शंकर भगवान के अवतार, कितने हैं, नाम बताइए, कौन-कौन से हैं, 19 अवतार, 2 अवतार, 24 अवतार, 52 अवतार 108 नाम (Bhagwan Shiva Ke Avtar Ke Naam, Lord Shiva Avatar list, Kaun The, Varnan, Kitne Hai, Naam Batao, List)
सनातन धर्म में हिंदू देवी-देवता समय-समय पर अपने अलग-अलग नामों के साथ अलग-अलग अवतारों में जन्म लेते हैं. और भगवान शंकर उनमें से एक हैं. भगवान शंकर ने समय की नजाकत को देखते हुए कई अवतार लिए. लेकिन सनातन धर्म में भगवान भोलेनाथ को संहार का देवता के नाम से जाना जाता है. शंकर भगवान अपने सौम्य मुख एवं रौद्र रूप दोनों के लिए प्रसिद्ध हैं. भगवान शंकर को कई नामों से जाना जाता है, कहीं उन्हें देवों के देव महादेव कहा जाता है तो कहीं त्रिदेव कहा जाता है. वैसे तो भोलेनाथ के कई अवतार हैं, कभी काल भैरव के अवतार में, कभी वीरभद्र के रूप में, कभी पिप्पलाद के रूप में तो कभी नंदी के रूप में. वैसे तो शिव जी का अर्थ कल्याणकारी माना गया है, लेकिन उन्होंने लय और प्रलय दोनों को सदैव अपने वश में रखा है.
यह तो आप सभी जानते है भगवान शिव त्रिदेवों में से एक हैं. जहाँ भगवान विष्णु पालक है तो ब्रह्मदेव सृष्टि के रचयिता है तो वही भोलेनाथ संहारक है. धर्मशास्त्रों की माने तो भगवान विष्णु के 24 अवतार है तो वही भगवान शंकर के 19 अवतार है. तो इसी कड़ी में आज के इस आर्टिकल में हम आपको शंकर भगवान के अवतारों (Lord Shiva-Avatar Names In Hindi) के बारे में पूरी जानकारी बताने वाले है.
भगवान शिव जी कौन है ?
भगवान शिव हिंदू धर्म में पूजे जाने वाले प्रमुख देवताओं में से एक हैं. वेद पुराण में रुद्र इनका नाम है. इनकी पत्नी यानि अर्धांगिनी का नाम माता पार्वती है. इनके दो बेटे है कार्तिकेय और गणेश. भगवान गणेश को देवताओं ने प्रथम पूजा का अधिकार दिया है. वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ कैलाश पर्वत पर रहते हैं. कश्यप ऋषि, शनि और लंकापति रावण भगवान शिव के भक्त है.
भोले नाथ सभी को समान रूप से देखते हैं, इसीलिए उन्हें महादेव पुकारा जाता है. उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में डमरू है और गले में हमेशा सांप लिपटा रहता है, जबकि उनकी जटाओं में माता गंगा का स्थान है.
भगवान शिव के कुछ प्रचलित नाम हैं- भोलेनाथ, महाकाल, महाशिव, नीलकण्ठ, आदिदेव, जटाधारी, काल भैरव, शंकर, महारुद्र, नागनाथ, महेश, किरात, ईवान्यन, चन्द्रशेखर, उमापति, मृत्युंजय, महाशिव, विषधर, त्रयम्बक, शशिभूषण, विश्वेश और भूतनाथ.
