नगर पंचायत नगर निगम और नगर पालिका क्या होती है ?

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नगर पंचायत नगर निगम और नगर पालिका क्या होती है। नगर पंचायत नगर निगम और नगर पालिका में क्या अंतर होता है। नगर निगम, नगर पालिका के कार्य क्या होते है।

भारत एक लोकतान्त्रिक देश है। लोकतंत्र की वास्तविक शक्ति जनता में समाहित होती है। जनता ही लोकतंत्र में निर्णायक की भूमिका निभाती है। जनता ही राष्ट्र्रीय स्तर पर सरकार बनाती है और जनता ही शासन के निचले स्तर पर प्रधान को चुनती है। इसलिए भारत में स्थानीय स्वशासन पर जोर दिया गया। भारत के संविधान में ऐसी व्यवस्था की गई जिससे स्थानीय स्वशासन को बल मिले। स्थानीय स्वशासन का अर्थ है शासन का विकेन्द्रीयकरण। ताकि अंतिम छोड़ पर खड़ा व्यक्ति भी शासन में अपनी भागीदारी दर्ज कर सके और यही लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबसूरती है।

What is Municipal Corporation, Nagar Palika and Nagar Panchayat?

स्वतंत्रता के बाद पंचायती राज की स्थापना वास्तव में लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीयकरण की अवधारणा को मजबूत करने के लिए ही किया गया था। लम्बे अंतराल के बाद इसी क्रम में संविधान के 73वें व 74वे संशोधन के द्वारा ग्राम पंचायतों और नगर पालिकाओं की स्थापना की गई साथ ही उन्हें एक संवैधानिक मान्यता भी प्रदान की गई। संविधान के 73वें संशोधन के माध्यम से पंचायती राज और संविधान के 74वें संशोधन के माध्यम से नगरपालिका प्रणाली को कानूनी मान्यता दी गई। संविधान में नगरपालिका को तीन स्तर विभाजित में किया गया है। ये तीन है – नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगम। इस तरह से शासन-प्रशासन को तीन वर्गों में बाँट दिया है।

नगर पंचायत क्या है ?(Nagar Panchayat kya hai)

नगर पंचायत को शासन की सबसे निचली श्रेणी के नाम से जाना जाता है। यह निचली श्रेणी अवश्य है मगर समाज का अंतिम व्यक्ति भी यही से आगे बढ़ सकता है और लोकतंत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकता है। नगर पंचायत ऐसे क्षेत्रों में गठित की जाती है जो, गांव से शहर में परिवर्तित हो रहे हो। अर्थात शहरीकृत गांव हो। किसी क्षेत्र में नगर पंचायत की स्थापना के लिए वहां की आबादी कम से कम 30 हजार और अधिकतम आबादी एक लाख होनी आवश्यक है। इस प्रकार इस व्यवस्था से ग्रामीण क्षेत्रो में भी लोकतंत्र की नींव को मजबूत किया गया है।

नगर पालिका क्या है ?(Municipality) Nagar Palika kya hai

नगरपालिका एक शहरी निकाय शासन है। शासन की यह व्यवस्था नगर पंचायत से बड़ी मगर नगर निगम से छोटी होती है। वास्तव में, यह नगर पंचायत का ही बड़ा स्वरुप है। इसलिए इसकी स्थापना उस क्षेत्रों में भी की जाती है जहाँ पहले नगर पंचायत हुआ करती थी। किसी क्षेत्र में नगरपालिका की स्थापना के लिए आवश्यक है कि वहां की आबादी एक लाख से अधिक लेकिन पांच लाख से कम हो। हालांकि कुछ समय पहले तक आबादी की सीमा को लेकर नीति में अंतर देखने को मिलता है। जैसे पहले नगरपालिका गठित होने के लिए आबादी की न्यूनतम सीमा एक लाख नहीं बल्कि मात्र 20 हजार ही थी। मगर अब यह स्पष्ट हो गया है किसी क्षेत्र में नगरपालिका स्थापित होने के लिए वहां की न्यूनतम आबादी एक लाख होनी आवश्यक है।

