राज्यपाल की नियुक्ति कैसे की जाती है?

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राज्यपाल का पद किसी भी राज्य के लिए एक गरिमामय पद माना जाता है और उसे उस राज्य का संवैधानिक प्रमुख कहा जाता है. राज्यपाल के पद की व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 153 (rajyapal article in hindi) के अंतर्गत की गई है, जिसकी नियुक्ति केंद्र सरकार की अनुशंसा पर राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है. राज्यपाल (Governor) राज्य सरकार के कार्य पर नजर रखता है और यदि उसे कही कुछ गलत लगता है तो वह इसकी जानकारी केंद्र सरकार को देता है. इस अर्थ में राज्यपाल राज्य में केंद्र सरकार के सबसे बड़े अधिकारी के रूप में कार्य करता है. राज्यपाल पद की व्यख्या अलग अलग विद्वानों ने अपने तरह से की है.

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविद जो राष्ट्रपति बनने से पूर्व बिहार के राज्यपाल के पद पर भी रह चुके थे, उनके अनुसार, “राज्यपाल केंद्र और राज्यों के बीच एक सेतु की भूमिका निभाते है.” इस लेख में हम आपको राज्यपाल की नियुक्ति कैसे की जाती है? के बारें में पूरी जानकारी प्रदान करने जा रहे है.

Rajyapal Ki Niyukti Kaise Ki Jaati Hai

राज्यपाल पद के लिए योग्यता (Governor Eligibility In India)

राज्यपाल पद की योग्यता का वर्णन संविधान के अनुच्छेद 157 और 158 में किया गया है. इन दोनों अनुच्छेदों के आधार पर राज्यपाल पद प्राप्त करने के लिए किसी व्यक्ति में निम्न योग्यताओ का होना आवश्यक है –

  • वह भारत का नागरिक हो.
  • उसकी आयु 35 वर्ष (Rajyapal Age Limit) से अधिक हो.
  • वह सरकारी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले किसी लाभ वाले पद पर न हो.
  • उसे विधानमंडल या संसद दोनों में से किसी का भी सदस्य नहीं होना चाहिए.

राज्यपाल की नियुक्ति (Governor Appointed In Hindi)

राज्यपाल की नियुक्ति केंद्र की अनुशंसा पर राष्ट्रपति के द्वारा होता है. राज्यपाल की नियुक्ति में इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि वह व्यक्ति उस राज्य का रहने वाला न हो. ऐसा इसलिए होता है क्योकि इससे वह निष्पक्ष होकर कोई निर्णय ले सकता है. केंद्र के द्वारा किसी व्यक्ति के राज्यपाल पद के लिए नामित होने के बाद उसे पद ग्रहण के लिए राज्य के मुख्य न्यायाधीश या राज्य के वरिष्ठतम न्यायाधीश के समक्ष पद और गोपनीयता की शपथ लेनी होती है.

राज्यपाल का कार्यकाल (Governor Tenure In India)

राज्यपाल का कार्यकाल पांच वर्षो का होता है मगर कार्यकाल पूरा होने से पूर्व भी वह त्यागपत्र देकर इस पद से मुक्त हो सकता है. इसके साथ ही राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह राज्यपाल को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पदमुक्त अथवा स्थानान्तरित कर सकता है या फिर एक राज्य का राज्यपाल रहते दूसरे राज्य का राज्यपाल का पद का भी प्रभार उसे सौप सकता है.

राज्यपाल का वेतन (Governor Salary Per Month)

  • राज्यपाल को प्रति महीने 3.5 लाख रूपये वेतन के रूप में मिलते है, जबकि राज्यपाल को मिलने वाले भत्ते की बात करें तो यह अलग अलग राज्यों में अलग है मगर औसतन यह 12 लाख से भी अधिक होता है.
  • वेतन के अलावा राज्यपाल को एक निःशुल्क शानदार आवास उपलब्ध कराया जाता है.
  • राज्यपाल को कई अलग अलग मदो पर धनराशि दिए जाते है, जो उसके वेतन से अलग होते है, जैसे राजभवन के फर्नीचर रिन्युअल के लिए धनराशि, मनोरंजन व पर्यटन के लिए धनराशि, पानी बिजली व गार्डन के सौन्द्रीयकरण एवं उसकी उचित व्यवस्था के मद के लिए धनराशि.
  • राज्यपाल को मिलने वाले भत्ते राज्यों के ऊपर निर्भर करता है. इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिहार के राज्यपाल को दिए जानें वाली फर्नीचर रिन्युअल की धनराशि 62 लाख है, जो देश के दूसरे राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है. वही सिक्किम के राज्यपाल को इसी मद के लिए करीब 4  लाख देने का प्रावधान है.

