प्रथम विश्व युद्ध के कारण, परिणाम एवं प्रभाव पर निबंध | First World War Kyo Aur Kab Hua, History, Eassy in Hindi

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प्रथम विश्व युद्ध के कारण, परिणाम, प्रभाव, निष्कर्ष, इतिहास (First World War Kyo Aur Kab Hua, History, Eassy In Hindi) Pratham Vishwa Yudh Kab Hua Tha, 1st world war in hindi

First World War in Hindi – विश्व के इतिहास में ऐसी कुछ घटनाएं घटी है जिसको न तो भुलाया जा सकता है और न ही उसे अनदेखा किया जा सकता है क्योकि उससे हमें कई बातों को समझने का अवसर मिलता है। वे घटनाएं ऐसी रही है जो, मानव सभ्यताओं को झकझोड़ कर रख दिया था। इतिहास की ऐसी ही एक घटना है जिसको, हम प्रथम विश्वयुद्ध (First World War in Hindi) के नाम से जानते है।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको प्रथम विश्व युद्ध के कारण, परिणाम एवं प्रभाव पर निबंध (First World War Kyo Aur Kab Hua, History, Eassy in Hindi) के बारें में पूरी जानकारी देने वाले है।

First World War in hindi

प्रथम विश्व युद्ध विवरण (World War 1 in Hindi )

कौनसा युद्ध प्रथम विश्वयुद्ध (First World War in Hindi)
दिनांक 28 जुलाई 1914 से लेकर 11 नवंबर 1918 तक
जगह यूरोप, अफ्रीका, मध्य पूर्व, प्रशांत द्वीप समूह, चीन, हिंद महासागर, उत्तर और दक्षिण अटलांटिक महासागर
युद्ध शक्ति
मित्र राष्ट्र शक्ति (Allied Powers) केन्द्रीय शक्ति (Central Power)
इंग्लैंड, जापान, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, रूस और फ्रांस जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी  ऑटोमन साम्राज्य और बुल्गारिया
5,525,000 सैनिक मारे गए 4,386,000 सैनिक मारे गए
12,832,000 सैनिक घायल हुए 8,388,000 सैनिक घायल हुए
4,000,000 नागरिक मारे गए 3,700,000 नागरिक मारे गए

प्रथम विश्व युद्ध क्यों हुआ (First World War in Hindi)

प्रथम विश्वयुद्ध का कार्यकाल 28 जुलाई 1914 से 11 नवम्बर 1918 तक था। इस काल में होने वाले देशो के बीच को विश्व युद्ध इसलिए कहा गया क्योंकि यह युद्ध उस समय तक के सबसे अधिक विनाशकारी थे और इसमें कई देशो ने भाग लिया था। माना तो यह भी जाता है कि प्रथम विश्व युद्ध के कारण आधी से ज्यादा दुनियां इसके युद्ध की अग्नि में जल रही थी। प्रथम विश्व युद्ध (First World War in Hindi) यूरोप, एशिया व अफ्रीका महादेशो के बीच हुआ था। मगर फिर भी इसे मुख्य रूप से यूरोप का ही युद्ध कहा गया है। यह युद्ध इतना विनाशकारी था कि इसका प्रभाव पूरी दुनियां पर पड़ा था। यह युद्ध मानव सभ्यता की जड़ को हिला कर रख दिया था। प्रथम विश्व युद्ध एक साथ धरती, समुद्र और आकाश में लड़ा गया था। इस युद्ध में उस समय के विकसित सबसे आधुनिकतम अस्त्र शस्त्र का प्रयोग किया गया था।

प्रथम विश्व युद्ध में विश्व के कई देश दो गुटों में बट गए थे। मित्र राष्ट्र (Allied Powers) और केन्द्रीय शक्ति (Central Power)। मित्र राष्ट्रों का नेतृत्व ब्रिटेन, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, रूस और फ्रांस कर रहे थे। जबकि केन्द्रीय शक्ति का नेतृत्व जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी ऑटोमन साम्राज्य और बुल्गारिया कर रहे थे। चार वर्षो तक चलने वाला यह युद्ध इतना भयानक था कि इसमें लगभग एक करोड़ से ज्यादा लोग मारे गए थे जबकि इससे दोगुना लोग घायल हुए थे। यह महाविनाशकारी युद्ध 52 महीने तक चला था। इस महाविनाशकारी युद्ध के बाद विश्व में कई बदलाव देखे गए। कई देश बर्बाद हो गए तो कुछ देश आगे बढ़ गए। इसी युद्ध के बाद अमेरिका विश्व में सुपर पॉवर बनकर उभरा।