भगवान शिव के अवतारों के नाम (Bhagwan Shiv Ke Kitne Avatar Hai)
- शरभ अवतार
- पिप्पलाद अवतार
- नंदी अवतार
- भैरव अवतार
- अश्वत्थामा
- वीरभद्र अवतार
- गृहपति अवतार
- ऋषि दुर्वासा अवतार
- हनुमान अवतार
- वृषभ अवतार
- यतिनाथ अवतार
- कृष्णदर्शन अवतार
- अवधूत अवतार
- भिक्षुवर्य अवतार
- किरात अवतार
- सुनटनर्तक अवतार
- ब्रह्मचारी अवतार
- अर्धनारीश्वर अवतार
- सुरेश्वर अवतार
भगवान शिव ने कौन-कौन से अवतार लिए
1. शरभ अवतार
भगवान शिव ने शरभ के रूप में पहला अवतार लिया. इसमें भगवान शिव हिरण के स्वरूप में और पक्षी के स्वरूप में थे. इस अवतार में भोलेनाथ ने भगवान नृसिंह के क्रोध को शांत किया था. पौराणिक कथाओं के अनुसार हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए विष्णु भगवान ने नृसिंह अवतार लिया. और हिरण्यकश्यप का वध करने के बाद नृसिंह भगवान का क्रोध शांत नही हुआ तो देवता भगवान शिव के पास गए इनके आव्हान पर भगवान शिव ने शरभा का अवतार लिया और इस अवतार में भगवान नृसिंह के पास गये और उनकी स्तुति की. फिर भी नृसिंह का गुस्सा शांत नही हुआ. यह सब देखकर शरभ अवतारधारी भगवान शिव नृसिंह को अपनी पूंछ में लपेटकर उड़ गए. तब कहीं जाकर भगवान नृसिंह का क्रोध शांत हुआ.
2. पिप्पलाद अवतार
भगवान शिव ने पिप्पलाद के रूप में दूसरा अवतार लिया. एक बार पिप्पलाद ने देवताओं से पूछा कि ऐसा क्या कारण था कि मेरे पिता जी दधीचि मेरे जन्म से पहले ही मुझे छोड़कर देवलोकगमन हो गए. यह सुनकर देवताओं ने कहा कि ऐसा अशुभ योग शनि की दृष्टि के कारण हुआ. यह सुनकर पिप्पलाद को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने शनि जी को नक्षत्र मंडल से नीचे गिरने का श्राप दे दिया.
पिप्पलाद के श्राप देते ही शनि आकाश से नीचे गिरने लगे यह देखकर सभी देवताओं ने पिप्पलाद से प्रार्थना की और इस बात पर माफ़ किया कि किसी के पैदा होने से लेकर 16 वर्ष की उम्र तक उन्हें किसी तरह का कष्ट नहीं देंगे और तभी से पिप्पलाद मुनि का स्मरण करने से शनि की पीड़ा ख़त्म हो जाती है.
3. नंदी अवतार
भगवान शिव ने नंदी के रूप में तीसरा अवतार लिया. नंदी जिन्हें हम बैल के रूप में जानते है और यह कर्म का प्रतीक है. एक बार शिलाद मुनि नाम के एक ब्रह्मचारी हुआ करते थे. वंश का अंत देखकर उनके पूर्वजों ने शिलाद से संतान की उत्पत्ति करने को कहा. शिलाद ने अयोनिज एवं मृत्युहीन संतान की कामना के लिए भगवान शंकर की तपस्या करना शुरू कर दिया यह देखकर भगवान शंकर प्रसन्न हुए और उन्होंने शिलाद मुनि को पुत्र होने का एक वरदान दिया. तब एक दिन शिलाद खेती कर रहे थे, तभी भूमि से एक बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम नंदी रखा गया. और भगवान भोलेनाथ ने नंदी को अपना गणाध्यक्ष बनाया. इसके बाद से नंदी नंदीश्वर बन गए. इनकी शादी मरुतों की पुत्री सुयशा के साथ हुई. इसीलिए आज भगवान शिव के हर मंदिर में नंदीश्वर की आकृति होती है.
