पीके रोजी का जीवन परिचय, बायोग्राफी, जीवनी, दलित एक्ट्रेस, आयु, जन्मदिन, घर, परिवार, शादी, फॅमिली, पति, हस्बैंड नाम, धर्म, करियर, शिक्षा, विवाह, संपत्ति, नेटवर्थ (PK Rosy Biography In Hindi, Wiki, Cast, First malayalam Woman Actor, House, Age, Religion, Family, Father, Husband Name, Child, Education, Marriage, Net Worth)
मलयालम सिनेमा की पहली महिला अभिनेत्री पीके रोजी को गूगल ने अपने अनोखे अंदाज में डूडल बनाकर सम्मानित किया है। उन्होंने फिल्मी दुनिया में उस दौर में कदम रखा जब समाज विभिन्न जातियों के लोगों की कला की सराहना न करके उन्हें हतोत्साहित करता था। और जब महिलाओं की आती है तो कुछ ज्यादा ही प्रताड़ित करता था. लेकिन इन सबके बावजूद पीके रोजी ने इन सब को नजरअंदाज करते हुए अपने करियर की शुरुआत साल 1928 में चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में मलयालम फिल्म विगाथाकुमारन से की। और आज भी यह कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। और इसी के चलते सर्च इंजन गूगल ने 10 फरवरी को मलयालम फिल्म की पहली दलित महिला अभिनेत्री को उनके 120 वें जन्मदिन पर एक विशेष डूडल बनाकर श्रद्धांजलि अर्पित की. आज हम आपको पीके रोजी का जीवन परिचय (PK Rosy Biography In Hindi) के बारे में पूरी जानकरी देने वाले है.
पीके रोजी का जीवन परिचय (PK Rosy Biography in Hindi)
नाम (Name) | पीके रोजी (PK Rosy) |
उपनाम (Nik Name) | राजम्मा, रोसमम्मा, राजम्मल |
जन्म तारीख (Date of Birth) | 10 फरवरी 1903 |
जन्म स्थान (Place) | नंद्कोड़े, तिरुवनंतपुरम |
उम्र (Age) | 85 साल (मृत्यु के समय) |
मृत्यु की तारीख (Date of Death) | 1988 |
जाति (Cast) | दलित |
पेशा (Occupation) | एक्ट्रेस |
सक्रिय वर्ष (Years active) | 1928 – 1930 |
पिता का नाम (Father Name) | पौलोज |
माता का नाम (Mother Name) | कुंजी |
पति का नाम (Husband Name) | केशव पिल्लई |
बेटियों के नाम (Children Name) | पद्मा, नागप्पन |
नागरिकता (Nationality) | भारतीय |
राशि (Zodiac Sign) | तुला राशि |
भाषा (Languages) | मलयालम |
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) | विवाहित |
कौन थी पीके रोजी (Who was PK Rosy)
पी.के. रोज़ी मलयालम सिनेमा की पहली महिला लीड एक्टर थी. इनका जन्म साल 1903 में तिरुवनंतपुरम के त्रिवेंद्रम में हुआ. इनके बचपन का नाम राजम्मा था. छोटी उम्र से ही उन्हें अभिनय का शौक था। और उस समय एक युग था जब समाज के कई तबकों और जातियों ने प्रदर्शन कलाओं को हतोत्साहित किया। इन सबके बावजूद, रोज़ी ने किसी की परवाह किए बिना अपनी पहली मलयालम फ़िल्म विगाथाकुमारन (द लॉस्ट चाइल्ड) में अभिनय किया। फिल्म में काम करने के बाद अपनी सभी बाधाओं को तोड़ा. उन्होंने कई फिल्में कीं लेकिन अपने करियर में उन्हें अपने काम के लिए कभी पहचान नहीं मिली। लेकिन आज भी कई लोग उन्हें अपना प्रेरणा का स्रोत मानते है.
पीके रोजी का जन्म, परिवार और प्रारंभिक जीवन (PK Rosy Birth and Family and Early life)
पीके रोजी का जन्म तिरुवनंतपुरम के नंदकोड में एक गरीब दलित परिवार में हुआ था। घर में माता-पिता और एक छोटी बहन थी। बचपन में उनका नाम राजाम्मा था. किसी तरह परिवार का लालन पोषण हुआ, लेकिन मुश्किलें तब बढ़ गईं जब उनके पिता का भी निधन हो गया। इसके बाद रोजी पर जिम्मेदारी आ गई और बचपन में ही काम की तलाश निकल गई। इनके परिवार की कमाई का एकमात्र साधन घास काटकर बेचना था। इसी से गुजारा होता। फिर साल 1920-1925 के बीच इनके लावारिस परिवार को चाचा अपने साथ लेकर चले गए.
