महिला आरक्षण बिल क्या है,फायदे, नुकसान, कब लागु हुआ, निबंध, इतिहास, विधेयक (Mahila Aarakshan Bill In Hindi, women reservation bill 2023 pib, essay, means, upsc, 128th constitutional amendment bill, history, name)
Mahila Aarakshan Bill In Hindi – नए संसद भवन के उद्घाटन के साथ ही लोकसभा के विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया. उससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल नारी शक्ति वंदन विधेयक (name of women reservation bill) को पास कर चुका है. यह एक ऐतिहासिक बिल है. यदि यह दोनों सदनों से पास होकर कानून का रूप ले लेता है तो देश में बहुत कुछ बदलाव हो जायेगा. यह बिल महिला सशक्तिकरण से जुड़ा हुआ है. यह बिल महिलाओं को शासन में अपनी भागीदारी सुदृढ़ करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है. इससे सक्रिय राजनीति में देश की आधी आबादी अर्थात स्त्रियों को आने का सीधा रास्ता खुल जाएगा. इस विधेयक (mahila aarakshan bill me kya hai) के अनुसार लोक सभा और राज्यों के विधानसभाओ में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है.
महिला आरक्षण बिल संसद में पहली बार कब पेश हुआ
इस विधेयक को कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल 19 सितंबर को पेश किया. इसे 128वें संविधान संसोधन (128th constitutional amendment bill) के तहत पेश किया. यदि यह कानून बनता है, तो लोकसभा और राज्यों के विधानसभाओ में एक तिहाई सदस्य महिला होगी और इससे देश की आधी आबादी को अपने प्रतिनिधित्व को प्रोत्साहन मिलेगा.
लोकसभा और राज्य सभा से हुआ पारित
महिला आरक्षण विधेयक (women reservation bill) को लोकसभा में 19 सितंबर को पेश किया गया था, जिसपर चर्चा के बाद 20 सितंबर को सहमति बन गई. ज्यादातर पार्टियां इसके समर्थन में खड़े दिखे, जिसका परिणाम यह हुआ कि 20 सितंबर, बुधवार को यह विधेयक 454 वोट के भारी बहुमत से पास हो गया. केंद्रीय मंत्रिमंडल से इसे 18 सितंबर को ही मंजूरी मिल गई थी.
अब इस विधेयक को 21 सितंबर गुरुवार को राज्य सभा में पेश किया गया. और राज्यसभा में इस बिल के समर्थन में 214 वोट मिले. और इसके विरोध में एक भी वोट नही पड़ा. अब इस बिल को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा.
महिला आरक्षण विधेयक का इतिहास (History of Women Reservation Bill)
महिला विधेयक (women reservation bill means) का 27 वर्षो का पुराना इतिहास रहा है. सबसे पहले यह विधेयक 12 सितंबर 1996 में यूनाइटेड फ्रंट की एच डी देवगौड़ा सरकार ने 81वें संविधान संशोधन के रूप में संसद में लायी थी मगर सरकार में शामिल कुछ पार्टियों के विरोध के बाद उस विधेयक को सीपीआई की गीता मुखर्जी की अगुआई वाली संयुक्त समिति के समक्ष पुनर्विचार के लिए भेजा गया. बाद में उसे फिर से 16 मई 1997 को लोकसभा में पेश किया गया मगर उसके बाद फिर से सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल दलों के विरोध होने लगे, जिससे यह विधेयक लोक सभा में पास नहीं कर पाया.
23 दिसंबर 1998 और अप्रैल 1999 में भी यह विधेयक लोक सभा में पेश किया गया मगर वाजपेयी की सरकार गिरने के कारण जब संसद भंग हो गई तब फिर से यह विधेयक (about mahila aarakshan bill in hindi) अटक गया बाद में जब अटल बिहारी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी तब फिर इस विधेयक पर चर्चा शुरू हुई और चर्चा के बाद 23 दिसंबर 1999 को इस विधेयक को लोक सभा में पेश किया गया लेकिन सपा, बसपा और आरजेडी के विरोध के बाद यह पास नहीं हो सका.
इसके बावजूद अटल बिहारी के समय में इस विधेयक को पास कराने के लिए 2000, 2002 और 2003 में प्रयास किये गए मगर यह विधेयक न पास हो सका और न ही यह बिल का रूप ले सका.