4. भैरव अवतार
भगवान शिव ने भैरव के रूप में चौथा अवतार लिया. एक बार भगवान शिव से प्रभावित होकर ब्रह्मा जी और विष्णु जी आपस में खुद को श्रेष्ठ मान रहे थे. तभी अचानक वह एक पुरुषाकृति दिखाई दी. यह देखकर ब्रह्माजी बोले- चंद्रशेखर तुम मेरे बेटे हो और मेरे शरण में आ जाओ. यह सुनकर भगवान शिव को गुस्सा आ गया और उन्होंने पुरुषाकृति से कहा कि काल के समान सुन्दर होने के कारण आप कालराज का साक्षात्कार कर रहे हैं और उग्र होने के कारण आप भैरव हैं. भगवान शिव से ये वरदान प्राप्त करने के बाद कालभैरव ने अपनी उंगली के नाखून से ब्रह्मा जी के 5वें सिर को शरीर से अलग कर दिया. और कालभैरव को ब्रह्मा जी की हत्या का दोष लग गया और इस दोष को दूर करने के लिए कालभैरव काशी चले गए.
5. अश्वत्थामा
भगवान शिव ने अश्वत्थामा के रूप में पांचवा अवतार लिया. यदि महाभारत की मानें तो यह अवतार पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य से हुआ था. द्रोणाचार्य ने भगवान शिव को बेटे रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की और भगवान उनसे प्रसन्न हुए और पुत्र के रूप में पैदा हुए. और समय आने पर सवंतिक रुद्र ने अपने अंश से द्रोण के पराक्रमी पुत्र अश्वत्थामा के रूप में अवतरित हुए. ऐसा माना जाता है कि अश्वत्थामा अमर हैं और वे आज भी धरती पर ही रहते हैं.
6. वीरभद्र अवतार
भगवान शिव ने वीरभद्र के रूप में छटवां अवतार लिया. भगवान भोलेनाथ की शादी ब्रह्मा जी के बेटे दक्ष की बेटी सती के साथ हुई थी. एक बार भगवान शिव के ससुरजी दक्ष ने बहुत बड़ा यज्ञ करवाया था और उस यज्ञ में भगवान शिव को निमंत्रण नही दिया. इसके बाद भी सती यज्ञ में आई और अपने पति का अपमान देख यज्ञवेदी में कूद गई और अपने प्राण त्याग दिए. जैसे ही इस बात का पता भगवान भोलेनाथ को चला तो उन्होंने क्रोध में आकर अपनी जटा उखाड़ी और पर्वत के ऊपर पटक दी. और उस जटा से शक्तिशाली अवतार वीरभद्र प्रकट हुए. इस अवतार ने भगवान भोलेनाथ के आदेश पर दक्ष के यज्ञ को पूरी तरह से नष्ट कर दिया और उसका सिर धड से काटकर उसे मृत्युदंड दिया. इसके बाद देवताओं के अनुरोध पर भगवान शंकर ने दक्ष के सिर पर बकरे का सिर लगा कर उसे पुनः जीवित कर दिया.
7. गृहपति अवतार
भगवान शिव ने गृहपति के रूप में सातवां अवतार लिया. नर्मदा नदी के तट पर एक नगर हुआ करता था जिसका नाम धर्मपुर था. इस नगर में विश्वानर नाम के एक ऋषि मुनि और उनकी पत्नी शुचिष्मती रहा करती थी. शुचिष्मती के कोई संतान नही थी तो एक दिन उन्होंने अपने पति विश्वानर से भोलेनाथ के पुत्र प्राप्ति की इच्छा जताई. और अपनी पत्नी की इच्छा पूरी करने के लिए ऋषि काशी चले गए. वहा इन्होने वीरेश-लिंग की कड़ी साधना और तपस्या की. एक दिन तपस्या के दौरान ही उन्हें वीरेश-लिंग के बीच में एक बच्चा दिखाई दिया. यह देखकर ऋषि ने बालरूपधारी शिव की पूजा अर्चना की. अंतत भगवान शंकर इनकी पूजा से प्रसन्न होकर ऋषि विश्वानर की पत्नी के पेट यानि गर्भ से अवतार लेने का वरदान दिया. कुछ समय बाद शुचिष्मती के गर्भ से भगवान शंकर पुत्र रूप में प्रकट हुए.