रोजी को बचपन से ही नाचने-गाने का काफी शौक था। उस जमाने में दो ही तरह के लोग डांस सिंखा करते थे या तो ऊंचे दर्जे के लोग या फिर तवांफे। इसी वजह से उनके इस शौक को घर में अच्छा नहीं माना जाता था। फिर भी रोजी की रूचि को देखते हुए उसके चाचा ने उसका दाखिला एक डांस क्लास अकादमी में करवा दिया. डांस क्लास में रोजी ने कक्कराशी लोकनृत्य सिखा, जिसमें शिव-पार्वती के धरती पर आने की कहानी को नृत्य व गीत के माध्यम से दर्शाया गया। रोजी के डांस करने से परिवार वाले खुश नही थे। डांस रिहर्सल में जाने से दादाजी ने रोका और स्कूल जाने लगी तो समाज ने भी जताया.
रोजी को परिवार और समाज की कोई परवाह नहीं थी। कुछ समय बाद रोजी की मां ने चर्च के पादरी से दूसरी दूसरा विवाह कर लिया. सौतेले पिता ने रोजी को भी ईसाई बनने के लिए मजबूर किया। हालांकि उनकी मां ने हिंदू धर्म ही अपनाया. मां तो दूसरे घर में बस गईं, लेकिन रोजी दादा के पास ही रहने लगी. यह वही समय था जब बड़ी संख्या में दलितों का धर्मांतरण हो रहा था। रोजी एक ड्रामा कंपनी में शामिल हो गई। बढ़ते समाज के तानो के चलते रोजी को दादाजी ने घर से निकाल दिया. तब मज़बूरी में रोजी ड्रामा कंपनी के लोगों के साथ रहने लगी।
पीके रोजी का करियर (PK Rosy Career)
मलयालम सिनेमा के पिता के रूप में जाने जाने वाले जेसी डेनियल, मलयालम में पहली फीचर फिल्म विगाथाकुमारम बना रहे थे। इसमें कोई भी महिला हीरोइन बनने को तैयार नहीं थी। उन्हें एक इंडो-एंग्लो एक्ट्रेस मिस लाला मिलीं, लेकिन जब वह उनसे मिलने आए तो उन्होंने 10 हजार रुपए फीस की मांग की। सन् 1926 में यह एक बड़ी अमाउंट थी, फिर भी डेनियल मान गए. डेनियल ने 5 हजार रुपए एडवांस और फर्स्ट क्लास का टिकट देकर उस एक्ट्रेस को मुंबई से तिरुअनंतपुरम बुला लिया। मिस लाला ने खराब सुविधाओं के कारण फिल्म छोड़ दी। और एडवांस भी नहीं लौटाया। डेनियल पहले से ही कर्ज में डूबा हुआ था, लेकिन अब उसके पास न तो हेरोइन थी और न ही पैसे।
जब मिस लाला ने फिल्म छोड़ दी तो जेसी डेनियल अपने दोस्त जॉनसन के कहने पर गांव में एक नाटक देखने गए। जॉनसन एक ऐसी लड़की के बारे में जानते थे जो डेनियल की हीरोइन बन सकती थी। और वह लड़की थी घास काटने वाली रोजी। डेनियल ने मजबूरन फिल्म की हीरोइन के रूप में रोजी को लिया लेकिन रोजी का नाम रोजम्मा उन्हें पसंद नही आया. वे चाहते थे कि एक्ट्रेस का नाम मॉडर्न हो, इसलिए उन्होंने रोसम्मा पीके रोजी बना डाला. रोजी मलयालम फिल्मों की पहली एक्ट्रेस बनीं, लेकिन पहली ही फिल्म से उनके सारे सपने बिखरने वाले थे।
फिल्म विगाथाकुमारम में रोज़ी ने सरोजिनी की भूमिका निभाई, जो उच्च जाति की एक नायर महिला थी। सेट पर भी रोजी के साथ छुआछूत जारी रही। रोज़ी को अन्य कलाकारों के साथ बैठने और सेट पर परोसे जाने वाले भोजन को छूने की अनुमति नहीं थी। वह घर से खाना लाती थी और अकेले ही खाती थी। अखबार से जैसे ही लोगों को पता चला कि फिल्म में एक दलित लड़की है तो लोगों ने आपत्ति जताई। रोजी रोज 5 रुपये पाने की खुशी में शूटिंग करती रही। 10 दिनों में विगाथाकुमारम पूरा हो गया और रोजी को पूरे 50 रुपये मिल गए।
