शारदीय नवरात्रि कब है, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि | Shardiya Navratri 2023 Date In Hindi

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शारदीय नवरात्रि कब है, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, महत्व, नियम, हवन सामग्री, निबंध 10 लाइन, पूजन विधि मंत्र, महत्व (Shardiya Navratri 2023 Date In Hindi, Kalash Sthapana Muhurat, Ashtami Navratri 2023, Puja Vidhi, Samagri List, Date And Time)  

Shardiya Navratri 2023 Date In Hindi –  नवरात्रि सनातन धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है. यह प्रत्येक वर्ष बड़े ही श्रद्धा व भक्ति से मनाया जाता है. वर्ष में चार नवरात्रि पड़ते है, जिनमें दो नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है, जबकि शेष दो नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि और आश्विन की नवरात्रि के नाम से जाना जाता है. प्रत्येक वर्ष माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन की नवरात्रि मनाने का विधान है. यहाँ इस आर्टिकल में हम आपको आश्विन की नवरात्रि (Shardiya Navratri 2023 Date In Hindi) की बात कर रहें है. यहाँ हम यह भी जानेंगे कि वर्ष 2023 की आश्विन की नवरात्रि कब से कब तक है. पंचांग के अनुसार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है !

Shardiya Navratri 2023

शारदीय नवरात्रि क्यों मनाया जाता है? (Shardiya Navratri 2023)

नवरात्रि का अर्थ हैं, ‘नौ रात्रि’ या ‘नौ रातें’. नवरात्रि को ‘नवरात्र’ के नाम से भी जाना जाता है. नवरात्रि को ‘विशेष रात्रि’ माना जाता है. इन दिनों माँ दुर्गा के अलग अलग स्वरूपों की पूजा होती है. सनातन धर्म में विशेष पूजा के लिए ‘रात्रि को’ दिन से अधिक महत्वपूर्ण माना गया है. अब यही कारण है कि दीपावली, होलिका दहन, शिवरात्रि, नवरात्रि आदि त्यौहार को रात्रि के समय मनाने की परंपरा रही है. इसलिए नवरात्रि के पर्व को ‘विशेष रात्रि का पर्व’ कहा जा सकता है. यहाँ विशेष रात्रि का अर्थ है, ‘विशेष प्रकार से पूजा’. विशेष प्रकार से पूजा और अपने नियमित जीवन में अपनाये जा रहे शुद्ध कर्म से ही कोई व्यक्ति ईश्वर या देवी की कृपा प्राप्त कर सकता है. तभी उसका पूजा फलित हो सकती है.

नवरात्रि में माँ दुर्गा की नौ दिनों तक विशेष प्रकार से पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्रि प्रत्येक वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरम्भ होकर नवमी तिथि तक मनाई जाती है. दशमी तिथि को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है. विजयादशमी को ही दशहरा कहते है. इस दिन माँ दुर्गा की प्रतिमा विसर्जित की जाती है. इसी दिन रावण दहन भी होता है. अंग्रेजी कैलेंडर में यह समय प्रायः सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है. इस बार नवरात्रि 15 अक्टूबर से आरंभ होकर 23 अक्टूबर तक मनाई जायेगी. 

नवरात्रि कब से शुरू है 2023

वर्ष 2023 की नवरात्रि 15 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक है. इस बार प्रत्येक पूजा के लिए एक दिन निर्धारित है यानि इस बार एक दिन में दो पूजा नहीं पड़ रही है.

नवरात्रि 2023 के 9 दिन कौन सी माता का दिन है?

नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ अलग अलग स्वरूपों की पूजा का विधान है. माँ दुर्गा के हर स्वरुप की पूजा से विशेष आशीर्वाद और वरदान प्राप्त होता है, जो इहलोक से परलोक तक आनंद प्रदान करने वाला है। 

वर्ष 2023 की नवरात्रि –

  • 15 अक्टूबर – पहली पूजा – माँ शैलपुत्री
  • 16 अक्टूबर – दूसरी पूजा – माँ ब्रह्मचारिणी
  • 17 अक्टूबर – तीसरी पूजा – माँ चंद्रघंटा
  • 18 अक्टूबर – चौथी पूजा – माँ कुष्मांडा
  • 19 अक्टूबर – पांचवी पूजा – स्कंदमाता
  • 20 अक्टूबर – छठी पूजा – माँ कात्यायनी
  • 21 अक्टूबर – सातवीं पूजा – माँ कालरात्रि (माँ काली)
  • 22 अक्टूबर – आठवीं पूजा – माँ महागौरी
  • 23 अक्टूबर – नौवीं पूजा – माँ सिद्धिदात्री
  • 24 अक्टूबर – विजयादशमी – (दशहरा)

शारदीय नवरात्रि 2023 में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त (Navratri 2023 Date And Time)

नवरात्रि के पहले दिन माता का आह्वान के साथ ही कलश स्थापना (Kalash Sthapana Navratri 2023) का विधान है. सनातन धर्म शास्त्रों में शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व बतलाया गया है. कलश की स्थापना भी शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए. माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए कलश स्थापना का योग ‘हस्त नक्षत्र प्रतिपदा तिथि’ माना गया है पर इस बार ऐसा योग नहीं बन रहा है. पंचांग के अनुसार 15 अक्टूबर को चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग (10:24 सुबह तक) पड़ रहा है, जो शुभ नहीं माना जाता है. वैधृति योग सुबह 10:24 तक है, उसके बाद विष्कुम्भ योग शुरू हो जाएगा.