8. ऋषि दुर्वासा अवतार
ऋषि दुर्वासा के रूप में भगवान शंकर का आठवां अवतार है. सती अनुसुइया के पति महर्षि अत्रि ने पुत्र की कामना से ब्रह्मा जी के अनुरोध पर अपनी पत्नी के साथ ऋक्षकुल पर्वत पर कठोर तप किया. इनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर तीनो लोक के देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनो महर्षि के आश्रम पर गए. और तीनो ने कहा कि हमारे अंश से आपके तीन बेटे होंगे. जो सभी जगह त्रिलोकी के रूप में विख्यात होने और माता-पिता की कीर्ति को बढ़ाएगा. वक्त गुजरने पर ब्रह्माजी के अंश से चंद्रमा, विष्णु के अंश से दत्तात्रेय और भगवान शंकर के अंश से मुनिवर दुर्वासा उत्पन्न हुए.
9. हनुमान अवतार
हनुमान जी भगवान शिव के नौवें अवतार हैं और सभी अवतारों में सर्वश्रेष्ठ भी हैं. इस अवतार में शिव जी ने वानर का रूप धारण किया था. भगवान विष्णु मोहिनी रूप में देवताओं और दानवों को अमृत बांट रहे थे. मोहिनी की लीला देखकर देखकर भगवान शिव खुद को रोक न सके और कामातुर होकर वीर्यपात हो गया. सप्तऋषियों ने वीर्य को कुछ पत्तों पर एकत्रित किया और वक्त आने पर उस वीर्य को वानरराज केसरी की धर्मपत्नी अंजनी के कान के जरिए से गर्भ में स्थापित कर दिया. और इससे पराक्रमी, तेजस्वी, रामभक्त श्री हनुमानजी का जन्म हुआ.
10. वृषभ अवतार
वृषभ अवतार भगवान शंकर का दसवां अवतार था. भगवान शंकर ने अपने इस अवतार में विष्णु पुत्रों का संहार किया था. जब भगवान विष्णु राक्षसों को मारने के लिए पाताल लोक गए तो उन्हें वहां चंद्रमुखी स्त्रियां दिखाई दीं. विष्णु ने उन चंद्रमुखी स्त्रियो के साथ मिलकर सहवास किया जिनके कई पुत्र पैदा हुए. उन पुत्रो ने पाताल और पृथ्वी काफी उपद्रव मचाया. यह देखकर भगवान शिव ने वृषभ अवतार लिया और विष्णु पुत्रों का नाश कर दिया.
11. यतिनाथ अवतार
यह शिव जी का ग्यारहवां अवतार है. अर्बुदाचल पर्वत के पास शिव जी के भक्त आहुक-आहुका भील पति पत्नी रहते थे. एक बार शिवजी यतिनाथ के रूप में उनके घर आए और रात को उसी घर में रुकने की इच्छा व्यक्त की. आहुका ने अपने पति को घर की मर्यादा को याद कराते हुए खुद धनुष-बाण लेकर घर के बाहर रात बिताने के बारें में निर्णय लिया और यतिनाथ से अपने घर में सोने के लिए कहा. अगले दिन जब सुबह हुई तो देखा कि आहुका को वन्य प्राणियों ने मार दिया यह सब देखकर यतिनाथ काफी दुखी हुए. और शिवजी ने आहुक को दर्शन दिये और अगले जन्म में पुनः अपने पति से मिलने का वरदान दिया.
