होली कब और क्यों मनाई जाती है, निबंध, इतिहास, महत्व, होली कब है, होली दहन कब है, होली कितनी तारीख की है (Holi Essay in Hindi, Holi kab hai, Holi Story, Holi Date, Happy Holi 2024, Holika Dahan history)
Happy Holi 2024 – हमारे देश भारत में जब कोई त्यौहार आने लगता है तो उससे कुछ दिनों पहले से ही देशवासियों के मन में उत्सुकता बनी रहती है. भारत में प्राचीन काल से ही त्यौहारो को मानाने का चलन आ रहा है. और वो ही चलन आज भी बरक़रार है. और इन सभी त्यौहारो में से एक है होली का त्यौहार. इसे रंगों का पर्व भी कहते है.
होली का त्यौहार भारत में ही नही सम्पूर्ण विश्व में बड़ी धूमधाम से मनाये जाना वाले एक प्रसिद्ध त्यौहार है. हिन्दू धर्म में इस पर्व को अधिक मनाया जाता है. भारत में जितने भी पर्व मनाये जाते है उनके पीछे पौराणिक कथाएं होती है. वैसे आज कल तो सभी धर्म के लोग इसे मनाने लग गए है. होली का ये पर्व भारत के साथ साथ अमेरिका, न्यूजीलैंड, स्पेन, चीन, जापान के साथ साथ कई देशों में मनाया जाता है. 2 दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार में पहले वाले दिन होली दहन किया जाता है जिसे हम छोटी होली के नाम से भी जानते है. और दुसरे दिन बड़ी होली होती है.
होली रंगों का उत्सव है इस दिन बच्चो से लेकर बुजुर्ग लोग धूमधाम से इस पर्व का आनंद लेते है. एक साथ मिलकर खुशियां मानते है भाई चारा बढ़ाते है. तो आज के इस लेख में हम आपको होली क्यों मनाई जाती है और इसके पीछे की सभी कहानियाँ, प्रथा, इतिहास, के बारे में जानेगे.
होली क्या है (Holi Kya Hai)
होली के त्यौहार की खुशबु बसंत पंचमी के बाद से ही आने लग जाती है. यह त्यौहार हर साल फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन यानि वसंत ऋतू (Spring Season) के समय मार्च के महीने में मनाया जाता है. दो दिनों का पर्व होने के कारण पहले दिन होलिका दहन होता है और दुसरे दिन रंग वाली होली खेली जाती है. ये दिन बच्चो के लिए काफी रोचक भरा होता है. एक दुसरे को गुलाल और रंग लगाते है, मिठाइयाँ खाते है, एक दुसरे के गले मिलते है, नाच गाना होता है.
होली कब है ? (holi kab hai 2024 mein)
भारत में हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा यानि 25 मार्च, 2024 सोमवार के दिन शाम 06 बजकर 31 मिनट से 08 बजकर 58 मिनट के बीच होलिका दहन किया जायेगा। और इसके अगले दिन यानि 26 मार्च 2023 बुधवार को रंग वाली होली खेली जाएगी।
होली कब मनाई जाती है?
होली का त्यौहार का आना इस बात का संकेत देता है कि अब सर्दी जा चुकी है और गर्मी आने वाली है. यह वसंत ऋतू में आती है. इन दोनों ना तो ज्यादा ठण्ड पड़ती है और ना ही गर्मी पढ़ती है. यह मार्च के महीने में आता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार यह त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस पर्व को बसन्तोत्सव भी कहते है. ये मुख्य रूप से 2 दिनों तक मानते है. पहले दिन होलिका दहन किया जाता है जिसे सुखी लकड़ियों से बनाया जाता है और जब इसे दहन किया जाता है तब इसमें गोबर के कंडे डाले जाते है और इसकी आग में चने को सेके जाते है.
होली क्यों मनाई जाती है (हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा)
होली क्यों मनाई जाती है इसके पीछे कई पौराणिक कथा और कहानियाँ बताई जाती है जो मैं आपको बताने वाला हूँ, विष्णु पुराण की एक कथा के अनुसार प्राचीन काल में दैत्यराजा हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्याचारी राक्षस हुआ करता था. हिरण्यकश्यप अहंकार से लिप्त और अत्याचारी राजा था. वो अपने राज्य रह रहे लोगो को प्राणांतक यातनाएं देता था. वो खुद भगवान की पूजा नही करता था और ना ही अपने राज्य में किसी को करने देता अगर उसे पता पड़ जाता कि राज्य की जनता ने भगवान की पूजा अर्चना की तो हिरण्यकश्यप उसे मौत के घाट उतर देता था. वो चाहता था कि सभी लोग उसकी पूजा करे. हिरण्यकश्यप बहुत ही ज्यादा ताकतवर और बलवान बनना चाहता था तो उसने कई सालो तक तपस्या की. कड़ी तपस्या के बाद ब्रह्माजी ने अवतार लिया और उन्होंने हिरण्यकश्यप से पूछा की तुम्हेँ क्या वरदान चाहिए तो हिरण्यकश्यप ने वरदान माँगा कि, संसार का कोई भी जीव-जंतु, देवी-देवता, राक्षस या इंसान. ना ही रात में मरे, ना ही दिन में, ना ही प्रथ्वी पर, ना आकाश में ना घर में और ना ही बहार कोई उसको ना मार सके. यहाँ तक भी कोई भी अस्त्र या शस्त्र उसे ना मार पाए. ऐसा वरदान पाकर वह अमर होना चाहता था.
