इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले है दिल्ली सर्विस बिल क्या है (Delhi Services Bill In Hindi) और इसे क्यों लाया गया है के बारें में पूरी जानकारी.
Delhi Services Ordinance Bill – दिल्ली देश की राजधानी है. यहाँ से पुरे देश की शासन व्यवस्था को चलाया जाता है, जो केंद्र सरकार के माध्यम से संचालित होती है. लेकिन इसके साथ है दिल्ली का विकास व यहाँ की शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाना भी एक बड़ी जिम्मेदारी भरा कार्य है और इसके निर्वहन के लिए दिल्ली में राज्य सरकार की व्यवस्था की गई है. हालांकि दिल्ली और अन्य राज्यों में अंतर है. दिल्ली दूसरे राज्यों की भांति एक पूर्ण राज्य नहीं है. इसके कई कारण है, जिनमे एक प्रमुख कारण यह है कि दिल्ली देश की राजधानी होने के कारण दूसरे राज्यों से अधिक संवेदनशील है.
दिल्ली की इसी महत्वपूर्ण स्थिति के कारण इसे ‘राष्ट्रीय राजधानी का दर्जा’ मिला है?
इसी को ध्यान में रखकर वर्ष 1991 में सविधान के 69वां संशोधन किया गया था, जिसके अंतर्गत दिल्ली को देश का “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र” जिसको अंग्रेजी में “नेशनल कैपिटल टेरिटरी” के नाम से जानते है, का दर्जा मिला. इसके बाद वर्ष 2021 में केंद्र की मोदी सरकार ने इस कानून में कुछ अन्य संशोधन किये, इस संशोधन के माध्यम से दिल्ली के उपराज्यपाल को पहले से अधिक अधिकार प्रदान कर दिए गए, जिसके बाद केंद्र और दिल्ली की सरकार के बीच विवाद बढ़ गया.
इस विवाद के बाद दिल्ली की केजरीवाल सरकार सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके इस पर अपना निर्णय सुनाने का आग्रह किया, जिसके बाद 11 मई 2023 को उच्चतम न्यायालय की ओर से जो निर्णय आया उसमें दिल्ली सरकार को कई अधिकार बहाल कर दिए गए, जबकि दिल्ली के उप राज्यपाल के अधिकार को पहले बहुत अधिक सीमित कर दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट के उसी फैसले को पलटने के लिए केंद्र सरकार दिल्ली सर्विस बिल लेकर आई
अब इसके विरुद्ध 19 मई 2023 को केंद्र की मोदी सरकार एक अध्यादेश लेकर आयी, जिसके अंतर्गत दिल्ली के उपराज्यपाल को फिर से प्रशासनिक अधिकारियों की तबादले, उनकी तैनाती जैसे अधिकारों को बहाल करने के प्रावधान थे. इसमें राष्ट्रीय राजधानी सिविल सर्विसेज ऑथोरिटी का गठन किया गया, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और गृह सचिव को इसका मेंबर बना दिया गया. बाद में केंद्र की मोदी सरकार उस अध्यादेश को लोकसभा और राज्यसभा (Delhi Services Bill Passed In Rajya Sabha) में पारित कराने में सफल रही और वह दिल्ली सेवा बिल (Delhi Services Bill In Hindi) के नाम से कानून का रूप ले लिया.
दिल्ली सेवा बिल क्या है ? (What Is Delhi Services Bill)
- इस बिल के द्वारा उपराज्यपाल को नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस ऑथोरिटी (NCCSA) के द्वारा की गई सिफारिस में अपने विवेक का पूर्ण अधिकार देता है .
- इस बिल के जरिए उपराज्यपाल को दिल्ली की विधानसभा को बुलाने, स्थगित करने और भंग करने का अधिकार दिया गया है.
- इस बिल में यह प्रावधान है कि नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस ऑथोरिटी अर्थात एनसीसीएसए की कोई भी सिफारिशें बहुमत पर आधारित होगी. लेकिन इसके बाद भी उपराज्यपाल के पास यह विशेषाधिकार होगा कि वे उन सिफारिशों की स्वीकृति दे अथवा न दें. इतना ही नहीं पुनर्विचार करने अथवा किसी मतभेद की स्थिति में उपराज्यपाल का निर्णय ही अंतिम माना जाएगा.
- दिल्ली सेवा बिल के माध्यम से दिल्ली के उपराज्यपाल को विधायी शक्तियों के साथ साथ प्रशासनिक मामलो में भी निर्णय लेने का अधिकार प्रदान किया गया है.