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प्रथम विश्व युद्ध के कारण (Cause of First World War in Hindi)

प्रथम विश्व युद्ध के यदि कारण पर विचार किया जाएं तो यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि इसके कोई एक दो कारण नहीं थे बल्कि अनेक कारण थे। कई कारण ऐसे थे जिनके बीज बहुत पहले ही बो दिए गए थे जबकि कुछ कारण तात्कालिक थे। फिर भी इन कारणों को मुख्य रूप से प्रथम विश्व युद्ध का जिम्मेदार माना गया है।

यूरोपीय देशो के बीच हथियारों की होड़

प्रथम विश्व के कई कारणों में से एक प्रमुख कारण पश्चिमी देशो में हथियारो की होड़ थी। सभी एक बढ़कर एक हथियार को विकसित करने में लगे थे। यूरोपीय देशो में मशीन गन, टैंक, बड़े बड़े जहाजी बेड़े विकसित कर चुके थे। उनके पास एक बड़ी सेना की टुकड़ी भी थी। क्योकि कई देशो ने भविष्य में होने वाले युद्धों की तैयारी को ध्यान में रखते हुए अपनी सेनाओ की संख्या में बहुत अधिक वृद्धि कर ली थी। इन में जर्मनी और इंग्लैंड सबसे आगे थे।

यूरोप में होने वाली औद्योगिक क्रांति

विश्व में सबसे पहले यूरोप में ही औद्योगिक क्रांति हुई थी। औद्योगिक क्रांति के कारण उन्हें जहाँ एक ओर कच्चे माल की आवश्यकता थी तो वही तैयार माल को बेचने के लिए एक बड़े बाजार की आवश्यकता भी थी। परिणाम यह हुआ कि वे दूसरे देशो पर आक्रमण करने की तैयारी में जुट गए। जो विश्व युद्ध का कारण बना।

राष्ट्रों के बीच गुप्त संधियां

प्रथम विश्व युद्ध का एक प्रमुख कारण राष्ट्रों के बीच होने वाली गुप्त संधियां भी थी। राष्ट्रों के बीच होने वाली गुप्त संधियों ने विभिन्न देशो को एक दूसरे के प्रति अविश्वास की स्थिति उत्पन्न कर दी। इस कारण यूरोपीय देशो में डर और अविश्वास का वातावरण बन गया।

साम्राज्यवाद की प्रवृति

प्रथम विश्व युद्ध का एक प्रमुख कारण यूरोपीय देशो में साम्राज्यवाद की प्रवृति रही थी। सभी देश चाहते थे कि उनका अधिक से अधिक देशो पर अधिकार हो जाए। वे एशिया और अफ्रीका के अधिक से अधिक देशो पर शासन करना चाहते थे। इनमे इंग्लैंड सबसे आगे था। साम्राज्यवाद की प्रवृति के कारण वे हथियारों पर अधिक धन व्यय करने लग गए। उन्होंने इसके लिए सेनाओ की संख्या में बेतहासा वृद्धि कर ली। जो बाद में विश्वयुद्ध का कारण बना।

तात्कालिक कारण

प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण आर्चड्यूक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की हत्या था। आर्कड्यूक फर्डिनेंड ऑस्ट्रिया के प्रिंस थे और वे ऑस्ट्रिया के राजा बनने वाले थे। उस समय वे अपनी पत्नी के साथ सेराजेवो, जो बोस्नियां में है, वहां घूमने आये हुए थे जहाँ, 28 जून, 1914 में उन दोनों की हत्या कर दी गई। इस हत्या के बाद समूचा यूरोप स्तब्ध था और वे सभी इसके लिए सर्विया को जिम्मेदार ठहराया। इस घटना के बाद ऑस्ट्रिया ने सर्विया को समर्पण करने को कहा। ऑस्ट्रिया को ऐसा लगता था कि साइबेरिया जो कि बोस्निया को स्वतंत्रता प्राप्ति में सहायता कर रहा था, इस हत्या में शामिल है। परन्तु साइबेरिया ने रूस से सहायता मांगी और फिर रूस के हस्तक्षेप से स्थिति और बिगड़ गई। इस घटना के एक महीने बाद ही अर्थात 28 जुलाई, 1914 को ऑस्ट्रिया ने सर्बिया पर आक्रमण कर दिया। इसके बाद इन दो देशो के युद्ध में विभिन्न देश शामिल होते चले गए और धीरे धीरे यह एक महाविनाशकारी विश्व युद्ध का स्वरुप ले लिया।