हिरण्यकश्यप के घर में भगवान में आस्था रखने वाला बेटा प्रह्लाद ने जन्म लिया. प्रह्लाद भगवान में अटूट विश्वाश रखता था. प्रह्लाद भगवान विष्णु जी का परम भक्त था. और उस पर भगवान विष्णु की असीम कृपा थी. हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को आदेश दिया कि वह किसी और की भक्ति नही करेगा. इसके बावजूद प्रह्लाद भगवान विष्णु की भक्ति करता रहता. लेकिन ये बात हिरण्यकश्यप को मंज़ूर नही थी. उसने अपने बेटे प्रह्लाद को मनाने के कई प्रयत्न किये लेकिन सब असफल रहे. प्रह्लाद के ना मानने पर हिरण्यकश्यप उससे मरने के लिए उतारू हो गया. उसने अपने बेटे को मारने के लिए कई प्रयास किये लेकिन भगवान विष्णु के आशीर्वाद से प्रह्लाद का बाल भी बका ना हो सका. हिरण्यकश्यप यहाँ तक भी नही रुका वो अपनी बहन होलिका के पास गया, होलिका को अग्नि से बचने का वरदान था. होलिका को वरदान में एक ऐसी चादर मिली हुई थी जो कभी आग में नही जलती थी. हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर अपने बेटे प्रह्लाद को आग में जलाकर मारने की योजना बनाई. और होलिका प्रह्लाद को लेकर जलती हुई आग में जाकर उस चादर के उपर जाकर बैठ गई. और प्रह्लाद भगवान विष्णु जी का जाप करने लगे तभी भगवान विष्णु के चमत्कार से चादर हवा में उड़ कर प्रह्लाद के उपर जाकर गिर गई और प्रह्लाद बच गया और प्रह्लाद की बुआ होलिका आग में जलकर भस्म हो गई. हिरण्यकश्यप की वजह से होलिका की मौत हो गए. तभी से होली का पर्व मनाया जाने लगा. इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व होता है.
जब प्रह्लाद जलती आग से बच गया तो हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया और उसे अपने दरबार में ले जाकर खम्भे से बांध दिया और कहा कि तू मुर्ख है, तू मेरी बात क्यों नही मानता. मैंने तुझे इस खम्भे से बांध रखा है अब क्यों नही बचाते तेरे भगवान. तभी हिरण्यकश्यप को मारने के लिए भगवान विष्णु खम्भे को तोड़ते हुए नरसिंह के अवतार (सर सिंह का और शरीर इंसान का) में प्रकट हुए और सायं की बेला में (ना दिन और ना रात) सभा की दहलीज पर (ना अंदर और ना बाहर) दरवाजे की चौकट पर बैठकर अपनी जांघ पर (ना हवा में और ना धरती पर) अपने नाख़ून से (ना अस्त्र से और ना शस्त्र से) हिरण्यकश्यप का सीना चीर दिया. इसके बाद से ही होली का त्यौहार मनाया जाने लगा.
होलिका दहन पूजन सामग्री
होली से एक दिन पहले होली का दहन किया जाता है और पूजा की जाती है पूजन में इन सामग्री की आवश्यकता होती है
- गोबर से बने कंडे
- रोली
- मोली
- पानी से भरा लोटा
- अगरबत्ती
- कपूर
- पताशा
- नारियल
- फूल
- कच्चा कपास
- चने और गेहूं की नई फसल
होली पर बनने वाली मिठाई
देश में हर साल कोई न कोई त्यौहार आता रहता है और हर त्यौहार पर कुछ स्पेशल व्यजन भी बनाये जाते है. होली पर भी कुछ खास मिठाई और ठंडाई बनाई जाती है जिसका लोग भरपूर आनंद लेते है. होली के दिन निम्न व्यजन ज्यादा बनाये जाते है-
- गुझिया
- पापडी़
- मीठी कचौड़ी
- पकोड़ा
- ठंडाई
होली के नुकसान
होली एक रंग बिरंगा पर्व माना जाता है इस दिन कई लोग तो प्राकृतिक रंग का इस्तमाल करते है तो कई लोग सिंथेटिक रंग का. कुछ हद तक प्राकृतिक रंग लगाने से शरीर को कोई नुकसान नही होगा लेकिन अधिक प्रयोग से या फिर सिंथेटिक रंग से स्किन में खुजली होने लग जाती है और एलर्जी का खतरा बना रहता है. इन रंग में कुछ रसायन तत्व होते है जिसकी वजह से लाल दाने, खुजली, चकते और फुंसी जैसी समस्या उत्पन हो जाती है. आँखों में रंग जाने से और भी बड़ा नुकसान हो सकता है.
