एक देश एक चुनाव क्या है, फायदे, नुकसान, निबंध (One Nation One Election In Hindi, Essay, Article, Disadvantages, Benefits, History, Policy)
One Nation One Election in Hindi – चुनाव लोकतान्त्रिक व्यवस्था को जीवित रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है. विशेषकर भारत जैसे विशाल व पूर्ण लोकतान्त्रिक देश में, क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है. लोकतान्त्रिक देश होने के कारण यहाँ समय समय पर लोक सभा और राज्यों में विधान सभाओ के चुनाव होते रहते है. भारत जैसे देश में चुनाव एक जटिल प्रक्रिया है और इसी कारण इसमें समय समय पर आवश्यक संशोधन व परिवर्तन स्वतंत्रता के बाद से ही होता रहा है. पिछले सात दशक में चुनावी प्रक्रिया को सुचारु, पारदर्शक और निष्पक्ष बनाने हेतु अनेकानेक परिवर्तन व संशोधन हुए है. हाल के वर्षो में मोदी सरकार भी एक बार फिर इस में संसोधन और परिवर्तन की बात कही है. प्रधानमंत्री मोदी ने सुझाव दिया है कि समय और धन की बचत के लिए एक देश एक चुनाव (meaning of one nation one election) का नियम लागू होना चाहिए. इससे देश को बहुत लाभ होगा.
आज के इस आर्टिकल में हम आपको एक देश एक चुनाव क्या है (One Nation One Election in Hindi) के बारें में पूरी जानकारी बताने वाले है.
एक देश एक चुनाव क्या है (One Nation One Election in Hindi)
एक देश एक चुनाव (one nation one election kya hai) इस धारणा पर आधारित है कि देश की लोकसभा और राज्यों के सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होने चाहिए इस धारणा के पक्ष और विपक्ष दोनों में अपने अपने तर्क है कुछ राजनीतिक पार्टियां इसे सही मानती है जबकि कई इसके विरोध में है. प्रधानमंत्री मोदी लम्बे समय से राजनीतिक दलों को इस पर विचार करने का अनुरोध कर रहे है लेकिन क्या यह धारणा व्यवहारिक है? क्या यह भारत जैसे बड़े लोकतान्त्रिक देश में सम्भव है?
एक देश एक चुनाव का इतिहास
भारत में एक देश एक चुनाव (one nation one election) की धारणा कोई नया नहीं है. यह पहले भी हो चुका है. वर्ष 1952, 1957, 1962 और 1967 में देश में लोकसभा और राज्यों के विधानसभाओ के चुनाव एक साथ ही हुए थे. उस समय देश में कांग्रेस का शासन हुआ करता था. केंद्र के अलावा देश के अधिकांश राज्यों में कांग्रेस की ही सरकारें थी. इस तरह भारत में इसका अनुभव पहले से भी रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर केवल पार्टियों को विचार करने के लिए आह्वान किया है. इसे लागु नहीं किया है, जबकि कांग्रेस इस धारणा को स्वतंत्रता के बाद दो दशक तक लागू किये रखा था मगर 1967 के बाद देश में एक नया राजनीतिक स्थिति देखने को मिला.
1968 – 1969 में देश के अनेक राज्यों के सरकारों को केंद्र सरकार के द्वारा बर्खास्त कर दिया गया. इनमें अधिकांश गैर कांग्रेसी राज्य थे. अपनी प्रतिद्वंदियों को रास्ते से हटाने की प्रवृति ने इस परम्परा का अंत कर दिया. इतना ही नहीं 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई थी और फिर तब से लेकर अब तक देश में सभी चुनाव अलग अलग समय पर होने लग गए.
वर्तमान में भारत में चुनाव का समय
भारत में लगभग प्रत्येक वर्ष किसी न किसी राज्य में चुनाव होता है. इसके अलावा सामान्य स्थिति में प्रत्येक पांच वर्ष के अंतराल में लोकसभा का भी चुनाव होता है. इसमें धन और समय लगता है. चुनाव से पहले देश में या चुनावी राज्यों में आचार संहिता भी लागु होता है. इससे काम लगभग ठप्प हो जाता है.
आचार संहिता क्या होती है?
चुनाव से पूर्व एक निश्चित समय के लिए चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए एक आदर्श नियम जारी किये जाते है, इसी दिशा निर्देश को आदर्श आचार संहिता के नाम से जाना जाता है. चुनाव आयोग के द्वारा जब आचार संहिता लागु हो जाता है तो सरकार की शक्ति सीमित हो जाती है. प्रशासन चुनाव आयोग के द्वारा चलाये जाते है सरकार कोई बड़ा घोषणा नहीं कर सकती है क्योकि उससे चुनाव परिणाम प्रभावित होने का भय होता है। भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार, “आदर्श आचार संहिता राजनीतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए निर्धारित किये गए मानकों का एक ऐसा समूह है जिसे राजनीतिक दलों की सहमति से तैयार किया जाता है.”