प्रथम विश्व युद्ध के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points of World War I)

  • प्रथम विश्व युद्ध का आरम्भ 28 जुलाई, 1914 को हुआ था।
  • यह युद्ध 4 वर्षो तक चला था, अर्थात यह महाविनाशकारी युद्ध 52 महीने तक चला था।
  • प्रथम विश्व युद्ध में 37 देशो ने भाग लिया था।
  • प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण बोस्निया में ऑस्ट्रिया के राजकुमार की हुई हत्या था।
  • प्रथम विश्व युद्ध में दुनिया दो गुटों में बटी थी – मित्र राष्ट्र शक्ति (Allied Powers) और केन्द्रीय शक्ति (Central Power)।
  • मित्र राष्ट्रों में इंग्लैंड, जापान, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, रूस और फ्रांस थे।
  • धुरी राष्ट्रों का नेतृत्व जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी  ऑटोमन साम्राज्य और बुल्गारिया कर रहे थे।
  • प्रथम विश्व युद्ध का एक प्रमुख कारण राष्ट्रों के बीच होने वाली गुप्त संधियां था।
  • प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति 11 नवम्बर, 1918 को जर्मनी के आत्मसमर्पण के साथ हो गई ।
  • युद्ध के हर्जाने के रूप में जर्मनी से 6 अरब 50 करोड़ राशि की मांग की गई थी।
  • इस युद्ध के बाद दो प्रमुख बदलाव हुए, पहला – राष्ट्रसंघ का निर्माण और दूसरा – अमरीका विश्व में सबसे अधिक शक्तिशाली देश के रूप में उभर कर आया।

प्रथम विश्व युद्ध का अंत (End of First World war in Hindi)

इस युद्ध ने जर्मनी को बर्बाद कर दिया था। परिणामतः उसके पास आत्मसमर्पण के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचा था। अंततः 11 नवम्बर 1918 को आधिकारिक रूप से जर्मनी ने आत्मसमर्पण कर दिया। जर्मनी के आत्मसमर्पण के साथ ही प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति हो गई। इसके बाद 28 जून, 1919 को जर्मनी ने वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर किये। इस संधि के बाद कहने को तो सब शांत हो गए थे मगर सच्चाई यह थी कि यही संधि द्वितीय विश्व युद्ध का एक प्रमुख कारण बना। क्योकि जर्मनी इस संधि को एक अपमानजनक संधि मानता था। इस संधि के शर्त के अनुसार जर्मनी को अपनी ही भूमि के एक बड़े से भू-भाग से हाथ धोना पड़ा। जर्मनी को दूसरे देशो पर अधिकार करने पर भी रोक लगा दी गई। साथ ही उसे अपनी सेना का आकार भी काफी सीमित करना पड़ा। इस तरह इतिहासकार का मानना है कि इस संधि के द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के बीज प्रथम विश्व युद्ध में ही रोप दिए गए थे।

इस युद्ध के समाप्त होते होते विश्व में बहुत से बदलाव हुए। रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया जैसे देशो का विनाश हो गया। यूरोप की सीमाओं का फिर से निर्धारण हुआ लेकिन इस युद्ध में सबसे अधिक लाभ अमेरिका को हुआ। प्रथम विश्व युद्ध के बाद ही अमेरिका विश्व में एक सुपरपॉवर के बनकर उभरा।

