अविश्वास प्रस्ताव क्या है | No Confidence Motion In Hindi

Rate this post

अविश्वास प्रस्ताव क्या है, नियम, अर्थ, परिणाम, कब लाया गया, पहली बार कब आया (No Confidence Motion In Hindi, Avishwas Prastav Kya Hota Hai, How Many Times, Meaning, Upsc, News, Result)

No Confidence Motion In Hindi – लोकतंत्र में जनता की बहुमत वाली सरकार होती है. बहुमत के आधार पर ही सरकार बनायीं जाती है. सरकार के पास जब तक बहुमत होती है, तब तक वह सत्ता में बनी रहती है. बहुमत खोते ही उसे सत्ता से बाहर होना पड़ता है. यही लोकतांत्रिक सरकार का नियम है. इस प्रकार कोई भी सरकार तभी तक सत्ता में बनी रह सकती है. जब तक उसके पास सदन में अथवा विधानसभा में बहुमत हासिल है. इसी बहुमत की परीक्षा के लिए विपक्ष के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है. अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से विपक्ष यह पता लगाता है कि सरकार के पास है बहुमत है अथवा नहीं है.

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले है अविश्वास प्रस्ताव क्या है  (No Confidence Motion In Hindi) के बारें में. 

No Confidence Motion In Hindi

अविश्वास प्रस्ताव क्या है (What Is The No Confidence Motion In Hindi)

अविश्वास प्रस्ताव एक संसदीय प्रक्रिया है. इसके द्वारा विपक्षी पार्टी या पार्टियों का समूह चुनी हुई सरकार के विरोध में आवाज उठाती है और उस पर संसद में वोटिंग रखी जाती है. यदि प्रस्ताव के पक्ष में अधिक मत पड़ते है तो सरकार को त्यागपत्र देना पड़ता है. लेकिन अविश्वास प्रस्ताव लाने की भी एक संसदीय प्रक्रिया होती है और विपक्ष को उसी प्रक्रिया के तहत अपना प्रस्ताव लाना होता है.

अविश्वास प्रस्ताव नियम (No Confidence Motion Rules In India In Hindi)

अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया ये है कि सबसे पहले विपक्ष को अथवा विपक्षी गठबंधन को लोकसभा के अध्यक्ष को इसकी लिखित सूचना देनी होती है. इसे स्वीकृति तब मिलती है जब उस प्रस्ताव के पक्ष में कम से कम 50 सदस्य समर्थन कर रहे होते है. बाद में यदि स्पीकर उसे स्वीकार कर लेता है तब लोकसभा अध्यक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले दल अथवा गठबंधन के किसी सांसद को सदन में उसे पेश करने के लिए कहता है. लेकिन प्रस्ताव पेश करने से पहले भी एक प्रक्रिया होती है और वह है चर्चा. संसद में चर्चा को महत्वपूर्ण बिंदु माना जाता है. इसलिए प्रस्ताव के 10 दिनों के भीतर चर्चा करानी होती है.   

संसद में अविश्वास प्रस्ताव (Avishwas Prastav Kya Hai In Hindi) पर बहस प्रायः दो से तीन दिन तक चलती है. किसको कितने देर तक बोलना है इसकी समय सीमा अध्यक्ष के द्वारा तय किया जाता है. विपक्ष के प्रमुख नेताओ को बोलने के लिए अधिक समय दिया जाता है क्योंकि यह प्रस्ताव उन्ही की ओर से लाया जाता है. प्रायः विपक्ष के प्रमुख नेताओ को बोलने के लिए 30 मिनट तो दूसरे अन्य नेताओ को दस-दस मिनट तक का समय निश्चित किया जाता है लेकिन प्रधानमंत्री को इस समय सीमा से बाहर रखा गया है और वे तब तक बोल सकते है जब तक उनकी इच्छा है. इसपर लोकसभा अध्यक्ष उन्हें रोक नहीं लगा सकता है.

लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की मंजूरी

अविश्वास प्रस्ताव को नियम 198 के तहत सदैव लोकसभा में ही पेश किया जाता है, राज्य सभा में नहीं. इसका कारण यह है कि संविधान के अनुच्छेद – 75  के अनुसार केंद्रीय मंत्रिमंडल (जिसमें प्रधानमंत्री भी सम्मिलित होते है) लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है. अब यही कारण है अविश्वास प्रस्ताव सदैव लोकसभा में ही पेश होता है.

अविश्वास प्रस्ताव की चर्चा के बाद मतदान

चर्चा के बाद अध्यक्ष वोटिंग करा सकता है अथवा वह अपने स्वविवेक का प्रयोग कर सकता है.  लेकिन ऐसी स्थिति में प्रायः वोटिंग ही होती है. अगर सदन में 51% मतदान अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में होता है तब मान लिया जाता है कि सरकार अल्पमत में आ गई है. ऐसी स्थिति में सरकार को बहुमत साबित करना होता है अथवा विपक्ष ही सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कह सकता है. यदि सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाती है तब उस स्थिति में प्रधानमंत्री को त्यागपत्र देना होता है और प्रधानमंत्री के त्यागपत्र के साथ ही सरकार गिर जाती है.

