गणगौर कब और क्यों मनाई जाती है, इसका महत्व, पूजा विधि व कहानी | Gangaur Festival 2023 in Hindi

3/5 - (1 vote)

गणगौर त्यौहार कब और क्यों मनाई जाती है, इसका महत्व, पूजा विधि, कथा, निबंध, इतिहास, तारीख, पूजन का मुहूर्त, गीत, धींगा गणगौर, माता की फोटो, अर्थ (Gangaur Festival 2023 In Hindi, Images, Pooja, Geet, Kahani, Muhurat ,Images, History, Puja Vidhi, Vrat Katha)

गणगौर त्यौहार 2023 – हमारा देश भारत अनेकता में एकता का देश है. रंग-बिरंगी संस्कृति और वेशभूषा यहां देखने को मिलती है. हर राज्य के अपने अलग-अलग रीति-रिवाज और त्यौहार होते हैं. इसलिए भारत को यूं ही रंगों का देश नहीं कहा जाता है. देश के हर राज्य की अपनी एक खास पहचान होती है जिसमें त्यौहार और पर्व  महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. राजस्थान इन्हीं राज्यों में से एक है. राजस्थान को शूरो की नगरी भी कहा जाता है. यहाँ पर मारवाड़ियों का अधिक बोलबाला है. और इन्ही लोगो का अहम त्यौहारों में से एक है गणगौर. यहाँ हर साल गणगौर का त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया जाता है. ऐसा नहीं है कि यह पर्व केवल राजस्थान में ही मनाया जाता है, बल्कि गुजरात, मध्य प्रदेश सहित देश के पूरे राज्य में जहां कहीं भी मारवाड़ी परिवार रहते हैं, वहा इस पर्व को अपने-अपने रीति-रिवाजों से मनाया जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं सोलह दिनों तक पूजा करती है. और विधिवत से गणगौर की सवारी निकाली जाती है.

इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले है गणगौर कब और क्यों मनाई जाती (Gangaur Festival 2023 in Hindi) है, इसका महत्व, पूजा विधि, कहानी व गीत के बारे में.

gangaur mata ki photo

गणगौर त्यौहार 2023 (Gangaur Festival 2023)

त्यौहार का नाम गणगौर त्यौहार
शुरुआत फाल्गुन मास की पूर्णिमा से
कब मनाया जाता है चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को
कितने दिनों तक चलता है 17 दिन तक
गणगौर 2023 की तारीख 24 मार्च 2023, शुक्रवार
तृतीया तिथि प्रारंभ 23 मार्च 2023 को शाम 6:20 पर
कब से शुरू 8 मार्च 2023
समाप्त 24 मार्च 2023
किसकी पूजा होती है भगवान शिव और माता पार्वती की

गणगौर कब मनाई जाती है, तिथि और शुभ मुहूर्त (Gangaur Date and Shubh Muhurt)

गणगौर का पर्व हर साल होलिका दहन यानी फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि से शुरू होता है. और इसे चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर के पर्व के रूप में मनाया जाता है. साल 2023 में गणगौर 8 मार्च से शुरू हो रही है और 24 मार्च समाप्त हो रही है. इस बार गणगौर यानि तृतीया तिथि प्रारंभ शुक्रवार के दिन 24 मार्च को शाम 6 बजकर 20 मिनट पर हो रही है. इस त्यौहार को 16 दिनों तक मनाया जाता है.

गणगौर 2023 धार्मिक महत्व (Gangaur Festival Mahatva)

गणगौर का व्रत विवाहित महिलाओं के साथ-साथ कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं. इसलिए इस पर्व को हर महिला द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन माता पार्वती और भगवान शंकर की विधि विधान से विशेष रूप से पूजा की जाती है. उस पूजा को करने का विशेष महत्व यह है कि विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं अपने मनचाहे वर की कामना करती हैं और उनके लिए व्रत रखती है. इस पूजा में कुंवारी कन्याएं सुहागिनी माहिलाओ की तरह सजकर पूजा करती है. इस व्रत की सबसे मजेदार बात यह है कि कोई भी महिला अपने पति को इस व्रत के बारे में नहीं बताती है और न ही उसे प्रसाद खाने को देती है.

गणगौर क्यों मनाया जाता है? (Gangaur Kyu Manaya Jata Hai)

गणगौर की शुरुआत होली देहन के दिन से होती है. इस पर्व की समाप्ति चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया को होता है. 16 दिनों तक चलने वाले इस पर्व को गौरी तीज के रूप में भी जाना जाता है. गणगौर का त्यौहार प्यार और पारिवारिक सद्भाव का एक पवित्र त्योहार है, जिसे हिंदु धर्मो द्वारा मनाया जाता है. गणगौर शब्द की उत्पति दो शब्द गण और गौर से मिलकर हुई है. शाब्दिक रूप से समझे तो गण का मतलब भगवान शिव और गौर शब्द माता पार्वती से है.  गणगौर के दिन शादीशुदा महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और कुवारी लड़कियां मनचाहा पति की पाने के लिए व्रत रखती हैं. यह पर्व राजस्थान सहित देश के कई राज्यों में मनाया जाता है. लेकिन राजस्थान में इसे और भी धूमधाम से मनाया जाता है.

गणगौर क्यों मनाते हैं?

गणगौर को मनाने के पीछे कई विद्वानों द्वारा अलग-अलग कथाएं बताई जाती हैं. एक कहानी के अनुसार इस दिन भगवान शंकर की शादी माता पार्वती के साथ हुई थी. एक अन्य कहानी के अनुसार यही माता पार्वती सोलह श्रृंगार कर सौभाग्यवती स्त्रियों को अखंड सौभाग्य का वरदान देने निकली थीं. इसलिए इस दिन विवाहित महिलाएं भगवान शंकर के साथ साथ माता पार्वती की भी पूजा करती हैं.

