महाशिवरात्रि कब है और क्यों मनाई जाती है, महाशिवरात्रि कथा, शुभ मुहूर्त, और वैज्ञानिक महत्व, पूजाविधि, व्रत नियम (Mahashivratri Kab Ki Hai, Date, Status, Significance, Shivratri Kyon Manae Jaati Hai)
महाशिवरात्रि भगवान शंकर की पूजा के लिए समर्पित एक वार्षिक उत्सव है. महाशिवरात्रि के दिन, प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शंकर ने हलाहल विष से पूरे ब्रह्मांड की रक्षा की थी. धार्मिक ग्रंथों और अनुयायियों के अनुसार जब ब्रह्मांड हलाहल विष से सुरक्षित हो गई तो भगवान शंकर ने एक सुंदर नृत्य किया. भोलेनाथ त्रिलोक के स्वामी हैं. वह ब्रह्मांड के पालनहार है. भगवान शिव निर्विवाद रूप से औपचारिक आराधना और उपवास भक्तों द्वारा प्राप्त करके उनकी मनोकामना को पूरा करते हैं. यह उत्सव पुरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. हिन्दू धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व है. इस दिन उपवास रखा जाता है. हर साल यह पर्व फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिवस पर भगवान शंकर और माँ पार्वती का विवाह हुआ था.
इस आर्टिकल में हम आपको यह बताएँगे कि महाशिवरात्रि कब है, महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती (Shivratri Kyon Manae Jaati Hai) है, महाशिवरात्रि मनाने का महत्व क्या है और महाशिवरात्रि की पूजाविधि, शुभ मुहूर्त के बारें में.
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है (Shivratri Kyon Manae Jaati Hai)
पुराणों और अन्य पवित्र ग्रंथों में महाशिवरात्रि को मनाने के कई महत्व का वर्णन किया गया है. आध्यात्मिक और धार्मिक शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना और व्रत रखा जाता है. इससे भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते है. महाशिवरात्रि पर्व को मनाने के पीछे आध्यात्मिक महत्व की कई व्याख्याएं हैं. हालांकि शिव पुराण जैसे प्रकाशन में शिवरात्रि मनाने के महत्व को अच्छे से समझाया हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने ब्रह्मांड को बचाने के लिए हलाहल विष पिया था, और विष ग्रहण करने के बाद भोलनाथ ने एक सुंदर नृत्य किया. भगवान शिव के अनुयायियों और भक्तों ने इस नृत्य को अधिक महत्व दिया. इस दिन प्रतिवर्ष भगवान शंकर की पूजा अर्चना शिव गणों द्वारा प्रारंभ की गई. इस परंपरा को अभी भी शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. और भक्तो द्वारा इनकी पूजा और व्रत रखा जाता है.
2024 में महाशिवरात्रि कब है ?
प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. और साल 2024 में यह उत्सव 07 मार्च की रात 8:02 बजे से शुरू होगा और 08 मार्च को शाम 4:18 पर समाप्त होगा. आमतौर पर देखा जाता है कि हिन्दू धर्म में उदयातिथि के अनुसार उपवास रखा जाता है. हालाँकि महाशिवरात्रि की पूजा अराधना रात को चार प्रहर में होती है. कहा जाता है कि रात्रि के पहर भोलेनाथ और पार्वती की शादी हुई थी. इसलिए महाशिवरात्रि का व्रत रखने वाले भक्त एक दिन पहले यानी 07 मार्च को व्रत रखेंगे.
महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व
भगवान भोलेनाथ त्रिलोकी शक्तियों में से एक हैं. यह एक वास्तविक प्रकार की शक्ति है. त्रिभुवन की योजना के हिस्से के रूप में विनाश का काम भगवान भोलेनाथ को सौंपा गया है. इस प्रकार भगवान शिव राक्षसों को खत्म करने, अधर्म पर धर्म की जीत, असत्य पर सत्य की जीत और राक्षसी शक्तियों पर दिव्य ऊर्जा के प्रभाव को स्थापित करने के लिए संहार करते हैं. और उनकी शक्ति कम कर देते है. वैज्ञानिक प्रासंगिकता के संदर्भ में, ग्लोब का उत्तरी गोलार्ध इस रात को अवस्थित होता है. कि व्यक्ति के अंदर की ऊर्जा स्वाभाविक रूप से ऊपर उठती है. यह दिन एक ऐसा है जिसमें प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक चरम तक पहुँचने में सहायता करती है. शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करने के लिए भक्तों को उर्जा कुंज के साथ सीधा बैठना चाहिए. इससे रीड की हड्डी मजबूत हो जाती है और व्यक्ति में अलौकिक क्षमता होने की अनुभूति होती है.
शिवरात्रि महापर्व के दिन शिव के भक्त पूरे दिन भगवान भोलेनाथ की आराधना करते हैं. यह आध्यात्मिक शक्ति का उत्सर्जन करता है और प्रकाश किरण के अवलोकन की अनुमति देता है. जब भक्त भोलेनाथ के ध्यान में मग्न हो जाता है तब उसे आध्यात्मिक शक्ति का ज्ञान प्राप्त होता है और पूजा अर्चना करने का एहसास होता है. और धीरे-धीरे उसकी रुचि अध्यात्म की और बढ़ती है. आध्यात्मिक ज्ञान, आध्यात्मिक पठन और आध्यात्मिक प्रवचन व्यक्ति की आध्यात्मिक सोच को बढ़ाते हैं. ऐसे साधन जिनके द्वारा अलौकिक शक्ति की अनुभूति की जा सकती है। जो सभी के लिए जरूरी है। ऐसी क्षमता का होना व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है.
महाशिवरात्रि की पूजा विधि
- महाशिवरात्रि के दिन जल्दी उठकर स्नान करे.
- स्नान करने के बाद नए कपड़े पहने.
- फिर पूजा की थाली को दूध, जल, बेलपत्र, धतूरा, अक्षत और फूलों से सजाएं.
- रुद्राक्ष को शिवलिंग पर चढ़ाने वाली पूजन थाली में शामिल करें.
- पानी के रामज़ारा और पूजा की थाली को लाल कपड़े से ढक दें.
- अब भगवान भोलेनाथ की पूजा शुरू करें और भगवान का ध्यान और आराधना करें.
- दक्षिण दिशा में बैठकर ही शिवलिंग की पूजा करें.
- सर्वप्रथम भोलेनाथ को दूध चढ़ाएं. इसके बाद जल चढ़ाएं.
- जल अर्पित करने के बाद शिवलिंग के सामने रुद्राक्ष और अक्षत अर्पित चढ़ाएं. इसके बाद शिवलिंग को तिलक लगाए.
- इसके बाद बेलपत्र और धतूरा चढ़ाएं. और फूलों को अर्पित कर शिवमंत्रों का जाप करे. इसके बाद शिवलिंग की परिक्रमा लगाए.
- इसके बाद आरती करें और भोग लगाएं और अंत में प्रसाद सभी में बांट दें.
निष्कर्ष – आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया महाशिवरात्रि कब है, महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती (Shivratri Kyon Manae Jaati Hai) है, महाशिवरात्रि मनाने का महत्व क्या है और महाशिवरात्रि की पूजाविधि, शुभ मुहूर्त के बारें में. उम्मीद करते है आपको यह जानकरी जरूर पसंद आई होगी.
FAQ
Q : महाशिवरात्रि कब है?
Ans : 08 मार्च 2024 को
Q : शिवरात्रि का व्रत कब का है?
Ans : 08 मार्च 2024 को
Q : 2024 में महाशिवरात्रि व्रत कब है?
Ans : 08 मार्च 2024 को
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