शंघाई सहयोग संगठन क्या है, मुख्यालय, सदस्य देश | SCO Kya Hai in Hindi

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शंघाई सहयोग संगठन क्या है, फुल फॉर्म, मुख्यालय, सदस्य देश, पर्यवेक्षक देश, मतलब, शिखर सम्मेलन, अध्यक्ष, स्थापना (SCO Kya Hai in Hindi, Shanghai Cooperation Organization, SCO Summit, Full From, IAS, UPSC, Headquarter, Member Country)

SCO Kya Hai in Hindi  – भारत 2023 में एससीओ की अध्यक्षता कर रहा है. इसी कड़ी में  4 और 5 मई को गोवा में एससीओ में शामिल देशो के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई. यह बैठक भारत के लिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि इस बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री का भी इसमें आना हुआ था, जबकि चीन इस संगठन का संस्थापक देश होने के कारण शामिल था. भारत के दोनों पड़ोसी देशो चीन और पाकिस्तान से कई दशकों से बुरे सम्बन्ध रहे है. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उस बैठक में सीमापार से होने वाले आतंकवाद पर रोक लगाने के लिए सदस्य देशो का आह्वान किया, साथ ही उन्होंने आतंकवाद के सभी स्वरूपों के लिए की जा रही फंडिंग के सभी माध्यमो को बिना किसी भेदभाव के जब्त व अवरुद्ध करने पर भी जोर दिया. दूसरी ओर यह बैठक ऐसे समय में हुई जब विश्व में आर्थिक मंदी की आशंका के साथ ही रूस यूक्रेन युद्ध के कारण भी उथल पुथल मची हुई है. भारत 3- 4 जुलाई को नई दिल्ली में शंघाई सहयोग संघठन के शिखर सम्मलेन की अध्यक्षता करेगा. सदस्य देशो के राष्ट्राध्यक्षों की होने वाली बैठक में रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भी भारत आने की संभावना है.

इस आर्टिकल में हम आपको शंघाई सहयोग संगठन क्या है (SCO Kya Hai in Hindi), इसकी फुल फॉर्म, अध्यक्ष, मुख्यालय और कितने देश सदस्य है के बारें में विस्तार से पूरी जानकारी देने वाले है.   

SCO Kya Hai in Hindi

शंघाई सहयोग संगठन 2023 (SCO Summit 2023)

संगठन का नाम शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization)
स्थापना 15 जून 2001
मुख्यालय बीजिंग, चीन
आधिकारिक भाषा चीनी और रूसी
भारत एससीओ में शामिल हुआ 8-9 जून 2017
सचिव झांग मिंग
सदस्य देश 8

शंघाई सहयोग संगठन क्या है?( SCO in Hindi)

शंघाई सहयोग संघठन (SCO) एक अंतर सरकारी संगठन है. यह संगठन राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा के मुद्दों से सम्बन्थित विषयों पर सदस्य देशो के बीच तालमेल बनाने के उद्देश्य से गठित किया गया है. इसकी शुरुआत सबसे पहले वर्ष 1996 में (sco members) चीन, रूस, कजाकिस्तान, तजाकिस्तान और किर्गिस्तान के राष्ट्राध्यक्षों के द्वारा ‘शंघाई फाइव’ के रूप में हुई थी, लेकिन वर्ष 2001 में इसका नाम बदलकर एससीओ कर दिया गया. बाद में इसके स्वरूपों और विषयों में भी परिवर्तन किया गया. वर्तमान में इस संगठन का उद्देश्य सदस्य देशो की क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना, सीमा के विवाद को हल करना, आतंकवाद, मजहबी कट्टरता के साथ ही क्षेत्रीय विकास को बढ़ाना है.

SCO का फुल फॉर्म क्या है? (SCO Full Form In Hindi)

SCO का फुल फॉर्म है शंघाई सहयोग संगठन ( Shanghai Cooperation Organization) .

SCO का उद्देश्य

  • संगठन में शामिल देशो के बीच परस्पर विश्वास और सद्भाव को बल देना.
  • सदस्य देशो के बीच व्यापार को बढ़ावा देना.
  • सदस्य देशो के बीच शिक्षा, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन में सहयोग के अवसर को बढ़ावा देना.
  • सदस्य देशो के बीच शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बनाये रखना.

SCO का इतिहास

  • इस संगठन की स्थापना 15 जून, 2001 को चीन का एक औद्योगिक शहर शंघाई में हुआ.
  • उस समय पांच देश चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान इसके सदस्य थे.
  • ‘शंघाई फाइव’ चीन, रूस और पूर्व सोवियत गणराज्य के देशो के बीच सीमा सम्बन्धी स्थिरता और सुरक्षा को बनाये रखने के उद्देश्य से बनाया गया था.
  • बाद में इसमें उज्बेकिस्तान भी शामिल हो गया.
  • वर्ष 2017 में भारत और पाकिस्तान भी इसका स्थायी सदस्य बन गया, जिसके बाद इसके सदस्यों की संख्या आठ हो गई.

भारत SCO का हिस्सा क्यों बना?

