आईटीआर क्या होता है? | ITR Full Form in Hindi

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आप सभी जानते हैं कि देश में हर नौकरीपेशा व्यक्ति के लिए इनकम टैक्स भरना अनिवार्य है. लेकिन ऐसा नहीं है कि हर व्यक्ति के लिए इनकम टैक्स भरना जरूरी है, बल्कि इनकम टैक्स भरने के लिए एक निर्धारित सीमा दी गई है. जिससे हर व्यक्ति को इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता है. फ़िलहाल सरकार द्वारा इनकम टैक्स भरने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत की गई थी. जहां आप बिना कहीं जाए घर बैठे इनकम टैक्स भर सकते हैं.

आप सभी जानते हैं कि सरकार हर किसी से टैक्स नहीं लेती है, बल्कि टैक्स उन्हीं को देना होता है, जो सरकार द्वारा तय सीमा से ज्यादा कमाते हैं. और सभी को अपनी आय के हिसाब से इनकम टैक्स भरना पड़ता है. इसके लिए आपको आईटीआर (ITR Filing) नामक एक फॉर्म भरना होगा.

वैसे तो सरकार ने इनकम टैक्स के लिए सात अलग-अलग स्लैब बनाए हैं. जिसमें ITR-1 से लेकर ITR-7 तक के फॉर्म होते हैं. अब सवाल यह उठता है कि इनमे से कौनसा फॉर्म किसे भरना होता है. वैसे आइटीआर का पूरा नाम Income Tax Return होता है. और यह आपकी सालाना इनकम पर केंद्र सरकार (incometax.gov in) जो टैक्स वसूलती है, उसे इनकम टैक्स कहते हैं. यह टैक्स सरकार देश के बुनियादी ढांचे के विकास, प्रगति और देश की जीडीपी को बढ़ाने में योगदान देती है. इनकम टैक्स रिटर्न का फॉर्म हर साल भरा जाता है और यह फॉर्म इनकम टैक्स की ऑफिसियल वेबसाइट पर ऑनलाइन भर सकते है. यदि यह फॉर्म समय सीमा के अंदर नहीं भरा जाता है तो अतिरिक्त जुर्माने के साथ फॉर्म फिल किया जाता है.

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे कि आईटीआर क्या होता है (ITR Full Form in Hindi), कितने तरह के होते हैं ITR फॉर्म (Types of Income Tax Return) और किसे कौनसा फार्म भरना चाहिए.

ITR Full Form in Hindi

आइटीआर क्या है? (What Is ITR Filing In Hindi)

आईटीआर फॉर्म भरने से पहले यह समझना जरूरी है कि आईटीआर क्या है. और इसे भरा जाना इतना क्यों जरूरी है. ITR यानि इनकम टैक्स रिटर्न एक ऐसा फॉर्म है जिसमें एक व्यक्ति अपनी आय और साल भर में चुकाए जाने वाले भुगतान के बारे में टैक्स की जानकारी सरकार को देता है. इस टैक्स की जानकारी फॉर्म के जरिए दी जाती है और यह जानकारी सीधे टैक्स विभाग को जाती है. कोई व्यक्ति किस आधार पर टैक्स देगा, यह उसकी आय पर निर्भर करता है. अमूमन यह अवधि 1 अप्रैल से शुरू होती है और अगले साल 31 मार्च को समाप्त होती है. वर्ष 2023-24 के लिए पुराने टैक्स स्लैब के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की वार्षिक इनकम  2.5 लाख रुपये से ज्यादा है तो उसे आईटीआर जरूर भरना चाहिए. अगर इससे कम तो फिर भी जीरो आईटीआर (Nil Income Tax Return) भरना चाहिए.

इनकम टैक्स रेड क्या होती है?

आयकर स्लैब के अनुसार, किसी व्यक्ति या कंपनी को हर साल वित्तीय वर्ष की कुल आय इनकम टैक्स के रूप में फाइल करना अनिवार्य है. आयकर रिटर्न आय, वेतन, व्यापार में लाभ, पूंजीगत लाभ, ब्याज, किराया या किसी अन्य तरीके से अर्जित आय के रूप में हो सकता है.

