जन्माष्टमी पर निबंध, 10, 20, 50, 100, लाइन, 100, 200 और 500 शब्द, छोटे- छोटे पैराग्राफ, शार्ट एवं लॉन्ग (Krishna Janmashtami Essay in Hindi, 150 words, line, Students and Children, Paragraph for class 5)
Krishna Janmashtami Essay in Hindi – कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दुओ का एक सबसे अहम त्योहार है जो हर वर्ष श्रावण माह की कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है. इस पर्व को भगवान कृष्ण जी (shree krishna janmashtami 2023) के जन्मोत्सव के रूप में मनाते है. राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात सहित पुरे देश में इस हर्षोल्लास के साथ इसे मनाया जाता है. इस दिन सभी लोग व्रत रखते है विशेष रूप से भगवान कृष्ण के भक्त इनकी पूजा अर्चना करते है. हर साल कृष्ण जन्माष्टमी अमूमन अगस्त और सितंबर के महीने में आती है. इस दिन भगवान् विष्णु की भी पूजा की जाती है क्योंकि भगवान् विष्णु जी के अवतार भगवान कृष्ण है. देश के सभी मंदिरों में भगवान कृष्ण की खुबसूरत झांकी निकली जाती है.
जन्माष्टमी पर निबंध (Krishna Janmashtami Essay in Hindi)
जन्माष्टमी पर 100 लाइन का निबंध
जन्माष्टमी का त्यौहार भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद मनाये जाने वाले उत्सव (shri krishna janmashtami 2023 kab hai) हैं. जन्माष्टमी के दिन (मध्य रात्रि) को भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए प्रत्येक वर्ष उनके जन्मोत्सव को धूम धाम के साथ मनाया जाता हैं, जिसको जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता हैं. जन्माष्टमी को सनातन धर्म का प्रमुख त्यौहार माना जाता हैं. इस दिन को सनातन धर्म के लोग एक धार्मिक उत्सव के रूप में मनाते हैं और भगवान श्री कृष्ण की पूजा, व्रत, सावर्जनिक कार्यक्रम का आयोजन आदि करते हैं.
भगवान विष्णु का कृष्णावतार स्वरुप
भगवान श्री कृष्ण का अवतार (जन्म) उस काल में हुआ था, जब पृथ्वी के एक बड़े भू भाग पर अत्याचारियों की संख्या बहुत बढ़ गई थी. धर्म का नाश हो रहा था. अच्छे लोग पीड़ित थे. वैसे ही एक अत्याचारी राजा था, जिसका नाम कंश था. भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में अत्याचारी कंश के वध के लिए ही इस धरा पर अवतार धारण किया था.
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जन्माष्टमी पर्व पर हिन्दी में निबंध (Essay On Janmashtami In Hindi For Class 5)
जन्माष्टमी का उत्सव
भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के सोलह कलाओ से संपन्न अवतार थे. वे पूर्ण ब्रह्म थे. इस कारण जब उनका जन्म हुआ तो हर ओर उल्लास के साथ उत्सव मनाया गया. उसी उत्सव के निमित्त आज भी प्रत्येक वर्ष उनका जन्म दिन को उत्सव के साथ मनाया जाता हैं. लोग इस दिन व्रत धारण करते हैं. उत्सव मनाते हैं, कई स्थानों पर जन्माष्टमी के अगले दिन गोविंदा दही हांड़ी फोड़ते हैं, मंदिरो में भजन की गूंज सुनाई पड़ती हैं और वातावरण में सकरात्मता का संचार होता हैं.
भगवान श्री कृष्ण का जन्म
भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष (अँधेरे पखवाड़े) की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि के समय कंश के कारागार, मथुरा (आज का वर्तमान मथुरा) में हुआ था, जबकि जिस समय भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, उस समय रोहिणी नक्षत्र था. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जन्माष्टमी प्रत्येक वर्ष अगस्त या सितंबर महीना में आती हैं.
शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी की रात्रि को मोह रात्रि भी कही जाती हैं. जन्माष्टमी की रात्रि जागरण का एक कारण यह भी हैं कि इस रात्रि को जाग कर भगवान श्री कृष्ण की भक्ति, भजन, ध्यान, साधना करने से प्राणी की अनावश्यक मोह माया से मुक्ति मिलती हैं और वह परमार्थ की ओर अग्रसर हो जाता हैं. जन्माष्टमी का व्रत अपने आप में अति फलदायी हैं.
रोहिणी नक्षत्र और निशिता काल
चूँकि भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, इसलिए रोहिणी नक्षत्र में किया गया व्रत अधिक फलदायी होता हैं. रोहिणी नक्षत्र 6 सितंबर 2023 (krishna birthday date 2023) की सुबह 9:20 से 7 सितंबर 2023 की सुबह 10:25 तक हैं. जन्माष्टमी में भगवान कृष्ण की पूजा निशिता काल में (krishna janmashtami 2023 date and time) होती हैं. निशिता काल मध्य रात्रि के आस पास के समय को कहते हैं.
Krishna Janmashtami Par Nibandh In Hindi
भगवान श्री कृष्ण की जन्म से जुड़ी दैवीय घटना
उस समय कंश मथुरा का राजा हुआ करता था. वह बड़ा अत्याचारी था. उसके अत्याचार और अन्याय से जन जन पीड़ित थे. वह धर्म का नाश कर रहा था. इस कारण भगवान विष्णु ने देवकी के गर्भ से अवतार धारण किया लेकिन उनके धरती पर अवतार धारण करने से पहले एक घटना देखने को मिली.