अविश्वास प्रस्ताव कब लाया जाता है?

अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष का एक ब्रह्मास्त्र है. विपक्ष यह तब लाता है जब उसे लगता है कि सरकार के पास सत्ता में बने रहने के लिए आवश्यक बहुमत नहीं है अर्थात सरकार सदन का विश्वास खो चुकी है. ऐसी स्थिति में विपक्षी पार्टी अथवा पार्टियां सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाती है.

संसद में पहला अविश्वास प्रस्ताव कब लाया गया

भारत के इतिहास में किसी चुनी हुई सरकार के विरोध में पहला बार अविश्वास प्रस्ताव साल 1963 में जे बी कृपलानी (First Time No Confidence Motion In Indian Parliament) ने लाया था. यह अविश्वास प्रस्ताव तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सरकार के विरोध में लाया गया था. हालांकि इससे नेहरू सरकार को कोई हानि नहीं हुई थी, क्योकि इस प्रस्ताव के पक्ष में केवल 62 मत ही पड़े थे, जबकि विरोध में 347 मत पड़े थे.

मोदी सरकार के विरुद्ध संसद में अविश्वास प्रस्ताव

मोदी सरकार के विरुद्ध संसद में अब तक दो बार अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion Modi Government In Hindi) लाये जा चुके है, लेकिन दोनों बार इससे मोदी सरकार को कोई हानि नहीं हुई क्योकि विपक्ष के पास संख्याबल की कमी थी. मोदी सरकार के विरुद्ध पहला बार 2018 में और दूसरा बार 2023 में अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion Voting Results 2023) लाया गया.

अब तक कितने बार अविश्वास प्रस्ताव लाये गए

संसद में चुनी हुई सरकार के विरुद्ध अब तक कुल 28 बार अविश्वास प्रस्ताव (How Many Times No Confidence Motion In India) लाये जा चुके है. जिनमे कई बार इसके कारण सरकार गिर भी चुकी है जबकि कई बार विश्वास प्रस्ताव की मत प्रक्रिया से पहले ही सरकार अपनी स्थिति देखकर त्यागपत्र भी दे चुकी है. पर कई बार पर्याप्त संख्या बल के कारण अविश्वास प्रस्ताव से सरकार को कोई हानि नहीं पहुंच पायी, जैसे अगस्त, 2023 में मोदी सरकार के विरुद्ध विपक्ष के द्वारा लाये गए अविश्वास प्रस्ताव से मोदी सरकार को कोई भी हानि नहीं हुई.  

अस्सी के दशक के पहले और बाद के अविश्वास प्रस्ताव

अस्सी के दशक से पहले और बाद के समय में आने वाले अविश्वास प्रस्ताव (Motion Of No Confidence) में थोड़ा अंतर है. राजनीति के अच्छे जानकार यह मानते है कि अस्सी के दशक से पहले के अविश्वास प्रस्ताव सरकार गिराने के बदले प्रतीकात्मक विरोध का प्रतिक होता था, जबकि समय के साथ इसमें बदलाव आता चला गया. बाद के दशक में गठबंधन सरकारे आने लगी और फिर इस हथियार का एकमात्र उद्देश्य सरकार को सत्ता से बेदखल करना ही रह गया.

अविश्वास प्रस्ताव से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

रोचक तथ्य यह है अब तक सबसे अधिक बार इंदिरा गांधी के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाये गए. उनके विरुद्ध कुल 15 बार अविश्वास प्रस्ताव लाये गए थे, जबकि उन्ही के विपरीत कांग्रेस की मनमोहन सरकार थी. मनमोहन सरकार के दो टर्म के दौरान अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाये गए थे. जबकि अविश्वास प्रस्ताव के बाद हुए वोटिंग में सबसे अधिक काटें की टक्कर 1993 में कांग्रेस की नरसिंहा राव सरकार को झेलनी पड़ी थी. प्रस्ताव के विरोध में 265 मत तो पक्ष में 251 मत पड़े थे.

निष्कर्ष :- तो आज के इस लेख में हमने आपको बताया अविश्वास प्रस्ताव क्या है  (No Confidence Motion In Hindi) के बारे में. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.

FAQ

Q : भारत में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव कब लाया गया
Ans : भारत में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव 1963 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ आया था.

Q : अविश्वास प्रस्ताव किस सदन में लाया जा सकता है
Ans : केवल लोकसभा में

Q : अविश्वास प्रस्ताव में कितने सदस्यों का समर्थन चाहिए होता है
Ans : कम से कम 50 सदस्यों का

Q : अविश्वास प्रस्ताव किस आर्टिकल में है?
Ans : संविधान के अनुच्छेद – 75  

Q : अविश्वास प्रस्ताव के द्वारा हटाए जाने वाले प्रथम प्रधानमंत्री
Ans : विश्वनाथ प्रताप सिंह

यह भी पढ़े

Previous articleस्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2023 पर भाषण कैसे शुरू करें | Independence Day Speech In Hindi
Next articleहर घर तिरंगा सर्टिफिकेट डाउनलोड कैसे करे,  Har Ghar Tiranga Certificate Download

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here