दिवाली पर निबंध | Essay On Diwali In Hindi | Diwali Par Nibandh

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Diwali Par Nibandh – दिवाली सनातन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह महान पर्व प्रत्येक वर्ष बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। सनातन धर्म का केंद्र बिंदु भारत सहित यह गौरवशाली पर्व विश्व के कुछ देशों में बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है। नेपाल, श्रीलंका, सिंगापूर, मलेशिया, इंडोनेशिया, मॉरीशस व दक्षिण अफ्रीका के कुछ देशों में भी यह पर्व मनाया जाता है। इसके अलावा भारत के लोग जहाँ जहाँ, जिस जिस देशों में बसे है वे उन देशों में अपने इस गौरवशाली पर्व को वही मनाते है, जिससे विदेशो में विशेषकर अमरीका व यूरोप के कुछ देशो में भी यह मनाया जाने लगा है। आज के इस लेख में हम आपको दिवाली पर निबंध (Essay On Diwali In Hindi) बताने जा रहे है. यह निबंध आपके स्टूडेंट जीवन में जरुर काम आएगा.

Essay On Diwali In Hindi

दिवाली पर निबंध (Essay On Diwali In Hindi)

दीपावली दो शब्दों के मिश्रण से बना एक शब्द है। इसमें प्रथम दीप है तो दूसरा है आवली। दीप या दीया का अर्थ होता है, दीपक। जबकि आवली का अर्थ होता है, शृंखला। इस प्रकार दीपावली का शाब्दिक अर्थ है, दीपो की शृंखला। दीपावली को सामान्य बोलचाल की भाषा में दिवाली कहा जाता है। यह प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। कार्तिक मास की अमावस्या प्रायः अंग्रेजी महीने के नवंबर में आती है मगर कभी कभी यह अक्टूबर में भी आ जाती है। यह हिंदी महीने की कम या अधिक अवधि के कारण होता है।

इस बार यानि वर्ष 2023 में कार्तिक मास की अमावस्या 12 नवंबर को पड़ रही है इसलिए इस बार दिवाली 12 नवंबर 2023, रविवार को मनाई जायेगी। इस बार पूजन का शुभ मुहूर्त संध्या आठ बजे से रात्रि दस बजे तक है।

दिवाली को मनाये जाने के पीछे सनातन धर्म में दो प्रमुख कथाएं अधिक प्रचिलत है। प्रथम कथा श्री राम से जुडी है तो दूसरी कथा श्री कृष्ण से जुडी है। इनमें सबसे प्रमुख चौदह वर्ष के वनवास के बाद श्रीराम का माता सीता सहित लक्ष्मण के साथ अपने गृह प्रदेश अयोध्या का आगमन है।

दीपावली क्यों मनाई जाती है?

दीपावली पर निबंध 150 शब्दों में (Essay On Diwali In Hindi 150 Words)

जब भगवान श्री राम लंकापति रावण पर विजय के साथ अपने चौदह वर्ष की वनवास पूरी करके भार्या (पत्नी) सीता व अनुज भ्राता लक्ष्मण के साथ अपने घर की वापसी किया तो उस दिन अयोध्या प्रजा में खुशी की लहर दौड़ गई। वे अपने घरो व गली, सड़को की साफ – सफाई करके अपने राजा के आगमन का स्वागत करने लगे। चूंकि उस दिन अमावस्या थी और अमावस्या की रात अन्धकार भरी होती है। इसलिए प्रजाजन अपने घरो के बाहर दीप प्रज्जलित करके श्री राम के लौटने के मार्ग को प्रकाश से भर दिया ताकि भगवान श्री राम, माता सीता व लक्षमण को आने में कोई समस्या न हो, उन्हें हर जगह प्रकाश मिले। कहते है तभी से दिवाली मनायी जाने लगी। अब यही कारण है, दिवाली की रात को घर-बाहर दीपक जलाये जाते है। दिवाली न केवल श्री राम से नहीं बल्कि श्री कृष्ण से भी जुड़ी हुई है। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने भयानक असुर नरकासुर का वध करके सोलह हजार स्त्रियों को मुक्त करवाया था। इसी खुशी में लोगो के द्वारा दिवाली मनाई जाने लगी।