प्रथम विश्वयुद्ध में भारत की भूमिका

प्रथम विश्वयुद्ध के समय भारत पर इंग्लैंड का अधिकार था। इस कारण यहाँ के लोगो को भी इंग्लैंड की ओर से लड़ाई में जाना पड़ा। अंग्रेज बड़ी संख्या में भारत के लोगो को सेना में भर्ती करके विभिन्न देशो के युद्धग्रस्त क्षेत्रो में भेज दिया था। बताया जाता है कि वर्ष 1914 से लेकर वर्ष 1918 तक इन चार वर्षो में भारत से 11 लाख सैनिको को इंग्लैंड के द्वारा युद्धग्रस्त देशो में भेजा गया था। बताया ये भी जाता है उन 11 लाख भारतीय सैनिको में से 74,000 हजार ऐसे भी सैनिक थे जो फिर कभी लौट कर भारत नहीं आ पाएं। उनकी मृत्यु वही लड़ते हुए हो गई। लौटने वाले अन्य भारतीय सैनिको में से 70,000 हजार भारतीय सैनिक ऐसे थे जो, स्थायी तौर पर विकलांग हो चुके थे। अंग्रेज भारत से न केवल सैनिक के नाम पर लोगो को ले गए बल्कि इसके अलावा वे ऐसे लोगो को भी ले गए जो, अन्य किसी महत्वपूर्ण रोजगार से जुड़े हुए थे। अंग्रेज बड़ी संख्या में धोबी, नाई, मजदूर को भी विदेश ले गए थे। भले ही भारत इस युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से नहीं लड़ रहा था मगर इंग्लैण्ड के अधीन होने के कारण  उसे अप्रत्यक्ष रूप से भाग लेना ही पड़ा था और इस कारण इस युद्ध में भारत को भी एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी। प्रथम विश्व युद्ध में भारत को बड़ी संख्या में न केवल अपनों को खोना पड़ा था बल्कि भारत को बहुत बड़ी आर्थिक क्षति भी हुई थी। उस युद्ध में भारत की ओर से आठ करोड़ पाउंड के उपकरण और लगभग 15 करोड़ पाउंड की सीधी आर्थिक सहायता के रूप में इंग्लैंड को देने पड़े थे। इस तरह से प्रथम विश्व युद्ध भारत के लिए भी विनाशकारी रहा और भारत ने इस युद्ध में बहुत कुछ गवांया।

प्रथम विश्वयुद्ध के परिणाम (Result of First World war in Hindi)

प्रथम विश्वयुद्ध ने पुरे विश्व की आर्थिक, सामाजिक और राजनितिक दिशा और दशा दोनों को बदलकर रख दिया था. जिनका परिणाम निम्नलिखित है-

आर्थिक परिणाम – प्रथम विश्वयुद्ध के बाद विश्व के सभी देशों को आर्थिक क्षति का काफी सामना करना पड़ा था. जन धन की अपार क्षति हुई. लाखो लोग मारे गए, कई हज़ार करोडो की सम्पति नष्ट हो गई और कई हजारों फेक्ट्री बंद हो गई. आर्थिक संकट उत्पन होने से वस्तुओं की मूल्य में बढ़ोतरी हो गई जिससे मुद्रा स्थिति की समस्या उत्पन हो गई.

सामाजिक परिणाम – प्रथम विश्वयुद्ध के बाद कई तरह के सामाजिक परिणाम सामने आये है जिसमे काले गोरे  का भेद, जनसंख्या की क्षति, मजदूरों की स्थिति में सुधार , सामाजिक मान्यताओ में काफी बदलाव और स्त्रियों के सामाजिक स्तर में सुधार आदि थे.

राजनितिक परिणाम – प्रथम विश्वयुद्ध में बड़े बड़े साम्राज्य और देश बिखर गए. विश्व के मानचित्र में बदलाव देखने को मिला.  प्रथम विश्वयुद्ध के पहले राजनीति स्तर में यूरोप का दबदबा था लेकिन 1918 के बाद यूरोप का दबदबा ख़त्म हो गया और अमेरिका शक्तिशाली देश बन गया.

निष्कर्ष – तो आज के इस लेख में आपने जाना प्रथम विश्वयुद्ध (First World War in Hindi) के बारे में. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.

FAQ

Q :  प्रथम विश्वयुद्ध कब हुआ?
Ans : 28 जुलाई  1914 से  लेकर 11 November नवम्बर  1918 तक।

Q :  द्वितीय विश्व युद्ध कब हुआ?
Ans : 1 सितंबर 1939 से  लेकर 2 सितंबर 1945 तक।

Q :  कितने विश्व युद्ध हुए हैं?
Ans : अब तो 2 विश्व युद्ध हुए हुए. प्रथम विश्व युद्ध 1914 से लेकर 1918 के बीच और द्वितीय विश्व युद्ध 1 सितंबर 1939 से  लेकर 2 सितंबर 1945 तक हुआ।

Q :  प्रथम विश्व युद्ध में कितने देश शामिल थे?
Ans : प्रथम विश्व युद्ध में 30 से ज्यादा देश शामिल थे।

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