- इस बिल के माध्यम से जहाँ दिल्ली के एलजी को सर्वोच्च शक्ति प्रदान की गई तो वही दिल्ली के मुख्यमंत्री के अधिकारों को सीमित कर दिया गया है.
- यद्यपि दिल्ली के एलजी को अधिक अधिकार दिया है मगर फिर भी इस बिल में यह निर्देश है कि अफसरों की पोस्टिंग, ट्रांसफर आदि से जुड़े मामलो का निर्णय नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस ऑथोरिटी के माध्यम से ही होगा.
- एनसीसीएसए के चेयरमैन दिल्ली के मुख्यमंत्री होंगे जबकि इसके सचिव और गृह सचिव भी होंगे एनसीसीएसए के पास जमीन, दिल्ली पुलिस, पब्लिक आर्डर जैसे विभाग को छोड़कर अन्य मामलो से जुड़े अफसरों, कर्मचारियों के ट्रांसफर, पोस्टिंग आदि की सिफारिस दिल्ली के उपराज्यपाल के पास करने का प्रावधान है. इसके साथ ही यदि किसी अधिकारी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई अथवा अनुशासनात्मक करवाई करनी हो, तब भी एनसीसीएसए को उसकी सिफारिस एलजी के पास ही करनी होगी.
- एनसीसीएसए अर्थात नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस ऑथोरिटी अपने दम पर कोई निर्णय नहीं ले सकता है हर हाल में उसे दिल्ली के एलजी से ही स्वीकृति लेनी होगी.
दिल्ली सेवा बिल क्यों लाया गया ? (Delhi Services Ordinance Bill)
देश की राजधानी दिल्ली दूसरे राज्यों से अलग है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद (Delhi Services Bill In Parliament) में बोलते हुए कहा था, “दिल्ली कई मायनो में सभी राज्यों से अलग प्रदेश है क्योकि यहाँ संसद भवन भी है, कई सारे इंस्ट्रीट्यूटूशन भी है, सुप्रीम कोर्ट है, एम्बेसीज भी यहाँ है. यहाँ बार बार दुनियाभर के राष्ट्राध्यक्ष चर्चा करने के लिए आते रहते है. इसलिए दिल्ली को यूनियन टेरिटरी बनाया गया है. स्टेट लिस्ट के मुद्दों पर यहाँ की सरकार को सीमित मात्रा में अधिकार दिए गए है. दिल्ली एक असेम्बली के साथ साथ सीमित अधिकारों के साथ यूनियन टेरिटरी है.”
जानिए क्या है नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस ऑथोरिटी
केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली के लिए National Capital Civil Service Authority नाम की कमिटी का गठन किया गया, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के गृह सचिव और मुख्य सचिव को शामिल किया गया, जबकि इस कमिटी का प्रमुख दिल्ली का मुख्यमंत्री को बनाया गया है. यही कमिटी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में पदस्थापित अफसरों का ट्रांसफर, पोस्टिंग अथवा दंडात्मक (अनुशासनात्मक) करवाई करेगा. लेकिन इसका निर्णय सदैव एक होना चाहिए अथवा बहुमत के साथ निर्णय होना चाहिए. उदाहरण के लिए यदि किसी मामले में तीन के बदले दो मत पड़े तो निर्णय दो वाले के पक्ष में होने की संभावना है. संभावना इसलिए क्योकि अंतिम निर्णय दिल्ली के एलजी का होगा. कमेटी को किसी भी मामले में उपराज्यपाल का निर्णय लेना ही होगा और दिल्ली के एलजी का निर्णय कमेटी के लिए मान्य होगा.
दिल्ली सेवा बिल से दिल्ली में क्या बदलाव हुआ ?
इस बिल (Delhi Services Bill Kya Hai) से दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर, पोस्टिंग आदि का अधिकार पूर्ण रूप से दिल्ली के एलजी के पास आ गया है. अब दिल्ली के मुख्यमंत्री की शक्ति देश के दूसरे राज्यों की भांति नहीं रह गई है. उसी के विपरीत देश के दूसरे राज्यों की तुलना में दिल्ली के उपराज्यपाल (चूँकि दिल्ली में राज्यपाल नहीं उपराज्यपाल होता है) की शक्ति बहुत अधिक बढ़ गई है. दूसरे शब्दों में, दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है. यहां मुख्यमंत्री की शक्ति सीमित है.
निष्कर्ष :- तो आज के इस लेख में आपने जाना दिल्ली सर्विस बिल क्या है (Delhi Services Bill In Hindi) के बारे में. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.
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