दीपावली पर निबंध 200 शब्दों में (Essay On Diwali In Hindi 200 Words)

दिवाली खुशियों का त्यौहार है। यह प्रकाश के साथ साथ रंग का भी त्यौहार माना जाता है। वैसे तो रंगो का त्यौहार होली है मगर दिवाली में भी रंग का एक अपना महत्व है। रंग खुशियों का प्रतिक है। रंग उल्लास का प्रतिक है। रंग आशा का प्रतिक है। इसलिए दिवाली के दिन प्रायः घरो में रंग बिरंगी रंगोली बनाई जाती है। सनातन धर्म में रंगोली न केवल सुंदरता का प्रतिक माना जाता है बल्कि इसका आध्यात्मिक महत्व भी है। सनातन धर्म में रंगोली को शुभ का प्रतीक माना गया है। यह माता लक्ष्मी के आगमन हेतु स्वागत के लिए बनाया जाता है। इसके अलावा दिवाली से पहले लोग अपने घरो को साफ सुथरा करके पेंट पॉलिश भी करवाते है। इस तरह से दिवाली में रंगोली और रंग का विशेष महत्व है।

सभी को पता है प्रकाश का एक महापर्व है मगर यह प्रकाश किन बिन्दुओं का सूचक है ? अगर हम उन बिन्दुओ की बात करें तो दीपक से प्रज्जवलित यह प्रकाश नई दिशा का सूचक है। यह प्रकाश बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतिक है। यह प्रकाश जीवन में हर ओर मिलने वाली सफलता का सूचक है। यह प्रकाश आशा का सूचक है। यह प्रकाश खुशहाली भरा जीवन का सूचक है। यह प्रकाश समृद्धि का सूचक है। यह प्रकाश जीवात्मा का परमात्मा से मिलन का सूचक है।

दीपावली पर निबंध 300 शब्दों में (Essay On Diwali In Hindi 300 Words)

वास्तव में, दीपावली में जलाये जाने वाले दीपक ज्ञान, विज्ञान, आशा, सफलता, समृद्धि, विश्वास, संतुष्टि, अच्छाई व साक्षात् ब्रह्म का प्रतिक है। यह दीपक इस बात की ओर संकेत करता है कि मानव को आत्ममंथन के द्वारा अपने अंदर की बुराई पर विजय प्राप्त करनी चाहिए एवं अपने अंतर्मन को प्रकाशित करना चाहिए, तभी मानव में जन्म लेना सफल हो सकता है।

दिवाली हिन्दुओ के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह प्रकाश का महापर्व है। यह खुशियों का व मिलन का त्यौहार है। पटाखे व रौशनी आदि जैसे आतिशबाजी करके लोग अपने उत्साह को प्रकट करते है। इस अवसर पर लोग आपस में मिठाइयां बांटते है। कई लोग इस दिन नए वस्त्र भी धारण करते है। कुछ लोग अपनी क्षमता के अनुसार सोने, चाँदी आदि बहुमूल्य धातुओं से बने ज्वेलरी भी खरीदते है। माना जाता है कि दिवाली में नई खरीददारी शुभ होती है। यह माता लक्ष्मी के आगमन का सूचक होता है।

दीपावली केवल मनोरंजन व खुशियों के बाँटने का त्यौहार नहीं है बल्कि इस रात माता लक्ष्मी व भगवान श्री गणेश जी की भी विधिवत व भक्तिभाव से पूजन किया जाता है। माता लक्ष्मी धन व ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री है। जबकि भगवान श्री गणेश विघ्न विनाशक हैं। उनके पूजन से जीवन में आने वाली विघ्न बाधाएं दूर होती है और नए नए मार्ग खुलते है। उसी प्रकार माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से धन का अभाव व दरिद्रता दूर होती है एवं जीवन में धन सम्पदा का आगमन होता है। इससे जीवन में खुशहाली आती है, क्योकि इस जीवन का सबसे बड़ा दुःख धन का दुःख ही होता है। इस तरह धन के आगमन से मनुष्य का जीवन आनंदमय हो जाता है और ये सब माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से ही संभव होता है।

