पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच युद्ध कारण, परिणाम | Pakistan Bangladesh War Reason, Result in Hindi

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भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच युद्ध कारण, परिणाम व प्रभाव (Indo-Pakistani War 1971, Pakistan Bangladesh War Reason, Result, Effects in Hindi)

इस आर्टिकल में हम आपको पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच युद्ध कारण, परिणाम (Pakistan Bangladesh War Reason, Result in Hindi) के बारे में पूरी जानकरी देने वाले है जिसे जानना और समझना आपके लिए बेहद जरुरी है.

Indo-Pakistani War 1971

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच युद्ध (Pakistan Bangladesh War in Hindi)

14 अगस्त 1947 को धर्म के आधार पर भारत का विभाजन इस आधार पर हुआ कि हिन्दू और मुसलमान एक साथ नहीं रह सकते और फिर  विभाजन के बाद पाकिस्तान का उदय हुआ। मगर आज का पाकिस्तान उस समय दो अलग अलग भागो में विभक्त था – एक था पश्चिमी पाकिस्तान और दूसरा था पूर्वी पाकिस्तान। आज का पाकिस्तान तब का पश्चिमी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था जबकि आज का स्वत्रंत बांग्लादेश तब का पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था। मगर पाकिस्तान तो पाकिस्तान था। धर्म के आधार पर वो भारत से अलग तो हो गया मगर वो अपने ही देश के दूसरे भाग – अर्थात पूर्वी पाकिस्तान के साथ अन्याय करने लगा। कारण ये थे कि उसे बांग्ला भाषा और बंगाली दोनों से घृणा थी। उसे केवल मुसलमान ही प्रिय था। हालांकि यह अलग बात है कि वो भारत से गए मुसलमान को भी आज तक नहीं अपनाया है साथ ही वे आज भी आपस में ही लड़ते रहते है। मगर इतना होने पर भी पाकिस्तान अपनी गलती को कभी नहीं मानता है। हिंसा करना, उत्पात मचाना और फिर स्वयं अपने आपको ही पीड़ित बतलाना पाकिस्तान के डीएनए में है।

बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम (Bangladesh Liberation War In Hindi)

बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम 1971 में हुआ। बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम को मुक्ति संग्राम के नाम से भी जाना जाता है। बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम 25 मार्च 1971 से लेकर 16 दिसंबर 1971 तक चला। इस संग्राम में पाकिस्तान के द्वारा बांग्लादेश के बंगालियों पर अत्याचार के रूप में क्रूरता की सारी सीमाएं पार की गई। लेकिन अंत में 16 दिसम्बर 1971 को बांग्लादेश एक स्वत्रंत देश बनने में सफल हो गया और इस तरह से पाकिस्तान का बँटवारा हो गया। अब पूर्वी पाकिस्तान उसके हाथ से निकल चुका था और इस प्रकार उसी पूर्वी पाकिस्तान का अब बांग्लादेश के नाम से विश्व मानचित्र पर एक स्वतंत्र देश के रूप में उदय हुआ।

बांग्लादेश की आजादी से पहले पाकिस्तान यहाँ वर्षों से बंगालियों पर हर प्रकार के अत्याचार करता आ रहा था जिससे वहां के लोगो में पाकिस्तान को लेकर क्रोध था। लोग सड़को पर उतर आये। पाकिस्तान ने बड़ी संख्या में सेना को भेजकर वहां के विद्रोह को दबाने की कोशिश की। पाकिस्तानी सेनाओ ने वहां अत्याचार की सारी सीमाओं को पार किया। लोगो पर सरेआम गोलियां मारी। लाखो लोगो को पाकिस्तानी सेनाओ ने मार डाला। स्त्रियों की स्थिति बद से बदतर हो गयी। पाकिस्तानी सेनाओ ने सरेआम वहां की स्त्रियों के सम्मान से खिलवाड़ किया। एक जानकारी के अनुसार चार लाख स्त्रियों के साथ पाकिस्तानी सेनाओ ने बलात्कार को अंजाम दिया। उन्हें वे पकड़ पकड़ कर सेक्स वर्कर की तरह रख रहे थे। 20 से 30 लाख बंगालियों का पाकिस्तानी सेनाओ ने सरेआम हत्या कर दिया। पाकिस्तानी सेनाओ ने हर वो अत्याचार किया जो मानवता को कलंकित करने वाला था। इतना सब हो गया मगर अमरीका सहित संयुक्त राष्ट्र संघ चुपचाप देखता रहा। क्योकि हमेशा की तरह ये सब न्याय नहीं केवल राजनीति करने में व्यस्त रहे। मगर भारत चुपचाप बैठा नहीं रह सकता था। क्योकि लाखो नहीं करोड़ों की संख्या में लोग बांग्लादेश तब के पूर्वी पाकिस्तान से भागकर भारत में आकर शरण ले रहे थे। इससे जहाँ एक ओर भारत पर जनसंख्या का दबाव भी बढ़ गया तो दूसरी ओर भारत बंगालियों पर होने वाले अमानवीय अत्याचारों को नहीं देख सकता था। परिणाम यह हुआ कि भारत का पाकिस्तान से सीधा युद्ध हो गया। भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध मुख्य रूप से दो मोर्चो पर चला। पूर्वी कमान और पश्चिमी कमान। उस समय की परिस्थिति के अनुसार युद्ध भयानक था। मगर हर बार की तरह पाकिस्तान भारत के हांथो बुरी तरह से पराजित हुआ। मात्र 13 दिनों तक चले युद्ध के बाद पाकिस्तानी सेना ने भारत के सामने पराजय स्वीकार कर लिया। इस तरह 16 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान ने भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। पाकिस्तान की करीब 93 हजार सैनिको को भारत ने बंदी बना लिया था। इस तरह से एक नया राष्ट्र बांग्लादेश का उदय हुआ। भारत की पाकिस्तान पर इस ऐतिहासिक जीत को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भारत पाकिस्तान के बीच सीधा युद्ध

