Govardhan Puja Muhurat In Hindi 2023 | गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा और महत्व

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Govardhan Puja Muhurat In Hindi 2023 – हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा का एक विशेष महत्व माना जाता है. यह शुभ दिन शुक्ल पक्ष के पहले दिन, यानी कार्तिक माह के प्रतिपदा को मनाया जाता है और आमतौर पर यह दिवाली के अगले दिन मनाया जाने वाला पर्व है. इसे हम अन्नकूट के रूप में भी जानते है. यह त्योहार पूरे देश में हर्षोल्लास और अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है लेकिन यह पर्व उत्तर भारत में विशेष रूप से मथुरा, वृंदावन, गोकुल, नंदगांव और बरसाना सहित ब्रजभूमि में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह त्योहार भगवान श्री कृष्ण जी से जुड़ा हुआ है. एक बार भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी गाँव वालो को देवों के राजा इंद्र की मूसलाधार बारिश से बचाया था. इसके बाद सभी लोग गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे. और उस दिन से यह त्योहार मनाया जाने लगा और गोवर्धन पर्वत की गोबर से पूजा करने की परंपरा बन गई है.

आज के इस लेख में हम आपको बताएँगे कि गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja Muhurat In Hindi 2023) का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा और महत्व के बारें में.

Govardhan Puja Muhurat In Hindi 2023

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त (Govardhan Puja 2023 Date And Time)

हर साल गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन होगी. हालांकि इस साल सूर्य ग्रहण होने की वजह से गोवर्धन पूजा 14 नवम्बर 2023 को मनाया जाएगा.

गोवर्धन पूजा समय सुबह 6 बजकर 43 मिनट से 08 बजकर 52 मिनट तक
गोवर्धन पूजा अवधि 02 घंटे 09 मिनट
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ 13 नवम्बर 2023 को शाम 04 बजकर 18 मिनट से
प्रतिपदा तिथि समाप्त 14 नवम्बर 2023 को दोपहर 02 बजकर 42 मिनट तक
पूजन का शुभ मुहूर्त 14 नवम्बर 2023 को 06 बजकर 29 मिनट से 08 बजकर 43 मिनट तक

गोवर्धन पूजा की विधि (Govardhan Puja Vidhi)

गोवर्धन पूजा के दिन जमीन पर गोवर्धन पर्वत का गोबर से चित्र बनाकर उसे फूलों से सजाया जाता है. और प्रसादी के रूप में 56 भोग लगाये जाते है. पूजा सामग्री में रोली, मोली, फल, प्रसाद, खीर, चावल, बताशे, दूध, जल, पान, फूल, केसर और दिया रखा जाता है. गोबर से बने गोवर्धन पर्वत पर दिया जलाकर पूजा करे. इस दिन देवताओं के शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की भी पूजा की जाती है. पूजा के बाद गोबर से बने गोवर्धन की परिक्रमा करें और गोवर्धन कथा का पाठ करें. और शाम के समय इस गोबर इकट्ठा कर घर के मुख्य द्वार पर आग लगाकर रख दें.

गोवर्धन पूजा सामग्री (Govardhan Puja Samagri List)

  • धूप
  • चंदन
  • फूल
  • माला
  • रोली
  • मोली
  • चावल
  • अनाज
  • तेल का दिया
  • मिठाई
  • पान
  • केसर
  • बताशे
  • गुड़
  • गाय का गोबर
  • 56 तरह के भोग
  • बांसुरी
  • फल
  • हरा चारा
  • गंगाजल
  • शहद
  • दही
  • शक्कर
  • तुलसी
  • जल

गोवर्धन कथा (Govardhan Katha)

गोवर्धन के पर्व को अन्नकूट के नाम भी जानते है. इस दिन प्रभु श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है. इस दिन को मनाने के पीछे की एक पैराणिक कहानी है. एक बार भगवान इंद्र ने अपनी शक्ति से ब्रज गाँव में बहुत तेज़ बारिश कर दी थी, जिस वजह से पुरे गाँव में बाढ़ आ गई. गाँव वाले काफी परेशान हो गए यह सब देखकर श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी चुटकी उंगली पर उठाकर गाँव वालो की रक्षा की. और तब से गाँववालों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का निर्णय लिया. ऐसा माना जाता है कि जो इंसान गोवर्धन की पूजा करता है उसका सीधा प्रकृति से मेल मिलाप हो जाता है. ऐसी मान्यता है कि गाय के गोबर और भगवान कृष्ण से बने गोवर्धन पर्वत की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन गाय की पूजा करने की भी परंपरा होती है. ऐसा माना जाता है कि गाय की पूजा करने से 33 करोड़ देवी देवताओं की पूजा करने के समान फल मिलता है. इस दिन पूजा करने वाले व्यक्ति के धन, संतान और समृद्धि में कभी कमी नहीं आती है और समाज में उसका मान सम्मान बढ़ता है.

निष्कर्ष– आज हमने आपको गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja Muhurat In Hindi  2022) का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा और महत्व के बारें में. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी.

FAQ

Q : गोवर्धन पूजा कब है ?
Ans : 14 नवम्बर 2023 को

Q : गोवर्धन की पूजा कब की जाती है?
Ans : गोवर्धन की पूजा कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की जाती है.

Q : गोवर्धन की पूजा क्यों की जाती है?
Ans : श्रीकृष्ण जी ने गाँव वालो की मदद के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी चुटकी उंगली पर उठाया था जिसके बाद से गोवर्धन की पूजा होने लगे.

Q : गोवर्धन पूजा का मतलब क्या होता है?
Ans : इस दिन श्रीकृष्ण और गोवर्धन की पूजा की जाती है. इस दिन अन्‍नकूट का भोग लगाया जाता है.

Q : कृष्ण ने गोवर्धन कैसे उठाया?
Ans : इन्द्रदेव ने ब्रजवासी गाँव में मूसलाधार बारिश शुरू कर दी और गांव तबाही की और जा रहा था तभी श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया था.

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