आयकर विभाग द्वारा व्यक्ति या कंपनी को ITR Filing के लिए एक निश्चित समय अवधि दी जाती है. समय सीमा के अंदर ITR Filing नही होती है तो उसे जुर्माना देना होता है. लेकिन आम तौर पर देखा जाता है कि आयकर विभाग आईटीआर दाखिल करने की तय तारीख के बाद भी आगे की मोहलत दे देता है ताकि हर कोई आईटीआर दाखिल कर सके.

जीरो रिटर्न फाइल क्या है? (Nil Income Tax Return)

आमतौर पर लोग यह सोचते हैं कि आयकर रिटर्न केवल वही लोग भरते है जो आयकर के दायरे में आते हैं. लेकिन ऐसा नही है वह लोग भी आईटीआर भर सकते है जिनकी आय टैक्स स्लैब से कम है. जिसे जीरो आईटीआर फॉर्म बोलते है यह भी एक प्रकार का आईटीआर रिटर्न ही है जिसे निल इनकम टैक्स रिटर्न कहा जाता है. कोई व्यक्ति इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के टैक्स स्लैब के दायरे में नही आता और फिर भी वह टैक्स रिटर्न फॉर्म फिल करता है तो उसे जीरो आईटीआर फाइलिंग माना जाता है. और ऐसा अनिवार्य भी नही है कि कम इनकम वाले व्यक्ति ITR भरे.   

किस व्यक्ति को आईटीआर फाइल करना होता है? (Who Has To File ITR)

  • आयकर अधिनियम 1961 की धारा 139(1) के तहत, जिस व्यक्ति की वार्षिक आय 2.5 लाख से अधिक है, उसे आयकर देना आवश्यक है.
  • भारत में काम करने वाली सभी कंपनियाँ, चाहे वे सरकारी हों या निजी, उन्हें भी आयकर देना पड़ता है. उन्हें कितना इनकम टैक्स देना होगा यह उनके वार्षिक मुनाफ़े पर निर्भर करता है.
  • जिन व्यक्ति की आयु 60 वर्ष से कम है और जिनकी सालाना आय 3 लाख रुपये से अधिक है, उन्हें भी ITR भरना होता है.
  • जिन व्यक्ति की उम्र 60 से 80 वर्ष के बीच है और यदि उनकी वार्षिक आय 3 लाख रुपये से अधिक है, उन्हें भी नकम टैक्स देना होगा.
  • जिन व्यक्ति की उम्र 80 साल से ज्यादा है और यदि उनकी वार्षिक आय 10 लाख रुपये से अधिक है, उन्हें भी इनकम टैक्स देना होगा.
  • अगर कोई व्यक्ति भारत का निवासी है और विदेश में कोई कारोबार करता है तो वह भी टैक्स के दायरे में आता है.
  • अगर कोई व्यक्ति एनआरआई है लेकिन उसकी आय भारत से है, तो भी उसे आईटीआर दाखिल करना होगा.

आईटीआर फॉर्म क्यों भरा जाता है? (Why ITR form is filled)

अब कई लोगो के मन में यह सवाल खटक रहा होगा कि आईटीआर फॉर्म क्यों भरा जाता है इससे हमें क्या फ़ायदा. अब सीधे शब्दों में समझे तो अगर आप आयकर विभाग से रिफंड का दावा करना चाहते हैं तो आपको आईटीआर फॉर्म फाइल करना अनिवार्य होगा. आयकर रिटर्न एक ऐसा फॉर्म है जो कर निर्धारण प्राधिकारी के पास दाखिल किया जाता है. यह विभाग को आय, व्यय और उससे संबंधित टैक्स की जानकारी देता है. बैंक से लोन लेने के लिए, वीजा अप्लाई करने के लिए, इनकम प्रूफ के लिए, एड्रेस प्रूफ के लिए, खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए, ज्यादा पैसे के लेन-देन के लिए, ज्यादा इंश्योरेंस कवर के लिए और पेनल्टी से बचने के लिए इसके अलावा कई कामों में इस फॉर्म की जरूरत पड़ती है.