आज का बांग्लादेश तब का पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना ने बंगालियों पर अत्याचार की सारी सीमाओं को पार किया। एक जानकारी के अनुसार पाकिस्तानी सेना के द्वारा पूर्वी पाकिस्तान में रहने वाले लगभग 2 से 4 लाख महिलाओ के साथ बलात्कार किया गया था। पाकिस्तानी सेना के द्वारा लगभग 20 से 30 लाख लोगो की सरेआम हत्या की गई। इससे लोग भयभीत होकर पूर्वी पाकिस्तान से भागकर भारत में शरण लेने लगे। इससे भारत पर जनसंख्या का दबाव बढ़ गया। दूसरी ओर भारत परोस में होने वाले पाकिस्तानी सेना के अत्याचार को मूक दर्शक की भांति नहीं देख सकता था। परिणाम यह हुआ कि भारत का पाकिस्तान के साथ सीधा युद्ध हुआ।

3 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर आक्रमण कर दिया। 1965 के युद्ध के बाद यह दूसरा अवसर था, जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीधा युद्ध हुआ था। भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध मुख्य रूप से दो मोर्चो पर चला। पूर्वी कमान और पश्चिमी कमान। उस समय की परिस्थिति के अनुसार युद्ध भयानक था। अमेरिका सहित ब्रिटेन ने भी पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया। अमेरिका ने भारत को भयभीत करने के लिए और पाकिस्तान का साथ देने के लिए बंगाल की खाड़ी में अपनी नौसेना का 7 वां बेड़ा खड़ा कर दिया। मगर भारत फिर भी भयभीत नहीं हुआ। अंत में 16 दिसंबर को पाकिस्तानी सेना ने भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। भारतीय सेना ने 93 हजार पाकिस्तानी सेना को बंदी बना लिया। इस तरह से भारत और पाकिस्तान के बीच चला 1971 के युद्ध का अंत हुआ। यह युद्ध मात्र 13 दिनों तक चला मगर इन 13 दिनों में ही पाकिस्तान भारत के पैरो पर गिर गया।

बांग्लादेश के उदय के कारण

पाकिस्तान के द्वारा पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) पर अपनी उर्दू भाषा और अपनी संस्कृति थोपी जा रही थी। पश्चिमी पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान) के केंद्र में बैठी सरकार पूर्वी पाकिस्तान के साथ भेदभाव किया जा रहा था। इससे पूर्वी पाकिस्तान में भयानक असंतोष का वातावरण बन गया था। लेकिन पाकिस्तान अपनी आदत में सुधार के बदले उसे शक्ति से दमन करना चाहा। इस कारण लोगो में पाकिस्तान के प्रति विद्रोह हो गया और पाकिस्तान उस विद्रोह को दबाने के लिए बड़े संख्या में नरसंहार किया। स्त्रियों के साथ बलात्कार किया।