12. कृष्णदर्शन अवतार
इक्ष्वाकु वंश में राजा नभग का जन्म हुआ. वह विद्या-अध्ययन प्राप्ति के लिए गुरुकुल चले गए. जब वह बहुत दिनों तक न आये तो उसके भाइयों ने राज्य का बंटवारा कर लिया और आपस में बांट लिया. जब यह बात नभग को पता चली तो वह अपने पिता के पास गया. पिता ने कहा कि वह ब्राह्मणों के साथ यज्ञ को सम्पन्न करे तब उन्हें धन की प्राप्ति होगी. तब राजा नभग यज्ञभूमि में जाकर वैश्य देव सूक्त का पाठ करके यज्ञ को पूरा करवाया. यह देखकर ब्राह्मण ने शेष धन नभग को दे दिया और चले गये. उसी पल भगवान शंकर कृष्ण दर्शन के रूप में अवतरित हुए और राज्य की विवाद का हल करने के लिए अपने पिता को कराने को कहा. नभग द्वारा पिता से पूछने पर श्राद्ध देव ने कहा वह पुरुष भगवान शिव हैं. यज्ञ में जो अवशिष्ट बचा है वह उन्हीं का है. अपने पिता की बात मानकर नभग ने भगवान शिव की स्तुति की.
13. अवधूत अवतार
इंद्र देव के अंहकार को चूर करने के लिए शिव जी ने अवधूत अवतार लिया था. एक समय की बात है इंद्र बृहस्पति तथा अन्य देवताओं के साथ शिव जी के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पर गये. इंद्र देव की परीक्षा लेने के लिए शिव जी ने अवधूत अवतार लेकर उनका रास्ता रोक लिया. इंद्र जी ने कई बार अवधूत ने उनका परिचय पूछा लेकिन उन्होंने मौन धारण करे रखा. कई बार पूछने के बाद इंद्र क्रोध में आ गये और जैसे ही वह अवधूत पर आक्रमण करने के लिए वज्र छोड़ रहे थे, उसका हाथ एक ही स्थान पर रह गया और हिला नहीं. यह सब देखकर बृहस्पति समझ गए कि ये भगवान शंकर हैं, तब जाकर उन्होंने अवधूत की अनेक प्रकार से स्तुति की. इससे प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने इंद्र को माफ़ कर दिया.
14. भिक्षुवर्य अवतार
विदर्भ के राजा नरेश सत्यरथ को उसके दुश्मनों ने मार गिराया. राजा पत्नी गर्भवती थी तो उन्होंने कही छिपकर खुद की जान बचाई. कुछ समय बाद उन्होंने बेटे को जन्म दिया. एक बार जब रानी पानी पीने के लिए एक सरोवर के पास गई तो घड़ियाल ने उन्हें अपना शिकार बना लिया और खा गया. रानी का पुत्र भूख-प्यास से रो रहा था. इसी बीच भगवान शिव की प्रेरणा से एक भिखारी वहां पहुंचा. भिखारी वेशधारी शिवजी ने बालक का परिचय उस भिखारी से कराया और उसके पालन-पोषण करने के लिए कहा. इतना कहकर भिखारी रूपी शिव ने उस भिखारी को अपने वास्तविक स्वरूप दिखाया. शिवजी के आदेशानुसार भिखारिन ने बालक का पालन-पोषण करना शुरू किया और जब वह बालक बड़ा हुआ तो भगवान शंकर के आशीर्वाद से उसने अपने सभी शत्रुओं को परास्त करके अपने पिता का राज्य पुनः प्राप्त कर लिया.