एक देश एक चुनाव के पक्ष में संसदीय समिति द्वारा पेश किये गए रिपोर्ट (one nation one election meaning in hindi)
यदि देश में एक ही बार में सभी प्रकार के चुनाव ()संपन्न होते है तो इससे न केवल सरकारी खर्च पर कम बोझ पड़ेगा बल्कि इसके साथ ही राजनीतिक दलों के द्वारा लगाए गए खर्च में भी कटौती होगी. इसके साथ ही मतदाताओं की चुनाव के प्रति बढ़ती उदासीनता में भी कमी आएगी और वोट प्रतिशत में वृद्धि होगी. इससे वे लोग भी वोट करने के लिए आगे आएंगे जो वोट करने में उदासीन रहते है.
एक देश एक चुनाव के फायदे (one nation one election advantages)
- एक देश एक चुनाव (one nation one election news) से बार बार चुनावों में खर्च होने वाली धनराशि बचेगी. इसका उपयोग देश की जनता के विकास कार्यो में लगाया जा सकता है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.
- कई देशो में विकास को गति देने के उद्देश्य से यह व्यवस्था अपनाये हुए है.
- देश में होने वाले चुनावों पर होने वाले खर्चो में लगातार बेतहासा वृद्धि हो रही है. इसका अनुमान केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहाँ 2009 के लोकसभा चुनाव में 1100 करोड़ खर्च हुए थे, वही वह 2014 में बढ़कर लगभग 4000 करोड़ हो गए थे, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव अब तक का सबसे खर्चीला था. 7 चरणों और 75 दिनों तक चले इस चुनाव में 60 हजार करोड़ रूपये खर्च हुए थे.
- चुनाव से पूर्व लगने वाले बार बार के आचारसंहिता से देश के काम काज पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है. इस व्यवस्था से इससे भी मुक्ति मिलेगी.
एक देश एक चुनाव के नुकसान (one nation one election disadvantages)
यह सम्भव नहीं है, क्योंकि लोकसभा और राज्य के विधानसभा के चुनाव के मुद्दे अलग अलग होते है. यह व्यवस्था मतदाताओं के व्यवहारों को प्रभावित करेगा. इससे राज्य के चुनावों में भी मतदाता राष्ट्रीय मुद्दों पर ही मतदान करेंगे, जो राज्यों के हित में नहीं है.
इसमें क़ानूनी अड़चन भी है. एक देश एक चुनाव (modi one nation one election) में संवैधानिक बाधा भी है. यदि सरकार को देशभर में एक साथ चुनाव कराने है तो सबसे पहले संविधान में संसोधन करना होगा. राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को लोकसभा के साथ करने के लिए राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को या तो घटाना होगा अथवा उन्हें बढ़ाना होगा, जिसके लिए कुछ आवश्यक संवैधानिक संसोधनो की आवश्यकता है.
देशभर में एक साथ चुनाव कराने के लिए एक बड़ी चुनौती अतिरिक्त EVM और VVPAT मशीनों की भी होगी. यद्यपि चुनाव आयोग इस चुनौती को उठाने की बात स्वीकार कर चुका है.
क्या भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में ‘एक देश-एक चुनाव’ संभव है?
देश में इस समय एक राष्ट्र एक चुनाव (one nation one poll) के लिए लोकसभा की सभी 543 सीटों के साथ साथ देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशो की सभी 4126 सीटों पर एक साथ चुनाव कराने होंगे. यह चुनाव आयोग के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती होगी. वर्तमान में 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के विधानसभाओ का कार्यकाल लोकसभा से अलग चल रहा है. इस परिस्थिति में उनका चुनाव तभी सम्भव हो सकता है, जब वहां समय से पहले ही चुनाव कराया जाएं अथवा उनका कार्यकाल ही बढ़ा दिया जाएं. दूसरी ओर वर्तमान समय में भारत की जनसंख्या विस्फोटक स्थिति में पहुंच चुकी है. 2019 में लोकसभा चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 91 करोड़ थी, जबकि 2024 में यह बढ़कर 100 करोड़ से पार कर जाएगी. अब इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं को एक समय में चुनाव में शामिल करना अगर असम्भव नहीं है तो आसान भी नहीं है.
निष्कर्ष- आज के इस लेख में हमने आपको बताया एक देश एक चुनाव क्या है (One Nation One Election in Hindi) के बारें में. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.
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