आईटीआर फॉर्म कितने तरह के हैं (Types of ITR Forms In Hindi)

जब हम आईटीआर फॉर्म भरते है तो हमे ऑनलाइन वेबसाइट पर कई तरह के ITR फॉर्म देखने को मिलते है यह फॉर्म व्यक्ति की आय के अनुसार भरा जाता है. फॉर्म मुख्य रूप से ITR फॉर्म 7 प्रकार के होते है. इनमें ITR-1, ITR-2, ITR-3, ITR-4, ITR-5, ITR-6 एवं ITR-7 हैं.

ITR-1

यदि कोई व्यक्ति वेतनभोगी कर्मचारी है जिसकी आय वेतन, किराया, संपत्ति, ब्याज या कृषि (5 हज़ार तक की आय) से है तो उसे ITR-1 फॉर्म भरना होगा. इसे सहज फॉर्म भी कहा जाता है. और उस व्यक्ति की आय 50 लाख से कम होनी चाहिए.

ITR-2

यह फॉर्म अमूमन वह व्यक्तियों या हिंदू अविभाजित फैमिली भरते है जिन लोगों ने अपनी संपत्ति या संपत्ति बेचकर आय अर्जित नहीं की. इसमें आने वाले करदाता की कुल आय 50 लाख रुपये से ज्यादा है और कृषि से आय भी 5,000 रुपये से अधिक है।

ITR-3

यह फॉर्म उन हिंदू अविभाजित परिवारों द्वारा भरा जाता है जो किसी प्रोफेशन या किसी बिजनेस से इनकम करते हैं.या फिर करदाता जिनकी आय गैर-सूचीबद्ध शेयरों में इन्वेस्ट से प्राप्त होती है, या किसी कंपनी का पार्टनर, कंपनी का निदेशक या बिजनेस पेंशनभोगी जिसका टर्नओवर 2 करोड़ रुपये से अधिक है.

ITR-4

यह फॉर्म वह लोग भरते है जो हिंदू अविभाजित परिवार, साझेदारी फर्म और भारत का निवासी है. और किसी प्रोफेशन या किसी बिजनेस से इनकम करते हो.  

ITR-5

यह फॉर्म इंस्टीट्यूशन के लिए होता है. जिन लोगों ने एलएलपी, एओपी, बीओआई के तहत अपना फार्म पंजीकृत किया है.

ITR-6

यह फॉर्म उनके लिए होता है जो कोई भी कंपनी आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 11 के तहत छूट का दावा नहीं करती है. और यह फॉर्म सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक रूप से भरा जाता है.  

ITR-7

यह फॉर्म पोलिटिकल पार्टी, हॉस्पिटल, मेडिकल इंस्टीट्यूशन, साइंटिफिक रिसर्च एसोसिएशन, न्यूज़ एजेंसियों, फंड यूनिवर्सिटी, एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन और ट्रस्ट के लिए होता है.  

आईटीआर फाइलिंग के लिए आवश्यक दस्तावेज (ITR Filing Documents Required)

  • बैंक खाता पासबुक
  • पैन कार्ड
  • आधार कार्ड
  • फोन नंबर
  • ईमेल आईडी
  • सैलरी स्लिप
  • फॉर्म-16
  • फॉर्म-16ए
  • फॉर्म-16बी
  • फॉर्म-16सी
  • फॉर्म-26AS

निष्कर्ष :- तो आज के इस लेख में हमने आपको बताया आईटीआर क्या होता है (ITR Full Form in Hindi), कितने तरह के होते हैं ITR फॉर्म (Types of Income Tax Return) और किसे कौनसा फार्म भरना चाहिए के बारे में. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.

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