राज्यपाल के कार्य एवं अधिकार (Governor Power In Hindi)

राज्यपाल राज्य का संविधान प्रमुख होता है. इस कारण राज्य की कार्यपालिका सम्बन्धी सभी कार्य राज्यपाल के नाम पर ही होते है, परन्तु व्यवहार में वह इन अधिकारों व शक्तियों का प्रयोग राज्य सरकार की सलाह से करता है. वह स्वतंत्र रूप से कोई निर्णय नहीं ले सकता है. इसके साथ ही राज्यपाल के पास वित्तीय, विधायी और न्यायिक शक्तियां भी होती है – 

  • राज्यपाल के पास बहुमत के आधार पर सरकार गठन करने, विधान सभा का सत्र बुलाने और उसे भंग करने की अनुशंसा का भी अधिकार व शक्ति होता है.
  • अनुच्छेद 153 के तहत एक ही व्यक्ति को एक से अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है.
  • राज्यपाल राज्य के सभी विश्वविद्यालयो के कुलपति भी होते है.
  • राज्यपाल राज्य के एडवोकेट जनरल, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करता है.
  • राज्यपाल बहुमत के आधार पर राज्य में मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है. इसके अलावा मुख्यमंत्री के सलाह पर राज्य के मंत्रिमंडल की भी नियुक्ति करता है.
  • राज्यपाल की अनुमति के बिना वित्तीय बिल को विधानसभा में पेश नहीं किया जा सकता है.
  • विधानसभा से पास विधेयकों को राज्यपाल की स्वीकृति आवश्यक होती है. राज्यपाल की स्वीकृति के बिना कोई विधेयक कानून का रूप नहीं लेता है. यदि राज्यपाल विधेयक से सहमत नहीं होता है, तो वह उसे विधानसभा के पास पुनर्विचार के लिए भेज सकता है या फिर राष्ट्रपति के पास उसके अनुमोदन के लिए भी प्रेषित कर सकता है. लेकिन विधानसभा या विधानमंडल के द्वारा उसी विधेयक को बिना सुधार के जब राज्यपाल के पास दोबारा भेजा जाता है तो राज्यपाल उसे अपनी स्वीकृति देने के लिए बाध्य है परन्तु राष्ट्रपति के पास भेजा गया विधेयक राष्ट्रपति के ऊपर निर्भर करता है, उसमें न तो विधानसभा और न ही राज्यपाल हस्तक्षेप कर सकता है.
  • यदि विधानमंडल का सत्र नहीं चल रहा हो अथवा विधानमंडल किसी अन्य कारण से बाधित हो तो वैसे कुछ विशेष परिस्थियों में राज्यपाल मुख्यमंत्री अथवा मंत्रिमंडल की सलाह से अध्यादेश जारी कर सकता है लेकिन ऐसे अध्यादेश को अगले सत्र में पारित करवाना आवश्यक होता है, वरना वह अध्यादेश स्वतः निष्प्रभावी हो जाता है. 
  • राज्य की आकस्मिक निधि पर राज्यपाल का नियंत्रण होता है. 
  • राज्यपाल की अनुमति के बाद ही राज्य विधानसभा में पारित विधेयक राज्य सूचि के अंतर्गत कानून का रूप लेता है.
  • राज्यपाल राज्य की विधि व्यवस्था की जानकारी केंद्र को उपलब्ध कराता है, केंद्रीय गृह मंत्री राज्य की विधि व्यवस्था की रिपोर्ट राज्यपाल से ही मांगता है.
  • राज्य की विधि व्यवस्था ख़राब होने की स्थिति में राज्यपाल राज्य में राष्ट्रपति शासन (धारा 356) की अनुशंसा कर सकता है. राज्यपाल की अनुशंसा के बाद ही केंद्र उसके आधार पर आगे की कार्यवाही करने के लिए राष्ट्रपति के पास सिफारिश करता है.
  • राज्य में विधि व्यवस्था की स्थिति ख़राब होने पर जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होता है, तब शासन प्रशासन की जिम्मेदारी सीधे तौर पर राज्यपाल पर ही होती है.
  • राज्यपाल को अनुच्छेद 161 के अंतर्गत न्यायिक अधिकार भी दिए गए है, जिसके तहत वह किसी के दंड को या तो क्षमा कर सकता है अथवा उसे कम या परिवर्तित कर सकता है, हालांकि इसमें कुछ सीमाएं भी है.

निष्कर्ष – आज के इस लेख में हमने आपको राज्यपाल की नियुक्ति कैसे की जाती है के बारें में बताया. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.

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