कंश की एक छोटी बहन थी, जिनका नाम देवकी था और उनके पति का नाम वासुदेव था. जब एक बार कंश उन दोनों को लेकर भ्रमण पर जा रहे थे तभी उसे एक आकाशवाणी सुनाई पड़ी, जिसमें कंश को बताया गया कि देवकी की आठवीं संतान ही उसका वध करेगा.
इसके बाद कंश क्रोधित हो गया और बाद में उसने देवकी व वासुदेव को कारागार में डालकर बंदी बना लिया. वहां कंश ने उनकी छः संतानो के जन्म लेते ही बारी बारी से उन सभी की हत्या कर दी मगर सातवीं संतान में वह भगवान की माया का शिकार हो गया और अंत में जब आठवीं संतान की बारी आयी तब स्वयं भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से जन्म धारण किया. उस समय मध्य रात्रि थी. वह अँधेरे पखवाड़े का समय था. बाद के समय में वही अँधेरा पखवाड़ा कृष्ण पक्ष के नाम से जाने जाने लगा. अँधेरा पखवाड़ा होने के कारण वह बड़ी घनघोर अँधेरी रात्रि थी. उस अँधेरी रात्रि में बाहर तेज मूसलाधार बारिश हो रही थी.
लेकिन भगवान के जन्म लेने के बाद अचानक से कारागार के द्वार स्वयं ही खुल गए. सैनिक, पहरेदार को गहरी नींदे आ गई. तब वासुदेव ने शिशु कृष्ण की जान बचाने के लिए उसी समय उन्हें टोकड़ी में लेकर वहां से निकल गए क्योकि अगर कंश को पता चल जाता तो इससे शिशु कृष्ण की जान को संकट था. वासुदेव उसी अँधेरी रात्रि की मूसलाधार बारिश में यमुना नदी को पार करते हुए यशोदा और नन्द के घर पहुंच गए. उस समय यशोदा के गर्भ से स्वयं महामाया ने जन्म लिया था. इसके बाद वासुदेव ने शिशु कृष्ण को यशोदा के पास रख दिया और वहां पहले से अवतरिक महामाया के अंश को अपने साथ लेकर पुनः कारागार आ गए.
इससे कंश के हाथो शिशु कृष्ण का जीवन बच गया. इधर जब कंश को पता चला तो उसे आश्चर्य हुआ कि आकशवाणी के अनुसार तो आठवीं संतान लड़का होना था, लेकिन लड़की कैसे हो गई. बाद में वह जब महामाया के अंश को मारने आया तब वह उसके हाथो से छूटकर विराट रूप धारण करके बोली कि तू मुझे क्या मारेगा, तुझे मारने वाला तो गोकुल में जन्म धारण कर चुका हैं. उसके बाद वह वही अंतर्धान हो गई.
श्री कृष्णा जन्माष्टमी निबंध हिंदी (Shri Krishna Janmashtami Paragraph in Hindi)
जन्माष्टमी में भगवान श्री कृष्ण की पूजा
श्री कृष्ण पूर्ण ब्रह्म हैं. वह सच्चे प्रेम भक्ति के वश में होते हैं. इसलिए जन्माष्टमी में उनकी पूजा श्रद्धा के साथ करनी चाहिए. उनकी छोटी प्रतिमा को रंग बिरंगे वस्त्र, गहना आदि से सजा देना चाहिए. उनकी प्रतिमा को धुप दीप से वंदना करनी चाहिए. उन्हें पुष्प अर्पित करनी चाहिए. उन्हें चंदन लगाना चाहिए. इसके साथ ही उन्हें भोग भी लगाना चाहिए. चूँकि जन्माष्टमी में भगवान श्री कृष्ण के शिशु स्वरुप की पूजा होती हैं, इसलिए उन्हें दूध, दही, मक्खन, मिसरी आदि अर्पित करनी चाहिए. पूजन के बाद उन्ही प्रसाद का वितरण करना चाहिए.
भगवान कृष्ण का स्वरुप – बांसुरी वाला से चक्रधर तक
भगवान श्री कृष्ण बाल अवस्था में कई बाल लीलाएं की. वे बड़े मनभावन लीलाएं थी. वे बाल अवस्था में बांसुरी धारण करते थे और ग्वाल बाल के साथ गायें चराने भी जाते थे. उन्होंने रास लीलाएं भी की मगर बाद में उन्होंने अपने स्वरुप में बदलाव किया. उन्होंने बांसुरी त्याग कर धर्म रक्षा के लिए चक्र धारण किया और अनगिनत पापियों का वध किया. उन्होंने महाभारत युद्ध में अर्जुन की सारथी की भूमिका निभाई.
महाभारत युद्ध में उन्होंने शस्त्र न उठाने का प्रण ले रखा था इसलिए उस युद्ध में उन्होंने प्रत्यक्षतः शस्त्र नहीं उठाया मगर बावजूद इसके उस युद्ध में उनकी भूमिका सबसे अधिक थी. उसी युद्ध भूमि में उन्होंने अर्जुन के नेत्र पर चढ़े मोह के परत को हटाने के लिए ज्ञान दिए, जो गीता का ज्ञान से जाना जाता हैं. गीता सनातन धर्म के सबसे पवित्र धर्म ग्रंथो में से एक हैं. गीता निष्काम कर्म की शिक्षा देती हैं.
निष्कर्ष– आज के इस लेख में हमने आपको बताया जन्माष्टमी पर निबंध (Krishna Janmashtami Essay in Hindi) के बारें में. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.
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