दीपावली पर निबंध 500 शब्दों में (Essay On Diwali In Hindi 500 Words)

दिवाली का त्यौहार पांच दिनों का होता है। इसका आरम्भ मुख्य दिवाली के दो दिन पहले धनतेरस से आरम्भ होता है। धनतेरस का त्यौहार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। धनतेरस का वास्तविक नाम धन त्रयोदशी है। समुन्द्र मंथन में इसी दिन देवताओ के वैद्य कहे जाने वाले देव धन्वन्तरि प्रकट हुए थे। उनका प्रागट्य हाथ में सोने के कलश में अमृत लिए हुए था। इसलिए धनतेरस के दिन बर्तन या कोई वस्तु अथवा क्षमता के अनुसार सोने, चाँदी आदि मंहगे धातुओं को खरीदने की प्रथा है। इस दिन बर्तन, वस्तु (धन-समृद्धि का सूचक) व सोने – चाँदी खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस में बर्तन, वस्तु व सोने चाँदी आदि के खरीदना माता लक्ष्मी के आगमन का सूचक होता है और यह बहुत शुभ होता है। चूँकि धनतेरस से ही माता लक्ष्मी के विशेष पूजन का मुहूर्त आरम्भ हो जाता है।

धनतेरस से अगले दिन व दिवाली से ठीक एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाने की प्रथा है। हालांकि कुछ क्षेत्रो में यह दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है, जहाँ सामान्य बोलचाल की भाषा में बासी दिवाली भी कहते है। चूँकि दिवाली से एक दिन पहले की तिथि को यम चतुर्दशी कहते है इसलिए उन स्थानों पर इस तिथि के रात्रि काल में स्त्रियां यम के नाम एक दीपक घर के बाहर जलाया करती है। वैसे छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने सत्यभामा के साथ मिलकर भयानक दैत्य नरकासुर का वध किया था और उसके बंधन से सोलह हजार स्त्रियों को मुक्त करवाया था।

दिवाली के एक दिन पहले वाले इस तिथि को काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। क्योकि यह तिथि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के 14वें दिन को पड़ता है। इस तिथि को काली चौदस, नरक चौदस, यम चतुर्दशी और नरक चतुर्दशी के नामो से जाना जाता है। इसके बाद अगले दिन कार्तिक मास की अमावस्या प्रकाश का महापर्व दीपावली मनाई जाती है। पांच दिनों तक मनाये जाने वाले इस महापर्व का यह सबसे प्रमुख दिन होता है।

दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। गोवर्धन पूजा के अगले दिन भाई बहन के प्रेम को समर्पित पर्व भाई दूज मनाया जाता है। पांच दिनों तक मनाये जाने वाले इस महापर्व का पांचवां दिन भाई दूज या यम द्वितीया के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भाई बहन के प्रेम को समर्पित है। इस दिन बहनें अपने भाई के लम्बे आयु के लिए पूजन करती है और ईश्वर से उसके लिए प्रार्थना करती है। भाई दूज के साथ ही पांच दिनों तक मनाये जाने इस महापर्व दिवाली का समापन होता है।

निष्कर्ष– आज हमने आपको बताया दिवाली पर निबंध (Essay On Diwali In Hindi) के बारें में, उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी.

FAQ

Q : दिवाली कब है?
Ans : 24 अक्टूबर 2022 को

Q : दीपावली के 5 दिन कौन से हैं?
Ans : धनतेरस, छोटी दिवाली, बड़ी दिवाली गोवर्धन पूजा और भाई दूज

Q : दिवाली के दूसरे दिन को क्या कहते हैं?
Ans : गोवर्धन पूजा

Q : गोवर्धन पूजा कब है?
Ans : 26 अक्टूबर को

Q : धनतेरस कब है?
Ans : 22 अक्टूबर को

Q : भाई दूज कब है?
Ans : 26 अक्टूबर को

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