  • एससीओ विश्व के एक बड़ी आबादी का नेतृत्व करता है और विश्व की राजनीतिक गतिविधि में इसका एक अलग महत्व है. भारत को इससे जुड़ने में कई लाभ हुए है-
  • भारत इस संगठन में रहकर मुख्य रूप से सुरक्षा और आतंकवाद का मुद्दा उठाता रहा है. भारत कई दशकों से आतंकवाद का शिकार है, जबकि भारत के पड़ोसी पाकिस्तान आतंवाद की फैक्ट्री के रूप में जाना जाता है. साथ ही तालिबान के आने के बाद से अफगानिस्तान भी घोर अशांति का शिकार है. यह क्षेत्र इस्लामिक कट्टरता भी झेल रहा है, इसलिए भारत को इस संगठन में रहने से सीधे तौर पर इन मुद्दों को उठाने का अवसर मिला है.
  • सेंट्रल एशिया में आने वाले कजाकिस्तान में जहाँ तेल के भंडार है तो वही तुर्कमेनिस्तान में प्राकृतिक गैस की प्रचुर मात्रा है. भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ऊर्जा की प्रचुर मात्रा की आवश्यकता है. वर्तमान में कजाकिस्तान में भारत की ONGC तेल की खोज कर रही है. इस तरह यह संगठन भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सहयोगी हो सकता है. 
  • इस संगठन के कुछ देश विकासशील है. भारत वहां अपना व्यापार विस्तार कर सकता है.
  • एससीओ के द्वारा भारत को अन्य मध्य एशियाई देशो, जिसमें रूस भी शामिल है, के साथ सहयोग बढ़ाने में बढ़ावा मिलती है. इस कारण एससीओ हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने में महत्वपूर्ण भागीदारी निभा सकता है और यह भारत की सुरक्षा हित में होगा.

SCO और NATO में अंतर

एससीओ नाटो के तर्ज पर बना संगठन होने के बाद भी उससे बहुत अलग है. नाटो मुख्य रूप से रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए बना है, अर्थात नाटो युद्ध के समय अधिक सक्रिय रहने वाले संगठन के रूप में स्थापित किया गया है, जबकि एससीओ का सिद्धांत इससे पूरी तरह से अलग है. यह किसी गुट का समर्थन नहीं करता है. यह एक सहकारी संगठन है, लेकिन यूरोपियन देशो के हितो की रक्षा करने वाला संगठन नाटो पर अमरीका और यूरोपियन देशो का दबदबा है, हालांकि इन सब कारणों के बाद भी विश्व राजनीति के जानकार एससीओ को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के प्रतिद्वंदी के रूप में देखते है.

SCO से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

  • वर्तमान में (2023 तक) एससीओ की ऑफिसियल लैंग्वेज अर्थात आधिकारिक भाषा केवल दो है, रशियन और चाइनीज. भारत लम्बे समय से एससीओ की प्रत्येक बैठक में आवाज उठाता रहा है कि अंग्रेजी को भी इसमें शामिल कर लिया जाएं. इस बार (2023 में) जब भारत में एससीओ की मेजवानी कर रहा है, तब भारत में हुए एससीओ की विदेश मंत्रियों की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर अंग्रेजी को इसमें शामिल करने पर जोर दिया. उनका तर्क था कि इससे अंग्रेजी बोलने वाले सदस्य देश के बीच जुड़ाव बढ़ेगा और इससे दुनिया अधिक अच्छे से अवगत हो पाएंगी.
  • SCO के सदस्य देशो में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान है, जिसमें चीन और रूस इसके संस्थापक देश है.
  • SCO संगठन की स्थापना रूस, चीन, किर्गिज रिपब्लिक, कजाकिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों में मिलकर 2001 में की थी, जबकि भारत और पाकिस्तान 2017 में इस संगठन की पूर्ण सदस्यता प्राप्त की थी. 
  • SCO संगठन में शामिल देश दुनिया की दुनिया की कुल 40 प्रतिशत जनसंख्या और 30 प्रतिशत वैश्विक जीडीपी का प्रतिनिधित्व करते है.
  • शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की स्थापना चीन के शंघाई में वर्ष 2001 में हुई थी. फिलहाल यह आठ देशो का एक समूह है, जबकि भविष्य में सदस्य देशो की संख्या बढ़ सकती है.
  • एससीओ का मुख्यालय चीन की राजधानी बीजिंग में है.

निष्कर्ष :- तो आज हमने आपने शंघाई सहयोग संगठन क्या है (SCO Kya Hai in Hindi), इसकी फुल फॉर्म, अध्यक्ष, मुख्यालय और कितने देश सदस्य है के बारे में बताया. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.

FAQ

Q : शंघाई सहयोग संगठन में कितने देश हैं
Ans : इसमें 8 देश शामिल है जिसमे रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान कजाकिस्तान, किर्गिज़स्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान आदि.

Q : शंघाई सहयोग संगठन में भारत कब शामिल हुआ
Ans : मई 2017 में  

Q : शंघाई सहयोग संगठन का मुख्यालय कहा है?
Ans : बीजिंग चीन में

Q : शंघाई सहयोग संगठन के वर्तमान अध्यक्ष कौन हैं?
Ans : झांग मिंग

Q : शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना कब हुई थी?
Ans : 15 जून 2001 में

Q : एससीओ की स्थापना किसने की?
Ans : चीन, रूस, कजाकिस्तान, तजाकिस्तान और किर्गिस्तान ने.

Q : एससीओ शिखर सम्मेलन 2023 की मेजबानी किसने की?
Ans : भारत ने

Q : एससीओ में कितने देश हैं?
Ans : 8 देश

Q : भारत एससीओ सदस्य कब बना?
Ans : मई 2017 में  

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