15. किरात अवतार
कौरवों ने छल से पांडवों का राज्य पर कब्ज़ा कर लिया जिसके कारण पांडवों को वनवास पर जाना पड़ा. वनवास में अर्जुन भोलेनाथ की साधना कर रहे थे तभी दुर्योधन ने अर्जुन को मारने के लिए सुअररूपी शूकर दैत्य को भेजा. तभी अर्जुन ने दैत्य पर अपने त्रिशूल से हमला किया. उसी वक्त भोलेनाथ ने भी किरात अवतार लेकर शूकर पर तीर से हमला किया. अर्जुन को यह लगा कि उसने ही उस शूकर को मारा है. अर्जुन किरात रूप में शंकर जी को पहचान न सके और दोनों में युद्ध छिड़ गया. अर्जुन का साहस देखा शंकर जी प्रसन्न हुए और अपने असली रूप में प्रकट हुए और अपना पाशुपात अस्त्र प्रदान किया।
16. सुनटनर्तक अवतार
भगवान शंकर जी सुनटनर्तक का वेष धारण माता पार्वती के पिता पर्वत राजा हिमाचल से उनकी बेटी से विवाह करने के लिए किया. हाथ में डमरू लेकर वह हिमाचल के निवास स्थान पहुंचे और नृत्य करने लगे. शिवजी ने इतना सुन्दर नृत्य किया कि वह मौजूद सभी लोग प्रफुल्लित हो गये. तब हिमाचल ने नटराज रूपी शिव को भिक्षा मांगने के लिए कहा तो नटराज ने भिक्षा में पार्वती का हाथ माँगा. यह देखकर हिमाचल गुस्से से लाल हो गये और कुछ समय बाद नटराज रूपी शिवजी ने अपना असली रूप दिख पार्वती को दिखाकर वहां से चले गये. शिव जी के जाने के बाद पर मैना और हिमाचल को दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई और उन्होंने अपनी बेटी पार्वती का हाथ शिवजी को दे दिया.
17. ब्रह्मचारी अवतार
दक्ष के यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति देने के बाद जब सती का जन्म हिमालय के घर हुआ तो उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने की चाह को लेकर कठिन तप किया. उसी दौरान पार्वती की परीक्षा लेने के लिए भगवान शिव ब्रह्मचारी का रूप धारण कर उनके पास पहुंचे. पार्वती ने ब्रह्मचारी को देख उनकी अच्छी तरह से पूजा अर्चना की. तभी ब्रह्मचारी ने पार्वती जी से उनकी तपस्या का उद्देश्य के बारे में पूछा और भगवान भोलेनाथ की निंदा करना शुरू किया. यह सब देख पार्वती को गुस्सा आ गया तभी शिवजी अपने असली वेश धारण किया. यह सब देखकर पार्वती बहुत प्रसन्न हुईं.
18. अर्धनारीश्वर अवतार
ब्रह्माण्ड में प्रजा की उन्नति नही होने के कारण ब्रह्मा जी चिंतित हो गये. तभी अचानक आकाशवाणी हुई – ब्रह्म! मैथुनी सृष्टि उत्पन्न कीजिए. तभी ब्रह्मा जी ने मैथुनी सृष्टि रचने का संकल्प लिया. लेकिन तब तक शंकर जी से नारी कुल की उत्पत्ति नहीं हुई थी. तभी ब्रह्मा जी ने शंकर जी को शक्ति से संतुष्ट करने के लिए कठिन तप किया. ब्रह्मा जी के तप से प्रसन्न होकर शिव जी ने अर्धनारीश्वर के रूप धारण कर उनके पास आये और अपने स्वंय के शरीर से देवी शिव/शक्ति के अंश को अलग कर दिया. इसके बाद ब्रह्माण्ड का विस्तार हुआ.
19. सुरेश्वर अवतार
सुरेश्वर अवतार में भगवान शिव का आखिरी अवतार था. शिव जी ने यह अवतार धारण एक छोटे से बालक उपमन्यु की भक्ति से प्रसन्न होकर किया था. और उपमन्यु के प्रति उसकी अटूट भक्ति देखकर भगवान शिव ने उसे परम भक्ति और अमरता का वरदान दिया.
निष्कर्ष – आज के इस लेख में हमने आपको शंकर भगवान के अवतारों (Lord Shiva-Avatar Names In Hindi) के बारें में बताया. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.
FAQ
Q : शिव के अवतार कितने हैं?
Ans : शिव के 19 अवतार हैं.
Q : क्या हनुमान शिव अवतार हैं?
Ans : हनुमान शिव के नौवें अवतार हैं.
Q : शिव का पहला अवतार कौन था?
Ans : शरभ अवतार
Q : भगवान शिव का सबसे शक्तिशाली अवतार कौन है?
Ans : शरभ अवतार
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