गणगौर का अर्थ क्या है?

गणगौर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है पहला गण और दूर गौर. गण शब्द भगवान शंकर समर्पित है तो वही गौर शब्द माता पार्वती को. गणगौर के त्यौहार में पूजा भी माता पार्वती और भगवान शिव की की जाती है.    

गणगौर पूजन सामग्री (Gangaur Festival Pujan Samagri)

कहा जाता है कि जिस तरह गणगौर की पूजा का एक अलग ही महत्व होता है उसी तरह इन पूजन सामग्री का होना भी विशेष है-

  • लकड़ी की चौकी या पाटा
  • काली मिट्टी या फिर होली देहन की राख़
  • कलश
  • दो मिट्टी के गमले
  • दीपक
  • हल्दी, कुमकुम, काजल, चावल, मेहन्दी और गुलाल
  • देशी घी
  • गुलाब या गेंदे के फूल और आम के पत्ते
  • हरी घास (दोब)
  • पान के पत्ते
  • गणगौर के कपडे
  • लाल चुनरी
  • पानी से भरा कलश
  • नारियल
  • गेहू
  • बॉस की टोकनी
  • सुपारी

गणगौर पूजा विधि (Gangaur Poojan Vidhi)

गणगौर की पूजा 16 दिनों तक विवाहित महिलाओं और अविवाहित लड़कियों द्वारा की जाती है. इसकी पूजा की शुरुआत होली दहन के अगले दिन से होती है. इस दिन महिलाएं मायके या ससुराल से 16 दिनों की गणगौर बैठाते हैं. और यह पूजा जोड़े के साथ की जाती है. जोडा का अर्थ होता है दो स्त्रियों का जोड़ा. इस पूजा में विवाहित महिलाओं द्वारा अविवाहित लड़कियों को पूजा की सुपारी देकर पूजा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाता है. 16 दिनों तक सभी महिलाएं धूमधाम से गणगौर की पूजा करती हैं और गणगौर के कई गीत भी गाती हैं. और सोलहवें दिन गणगौर की पूजा करने के बाद, वह उद्यापन करती है और उसे पास के एक कुएं में विसर्जित कर देती है. कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं जिनकी शादी के बाद पहली गणगौर होती है, वे 16 दिनों तक अपने मायके में गणगौर चौकी लगाकर पूजा करती हैं

  • सबसे पहले चौकी स्थापित कर उस पर स्वस्तिक बनाकर, जल से भरा कलश, पांच पान के पत्ते और नारियल रखे. और यह सभी सामग्री दाहिनी और रखे.
  • इसके बाद चौकी पर सवा रुपये और गणेश के रूप सुपारी रखकर पूजा की शुरुआत की जाती है.
  • इसके बाद चौकी पर होलिका दहन की राख या फिर काली मिटटी से 16 पिंडी बनाकर रखे. इसके बाद जल से छीटे देकर रोली मोली और चावल से पूजा अर्चना की जाती है.
  • अब एक खाली दीवार पर एक सफेद कागज चिपका दिया जाता है, इस पर विवाहित स्त्रियां सोलह-सोलह और कुंवारी कन्याएं आठ-आठ टिक्की रोली, हल्दी, काजल और से लाइन से लगाती जाती है.  
  • यह सभी करने के बाद पानी के लोटे में हाथ मे घास यानि दोब लेकर सभी जोड़े सोलह बार गणगौर के गीत गाकर पूजा करते है.
  • 16 बार पूजा करने के बाद गणगौर की और गणेश जी की कथा सुनाई जाती है. इसके बाद चौकी की गीत गाकर उन्हें प्रणाम कर सूर्यनारायण भगवान को जल अर्पित कर अर्क दिया जाता है.
  • इसी तरह की पूजा सोलह दिनों तक की जाती है. लेकिन 7 दिनों के बाद शीतला सप्तमी की शाम को कुम्हार के यहां से गणगौर के साथ गाजे-बाजे के साथ दो मिट्टी के कुंडे लाए जाते हैं.
  • गणगौर की अष्टमी से तीज तक रोज सुबह बिजौरा जो फूलों का बनाया जाता है. ज्वार को इसके अन्य दो गमलों में गेहूं डालकर बोया जाता है. गणगौर की कुल पाँच मूर्तियाँ हैं जिनमें ईसर जी, गणगौर माता, मालन, माली और एक विमलदास जी की ऐसी ही दो जोड़ियाँ हैं. गणगौर के आखिरी दिन यानि तीज पर इसका उद्यापन होता है और सब मूर्तियों को विसर्जित कर दिया जाता है.

निष्कर्ष :- तो आज के इस लेख में आपने जाना गणगौर कब और क्यों मनाई जाती (Gangaur Festival 2023 in Hindi) है, इसका महत्व, पूजा विधि, कहानी व गीत के बारें में. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आयी होगी. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.

FAQ

Q : गणगौर का त्योहार किस तिथि को मनाया जाता है
Ans : चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया को

Q : गणगौर कब मनाई जाती है
Ans : होलिका दहन के दूसरे दिन से लेकर 18 दिनों तक

Q : गणगौर कहां की प्रसिद्ध
Ans : राजस्थान की

Q : 2023 में गणगौर कब है
Ans : 24 मार्च 2023  

Q : गणगौर पूजा कब है
Ans : 8 मार्च से 24 मार्च तक

Q : गणगौर मेला कब है?
Ans : 24 मार्च को

यह भी पढ़े

Previous articleबिपिन रावत का जीवन परिचय | Bipin Rawat Biography in Hindi
Next articleपुनीत सुपरस्टार का जीवन परिचय | Puneet Superstar Biography In Hindi

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here