पाकिस्तान के भीषण अत्याचार से त्रस्त होकर बांग्लादेश में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने के लिए मुक्तिवाहिनी सेना का गठन हुआ। बताया जाता है कि मुक्तिवाहिनी सेना में बांग्लादेश के सैनिक, अर्ध-सैनिक, पूर्व सैनिक और आम नागरिक शामिल थे। उनमे देश के लिए कुछ कर गुजरने का मनोबल था। वे पाकिस्तानी सेना से गुरिल्ला तरीके से युद्ध कर रहे थे। मुक्तिवाहिनी सेना को भारतीय सेना का खुला समर्थन प्राप्त था। इस कारण उनका मनोबल ऊँचा होना स्वाभाविक था। आज का बंगलादेश और तब के पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना ने अन्याय की सारी सीमाओं को पार कर लिया था। एक अनुमान के अनुसार पाकिस्तानी सेना ने वहां के लगभग 2 लाख से 4 लाख महिलाओ के साथ बलात्कार को अंजाम दिया। उन्हें सेक्स वर्कर बनाया। पाकिस्तानी सेना ने करीब 30 लाख आम नागरिको की हत्या की। पाकिस्तान के द्वारा पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में किये गए नरसंहार और महिलाओ के साथ बलात्कार विश्व के अब तक के सबसे भयानक घटनाओ में से एक है। मगर इतना होने पर भी अमरीका और संयुक्त राष्ट्र संघ सहित सभी संघटन आँख मूंदे हुए थे।

पाकिस्तान का विभाजन भारत के हित में

पाकिस्तान के विभाजन से पहले अर्थात बांग्लादेश बनने से पहले भारत को पाकिस्तान से युद्ध की स्थिति में दो मोर्चो – पूर्वी और पश्चिमी मोर्चो पर लड़ाई लड़नी पड़ती। यह भारत के लिए अधिक कठिन होता। लेकिन पाकिस्तान के विभाजन के बाद भारत को इससे छुटकारा मिल गया। हालांकि जिस समय पूर्वी पाकिस्तान अर्थात आज का बांग्लादेश पाकिस्तान में था भी, तब भी 1965 के युद्ध में पाकिस्तान का पूर्वी क्षेत्र लगभग निष्क्रिय ही था। मगर फिर भी भविष्य के संकट से इंकार नहीं किया जा सकता था। विभाजन के साथ वो संकट भी दूर हो गया। पाकिस्तान का विभाजन नहीं होने पर वो शांति काल में भी भारत के लिए अपने पूर्वी छोर से आतंकवाद और अन्य समस्या खड़ा करता रहता। हालांकि विभाजन के बाद बने बांग्लादेश से भी भारत को ऐसे संकट बने हुए है।

निष्कर्ष – 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच 13 दिनों तक युद्ध चला। 3 दिसम्बर 1971 से आरम्भ हुआ युद्ध 16 दिसम्बर 1971 को अंत हो गया। 15 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान की सेना ने भारत के सामने आत्मसमपर्ण करने का निर्णय लिया। इस तरह 15 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के जनरल नियाजी ने जनरल मानेकशॉ के सामने आत्मसमपर्ण करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और 16 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान की 93 हजार सैनिको ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिया था। कहते है पाकिस्तान के सैनिक उस समय फुट फुट कर रो रहे थे। उनकी अकड़ सीधी हो गई थी। उनका अभिमान चकनाचूर हो गया था। वे भारतीय सेना के दया पर जीवित थे।

लेकिन भारतीय सेना की यह ऐतिहासिक जीत इसलिए भी सम्भव हुआ क्योकि सेना की कुशल रणनीति थी। भारतीय सेना से लड़ते हुए युद्ध में जब पाकिस्तान हार के समीप खड़ा था तब अमरीका को बेचैनी होने लगी और उसने अपने एक वॉरशिप USS एंटरप्राइज को बंगाल की खाड़ी में उतार दिया। उस समय अमरीका का यदि कोई सामना कर सकता था तो वो था सोवियत संघ रूस और युद्ध से पहले दोनों देशो के बीच एक समझौता हो चुका था। इसलिए जैसे ही अमरीका का वॉरशिप खाड़ी में आया वैसे ही सोवियत संघ ने भारत की सहायता के लिए अपना क्रूजर और डिस्ट्रॉयर वॉरशिप को भेज दिया। इतना ही नहीं सोवियत संघ रूस ने भारत की सहायता के लिए न्यूक्लियर सबमरीन को भी हिन्द महासागर में उतार दिया। इससे अमरीका सहित पाकिस्तान के सभी मित्र देश पीछे हट गया। इस तरह से अमरीका समझ गया कि भारत पर उसका दबाव नहीं चलने वाला है और वो पाकिस्तान को उसके हाल पर छोड़ दिया। फिर परिणाम जो हुआ वो भारत में पक्ष में था। भारत का पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत हुई और विश्व के मानचित्र पर एक नया देश – बांग्लादेश का उदय हुआ।

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