q : भोपाल गैस त्रासदी में किस गैस का रिसाव हुआ था
Ans : मिथाइल आइसोसायनेट

Q : भोपाल गैस ट्रेजेडी के समय मुख्यमंत्री कौन थे?
Ans : कांग्रेस के अर्जुन सिंह

Q : भोपाल गैस कांड की गैस का नाम
Ans : मिथाइल आइसोसायनेट

Q : भोपाल गैस कांड में कौन सी गैस लीक हुई थी
Ans : मिथाइल आइसोसायनेट

Q : भोपाल गैस त्रासदी किसके द्वारा हुई
Ans : स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड

Q : भोपाल गैस कांड में कितने लोग मरे थे
Ans : 25 हज़ार लोग

Q : भोपाल गैस त्रासदी किस वर्ष हुई थी
Ans : साल 1984 में

Q : भोपाल गैस त्रासदी के समय राज्यपाल कौन थे
Ans : बी डी शर्मा

Q : भोपाल गैस त्रासदी का जिम्मेदार कौन था?
Ans : वारेन एंडरसन

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