नगर निगम क्या है ? (Municipal Corporation) Nagar Nigam kya hai

नगरपालिका के सबसे ऊपरी श्रेणी को नगर निगम के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार नगर निगम शहरी स्थानीय निकायों की सबसे बड़ी और वृहत श्रेणी है। किसी क्षेत्र में नगर निगम स्थापना के लिए आवश्यक है कि वहां कि आबादी 5 लाख से अधिक होनी चाहिए। इसमें आबादी की अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं की गई है क्योकि इसके ऊपर नगरपालिका की कोई अन्य श्रेणी नहीं है। इस कारण देश के लगभग सभी बड़े शहरो में नगर निगम की स्थापना की गई है। हालांकि भारत के बड़े शहरो में नगर निगम की स्थापना अलग अलग समय हुआ है। भारत में सबसे पहले नगर निगम की स्थापना 1687 ई में मद्रास (चेन्नई) में किया गया था। उसके बाद 1876 ई में कलकत्ता (कोलकाता), 1893 ई में  बम्बई (मुंबई) में और 1958 ई में दिल्ली में नगर निगम की स्थापना की गई। नगर निगम को ही सिटी कॉर्पोरेशन या महानगर पालिका या महानगर निगम (म्युनिसिपल कारपोरेशन) के नाम से जाना जाता है। नगर निगम राज्य सरकार के अधीन होता है।

नगर पालिका और नगर निगम के कार्य (Functions of Municipality and Municipal Corporation)

नगर पालिका और नगर निगम, स्थानीय निकाय के दो अलग अलग व्यवस्थाएं है मगर दोनों के कार्यो में काफी समानता है। दोनों के कार्य लोगो को बेहतर शहरी व्यवस्था प्रदान करना है। इनके कुछ महत्पूर्ण कार्य ये है –

  • क्षेत्र में सड़को का निर्माण करना एवं पुरानी व टूटी हुई सड़को का मरम्मत करना
  • सड़को को चौड़ी करना
  • फुटपाथ का निर्माण करना व उनका मरम्मत करना
  • शहर / क्षेत्र में लोगो के लिए शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाना
  • सार्वजनिक शौचालय, पार्क, हॉल, मैदान आदि बनाना व उनकी देखरेख करना
  • जल के निकास के लिए नाले नाली की व्यवस्था करना व समय समय पर उनकी सफाई करना
  • सड़को की साफ सफाई करना
  • लोगो की सुविधा के लिए सड़को, फुटपाथों व अन्य महत्वपूर्ण सावजनिक स्थल पर से अतिक्रमण हटाना
  • वाहनों के लिए पार्किंग का निर्माण करना एवं उनकी देख रख करना
  • आवारा पशुओ पर नियंत्रण करना व आश्यकता पड़ने पर उन्हें पकड़ना
  • प्राथमिक स्तर क्षेत्र के लोगो के लिए शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना
  • शहर / क्षेत्र में कूड़े कचड़ो को एकत्र करना एवं उसे शहर से बाहर ले जाकर निस्तारण करना
  • क्षेत्र की साफ सफाई व सौदर्यीकरण करना
  • जन्म मृत्यु का पंजीकरण करना

निष्कर्ष – इस प्रकार नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत तीनो ही शहरी स्थानीय निकाय है और इन सब का कार्य लोगो को जीवन जीने की आवश्यक सुविधा व सेवा उपलब्ध कराना है। वास्तव में, ये सस्थाएं प्रशासनिक इकाई होती है जो, क्षेत्र की जनसंख्या के आधार पर अलग अलग स्वरूपों में व्यवस्थित होती है। परन्तु इन सबका कार्य लोगो को शहरी सुविधा उपलब्ध कराना है।

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