विवादों के बीच, 23 अक्टूबर 1928 को तिरुवनंतपुरम के कैपिटल सिनेमा हॉल में जे.सी. डेनियल की विगाथाकुमारम की स्क्रीनिंग हुई। पहले तो लोगों ने रोजी की फिल्म देखने से मना कर दिया। वहीं रोजी के उच्च वर्ग बनने से समाज का एक वर्ग नाराज था। नीची जाति के व्यक्ति को ऊंची जाति के सामने बैठने की इजाजत नहीं थी तो वह दलित लड़की के साथ बैठकर फिल्में कैसे देखता। स्क्रीनिंग होना भी जरूरी था और तभी डायरेक्टर ने रोजी को स्क्रीनिंग में आने से रोक दिया।
पहले तो रोजी मान गई, लेकिन वह एक बार खुद को बड़े पर्दे पर देखना चाहती थी। फिर रोजी अपने एक दोस्त के साथ फिल्म देखने पहुंची. रोजी को देखकर लोग भड़क गए, फिल्म देखने आये लोगो ने साफ कहा कि अगर वह लड़की अंदर है तो हम नहीं जाएंगे। डायरेक्टर रोज़ी को बाहर रहने के लिए कहता है। रोजी थिएटर के बाहर खड़ी होकर अगले शो का इंतजार कर रही थी। विगतकुमारत की स्क्रीनिंग में भारी भीड़ उमड़ी, लेकिन पर्दे पर एक दलित पीके रोजी को देखकर हर कोई आग बबूला हो गया।
फिल्म एक कुछ सीन को देखकर लोगो ने हंगामा कर दिया. फिल्म में अपर कास्ट हीरो ने दलित रोजी के बालों में लगे फूल को चूम रहा था। तभी लोगों ने स्क्रीन पर पत्थर फेकने शुरू कर दिये और थिएटर का पर्दा फाड़ दिया. फिल्म खत्म होने से पहले ही लोगो ने रोजी को मारने के लिए दौड़ पड़े. रोजी कुछ समझ पाती, तभी भीड़ करीब आने लगी। रोज दौड़ना शुरू कर देती है और थियेटर में छिप जाती है। गुस्साए लोगों ने रोजी मारने के लिए पूरे थिएटर को आगे का हवाले कर दिया लेकिन रोजी भीड़ के गुस्से और आग से अपनी जान बचाती रही.
रोजी को थिएटर से बाहर निकालने के लिए डायरेक्टर ने स्थानीय पुलिस की मदद ली और रोजी को जिंदा थिएटर से बाहर निकाला। लोग नाराज थे क्योंकि एक नीची जाति की महिला पर्दे पर नायर महिला की भूमिका कैसे कर सकती है। हंगामे के बीच घरवालों ने किसी तरह अपनी जान बचाई, लेकिन अब उस जगह पर परिवार का रहना मुनासिब नहीं था.
वहां से जान बचाकर रोजी देर रात तक अकेली गांव के पास एक पुल के नीचे छिप गई। रोजी ने मौका देखकर पुल से गुजर रहे एक ट्रक ड्राइवर से मदद मांगी और चली गई। ट्रक ड्राइवर भी ऊंची जाति से था और उसका नाम केशव पिल्लई था। वह रोजी को अपने साथ तमिलनाडु में नागरकोइल ले गया. वहा आकर रोजी ने ड्राईवर केशव पिल्लई से शादी कर ली. राजम्मा बनकर गुमनाम जिंदगी जीने लगी और रोजी से राजम्मा पिल्लई बन गई। केशव का परिवार इस शादी से खुश नहीं था क्योंकि रोजी दलित वर्ग से आती थी।
राजम्मा और केशव की दो बेटियां हैं, पद्मा और नागप्पन। उनकी बेटियाँ भी जीवन भर अपनी माँ के संघर्ष और मलयालम सिनेमा में उनके योगदान से अनजान रहीं।
निष्कर्ष :- तो आज हमने आपको बताया पीके रोजी का जीवन परिचय (PK Rosy Biography In Hindi) के बारे में. उम्मीद करते है आपको यह जानकरी जरुर पसंद आई होगी. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.
FAQ
Q : पीके रोजी का जन्म कब हुआ
Ans : 10 फरवरी 1903 को
Q : मलयालम सिनेमा की पहली महिला हीरोइन कौन थी?
Ans : पीके रोजी
Q : पीके रोजी का असली नाम क्या है?
Ans : राजम्मा
Q : पीके रोजी की पहली फिल्म कौनसी थी?
Ans : विगाथाकुमारन
Q : पीके रोजी की कास्ट क्या थी?
Ans : दलित समाज
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