जब कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी, तब यूपीए – 2 यानि 2010 में इसे राज्य सभा से पास करा लिया गया मगर लोक सभा में यह फिर अटक गया. इस तरह से यह विधेयक एक विधेयक ही बन कर रह गया यह कानून का रूप नहीं ले सका.
महिला आरक्षण विधेयक की मुख्य बातें –
- यह विधयेक 27 वर्ष पहले पेश किया गया था मगर हर बार इसका विरोध हुआ.
- इस बिल को सबसे ज्यादा (कई बार) बीजेपी की नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार में 1998 से लेकर 2004 के बीच पारित कराने की कोशिश की गई थी.
- यदि यह विधेयक पास हो जाता है और यह कानून का रूप ले लेता है, तब भी यह फिलहाल लागू नहीं हो सकता है.
- इस विधेयक के अनुसार महिलाओं के लिए आरक्षण तब लागू किया जा सकता है जब नई जनगणना होगी और उसके बाद फिर उसके आधार पर परिसीमन होगा.
- इस तरह से यह विधेयक पास होकर बिल का रूप लेने के बाद भी 2024 के लोक सभा चुनाव में प्रभावी नहीं हो सकता है.
- यह के 2029 के लोकसभा चुनाव में प्रभावी होगा.
- यह बिल लागू होने के बाद से 15 वर्षो तक प्रभावी रहेगा.
- प्रत्येक परिसीमन के बाद वहां की बदली जनसंख्या के आधार पर लोकसभा और राज्यों के विधानसभा के लिए महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों में फेर-बदल (बदलाव) होगा.
- यदि यह बिल पास होकर कानून का रूप लेता है तो लोकसभा में लगभग 181 सदस्य स्त्रियां ही होंगी.
- 20 सितंबर 2023 को महिला आरक्षण विधेयक (128वां विधेयक) 2023 लोकसभा में पारित हो गया.
महिला आरक्षण कानून तत्काल लागू नहीं होने के कारण
महिला आरक्षण विधयेक यदि कानून का रूप ले भी लेता है तब भी यह फिलहाल लागू नहीं हो सकता है. इसके पीछे कारण यह है कि यह बिल बिना जनगणना और परिसीमन के लागू नहीं हो सकता. इन दोनों ही जटिल प्रक्रियाओं को पूरा होने में कई वर्ष लग जायेगे और यह 2029 से पहले लागू नहीं हो पायेगा.
महिला आरक्षण कानून की उपयोगिता
देश की लगभग आधी आबादी स्त्रियों की है. जबकि प्रत्यक्ष राजनीति में उनकी भागीदारी तो है मगर उस अनुपात में नहीं है जिस अनुपात में होनी चाहिए थी. महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिए कई दशकों से कोशिश भी हो रही थी. पर अफलता नहीं के बराबर मिलती हुई दिख रही थी. जैसे राजनीतिक पार्टियों में भी यह सुनिश्चित किया गया था कि वे महिला सदस्यों को भी एक अनुपात में टिकट देंगे ताकि उन्हें भी प्रतिनिधित्व का अवसर मिल सके. इसके लिए सबसे प्रभावी प्रयास में से एक था महिला आरक्षण विधेयक (mahila aarakshan bill me kya hai in hindi) जो कई दशको से और कई पार्टियों ने पास कराने की कोशिश की मगर वे असफल हुए.
महिला आरक्षण कानून की उपयोगिता इसलिए क्योकि देश की सक्रिय राजनीति में उनकी संख्या बहुत कम है, जैसे देश में फिलहाल लोकसभा में 78 महिला सांसद है जो 14 प्रतिशत के बराबर है. वही राज्य सभा में 32 महिला सांसद है, जो कुल राज्य सभा के मात्र 11 प्रतिशत है. जबकि आबादी के हिसाब से यह आधी है. उसी प्रकार यदि राज्यों की बात करें तो वहां भी लगभग वही स्थितियां है. देश के किसी भी राज्य में महिला सदस्यों (विधायकों) की संख्या 15 प्रतिशत से अधिक नहीं है. यहाँ तक कि देश में 18 विधानसभा ऐसे है जहाँ महिला विधायक 10 प्रतिशत से भी कम है. जबकि आरक्षण के बाद लोकसभा और राज्यों के विधानसभाओ में यह बढ़कर 33 प्रतिशत हो जाएगा.
निष्कर्ष – आज के इस लेख में हमने आपको बताया महिला आरक्षण बिल क्या है (Mahila Aarakshan Bill In Hindi) के बारें में बताया. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.
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