इस बार कलश स्थापना का समय सुबह 6:30 से 8:45 तक है. उसके बाद फिर सुबह 11:44 से दोपहर 12:30 का अभिजीत मुहूर्त कलश स्थापना के लिए शुभ है.

इस नवरात्रि माता की सवारी क्या है 2023?

श्री देवी मद्भावत में वर्णन मिलता है कि नवरात्रि में देवी का आगमन विभिन्न अलग अलग वाहनों से होता है, जो सप्ताह के दिनों के ऊपर निर्भर है. श्लोक है – ‘शशि सूर्य गजरुढा शनिभैंमैं तुरंगमे. गुरूशुक्रेच डोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता.‘ यदि माँ दुगा का आगमन सोमवार या रविवार को होता है तो माता का आगमन हाथी पर माना जाता है. शनिवार और मंगलवार को माँ का आगमन अश्व पर होता है.गुरुवार और शुक्रवार को यदि नवरात्रि का आरम्भ हो तो माता का आगमन डोली पर माना जाता है. बुधवार के दिन यदि नवरात्रि का आरम्भ हो तो माँ का आगमन नाव पर होता है. चूँकि इस बार नवरात्रि रविवार से आरंभ हो रही है इसलिए माँ दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है, जो अत्यंत शुभ है. देवी का यह आगमन लोगो के जीवन में सुख, समृद्धि लाने वाला है. यह दुखो का अंत करने व सुख के दिन लाने वाला है.   

नवरात्रि में पूजा करने की विधि (Shardiya Navratri Puja Vidhi)

नवरात्रि में क्षमतानुसार कलश स्थापना किया जा सकता है. नौ दिनों तक व्रत भी धारण किया जाता है.लेकिन क्या कलश स्थापना के बिना भी व्रत धारण किया जा सकता है? इसका उत्तर है, हाँ! नवरात्रि में कलश स्थापना किये बिना भी व्रत धारण किया जा सकता है. इसके लिए नियमित पूजन करना चाहिए. दुर्गा सप्तशती का पाठ नियमित करना चाहिए. सामान्यतः कलश स्थापना में व नियमित पाठ के लिए पंडितो का सहयोग लिया जाता है क्योंकि कलश स्थापना में मंत्रोचार के साथ देवी का आह्वान किया जाता है, जो अगले नौ दिनों तक (नौ पूजा तक) रहता है. साथ ही नियमित दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है.

कलश स्थापना के बाद बीच के दिनों में कलश को हिलाना नहीं चाहिए. संभव हो तो एक अखंड दीपक भी जलाना चाहिए. अगर किसी कारण से ‘कलश स्थापना करना और व्रत धारण करना’ –  दोनों ही कठिन हो तो भी नवरात्रि में माँ दुर्गा का नियमित पूजा अवश्य करनी चाहिए एवं दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए. माँ दुर्गा प्रत्येक जीवात्मा की अन्तःकरण की बात को जानती हैं इसलिए मन, कर्म व वचन से शुद्ध रहना अति आवश्यक है. तभी पूजा का पूर्ण फल मिलता हैं. माँ की भक्ति कभी निष्फल नहीं जाती, भले ही इसमें थोड़ी विलम्ब हो जाएँ मगर माँ प्रत्येक को उसकी भक्ति का फल अवश्य देती है. उनकी कामनाओ की पूर्ति करती है, उसकी रक्षा करती है. इसलिए नवरात्रि में माँ दुर्गा का पूजन अपनी क्षमतानुसार तरीके से (कलश स्थापना के साथ अथवा बिना कलश स्थापना के भी) करना चाहिए.

नवरात्रि हवन सामग्री (Navratri Puja Samagri List)

कपूर, हवन कुंड, काला तिल, गाय का घी, लौंग, इलायची, शक्कर, सूखा नारियल, जौ, चावल, धूप, अगरबत्ती, लोभान, नीम, चंदन, सुपारी, हवन सामग्री, अश्वगंधा, पीपल की सूखी लकड़ी, गंगाजल, रोली, मुलैठी, चरणामृत, आम, पान के पत्ते, फूलों की माला, बेल, गूलर की छाल, रक्षासूत्र, पलाश, शहद, फल, कलावा आदि.                          

नवरात्रि पूजन विधि मंत्र

  • ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:
  • सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥
  • या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

नवरात्रि के 9 दिन के कलर 2023 list

नवरात्रि 2023 के नौ रंग हैं नारंगी, सफेद, लाल, शाही नीला, पीला, हरा, ग्रे, बैंगनी और मोर हरा. इन रंगों का उपयोग नवरात्रि के दौरान पूजी जाने वाली नौ देवियों के प्रतीक के रूप में किया जाता है.

निष्कर्ष– आज के इस लेख में हमने आपको बताया शारदीय नवरात्रि कब है, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि (Shardiya Navratri 2023 Date In Hindi) के बारें में. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.

FAQ

Q : 2023 में नवरात्रि कब है October?
Ans : 15 अक्टूबर 2023 से 23 अक्टूबर तक

Q : नवरात्रि 2023 अष्टमी कब है
Ans : 22 अक्टूबर 2023 को

Q : दुर्गा अष्टमी का व्रत कब है?
Ans : 22 अक्टूबर 2023 को

Q : 2023 नवरात्रि दशहरा कब है?
Ans : 24 अक्टूबर 2023 को

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