होली का पक्का रंग कैसे छुड़ाएं
होली के दिन इतने रंग हमारे शरीर पर लग जाते है कुछ रंग तो आसानी से हट जाते है लेकिन कुछ रंगों को हटाना काफी मुश्किल होता है लेकिन हम आपको बताएँगे कि होली का पक्का रंग कैसे छुडाये.
- एक कटोरी बेसन में थोडा दूध या फिर नींबू मिलाकर अच्छे से पेस्ट बना ले और जहा पर रंग लगा है वह अच्छी तरह से लगा ले तक़रीबन 20 से 25 मिनट लगे रहने के बाद गुनगुने पानी से धो ले रंग आसानी से हट जायेगा.
- रंगों से होली खेलने के बाद बालों को शेम्पू से धोने से पहले बालों में दही या फिर अंडे की जर्दी लगा ले जिससे आपके बालों को कोई नुकसान नही होगा.
- साबुन का इस्तमाल ना करे नहाने से पहले आटे से स्किन को साफ कर ले.
होली खेलने से पहले सावधानियां
होली खेलने से पहले आपको कुछ सावधानियां रखनी होगी जिससे आपको और आपके शरीर को कोई नुकसान झेलना नही पड़ेगा.
- होली खेलने से पहले आप अपनी स्किन पर अच्छी तरह से तेल या फिर लोशन लगा ले. ताकि रंग आसानी से हट जायेगा और एलर्जी होने का डर भी नही होता.
- होली के दिन सर पर कपडा लगा ले और फुल बाजु के कपडे पहने.
- सूखे और प्राकृतिक रंग का इस्तमाल करे.
- अपनी पूरी बॉडी पर सरसों का तेल लगा ले जिससे लगा हुआ रंग आसानी से हट जायेगा.
- परमानेंट रंग जैसे- हरा, लाल, गोल्डन कलर का इस्तमाल ना करे
- हवा में रंग को ना फेंके नही तो किसी की आँख में जा सकता है.
- घर से बाहर जाने से पहेल चश्मे का प्रयोग करे.
- बच्चो को रंगों से दूर रखे.
- अपने नाखूनों को काटकर डार्क कलर का नेल पोलिश लगा ले
होली शायरी
राधा का रंग और कृष्ण की पिचकारी
प्रेम के रंग से रंग दो दुनिया सारी
ये रंग न जाने कोई जात न कोई बोली
मुबारक हो आप सभी को रंगों भरी होली
होली के दिन की ये मुलाकात याद रहेगी
रंगों की ये बरसात साथ रहेगी
आपको मिले रंगों की ये दुनिया ऐसी
ये मेरी दुआ आपसे साथ हमेशा रहेगी… होली मुबारक
सभी रंगों का रास है होली
मन का उल्लास है होली,
जीवन में खुशियाँ भर देती है,
बस इसीलिए ख़ास है होली।
Happy Holi Wishes 2024 in Hindi
गुलजार खिले हो परियों के, और मंजिल की तैयारी हो.
कपड़ों पर रंग के छींटों से खुशरंग अजब गुलकारी हो.
चढ़ेगे जब प्यारे रंग
एक मेरी दोस्ती का रंग भी चढ़ाना
लगने लगेगे तुम्हे सुहाने सारे रंग
और मेरी दोस्ती का रंग चमकेगा हर दम तुम्हारे संग
बोलो हैप्पी होली
FAQ
Q : इस साल होली कब मनाई जायेगी ?
Ans : इस साल होली 25 मार्च 2024 को मनाई जाएगी
Q : होली कब की है?
Ans : 25 मार्च 2024 शुक्रवार
Q : 2023 में होली कितने मार्च को है?
Ans : 25 मार्च को
Q : होलिका दहन का शुभ मुहूर्त कब है?
Ans : हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 25 मार्च रात 6 बजकर 31 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 58 मिनट के बीच होलिका दहन का शुभ मुहूर्त है।
Q : होलिका का असली नाम क्या था?
Ans : हयग्रीव
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