लाला लाजपत राय का जीवन परिचय | Lala Lajpat Rai Biography in Hindi

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Lala Lajpat Rai Biography in Hindi – लाला लाजपत राय “पंजाबी केसरी” और “पंजाब का शेर” के नाम से विख्यात है. भारत में अंग्रेजी शासन के खिलाफ लड़ने वाले प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक लाला लाजपत राय थे. उन्होंने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत की आजादी के संघर्ष में भाग लिया और भारत देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों का भी बलिदान दिया. लाला लाजपत राय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल के प्रमुख नेता थे और संपूर्ण पंजाब का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे प्रमुख क्रांतिकारी थे. लाला लाजपत राय ने गुलाम भारत को आजाद कराने के लिए अपनी आखिरी सांस तक जमकर संघर्ष किया और शहीद हो गए.

लाला लाजपत राय का जीवन आने वाली पीढियों के लिए प्रेरणादायक स्त्रोत है. तो आज के इस लेख में हम आपको लाला लाजपत राय का जीवन परिचय (Lala Lajpat Rai Biography in Hindi) से जुड़े तमाम पहलुओं के बारे में विस्तार से आपको बताएंगे.

Lala Lajpat Rai Biography in Hindi

लाला लाजपत राय का जीवन परिचय (Lala Lajpat Rai Biography in Hindi)

नाम (Name) लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai)
अन्य नाम (Other Names) पंजाब केसरी, पंजाब का शेर
जन्म तारीख (Date Of Birth) 28 जनवरी, 1865
लाला लाजपत राय जयंती (Lala Lajpat Rai Birthday) 28 जनवरी
जन्म स्थान (Place) धुदिके, लुधिआना, पंजाब, ब्रिटिश भारत
उम्र (Age) 63 साल
मृत्यु की तारीख (Date of Death) 17 नवंबर, 1928
मृत्यु का कारण (Death Cause) लाठी चार्ज में घायल होने पर मौत
मृत्यु स्थान (Place Of Death) लाहौर, पंजाब, ब्रिटिश इंडिया
व्यवसाय  (Profession) राजनीतिज्ञ, स्वतंत्रता सेनानी और लेखक
संगठन (Organization) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
शिक्षा (Educational Qualification) वकील
नागरिकता (Citizenship) भारतीय
भाषा (Languages) हिंदी
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) विवाहित
पिता का नाम (Lala Lajpat Rai Father Name) मुंशी राधाकृष्ण अग्रवाल
माता का नाम (Lala Lajpat Rai Mother Name) गुलाब देवी अग्रवाल
भाई का नाम (Lala Lajpat Rai Brother) लाला धनपत राय
पत्नी का नाम (Lala Lajpat Rai Wife) राधा देवी अग्रवाल
बेटी का नाम (Lala Lajpat Rai Daughter) पार्वती अग्रवाल
बेटे का नाम (Lala Lajpat Rai Son) प्यारेलाल अग्रवाल एवं अमृत राय अग्रवाल

कौन थे लाला लाजपत राय (Who was Lala Lajpat Rai)

लाला लाजपत राय एक सच्चे राष्ट्रवादी, स्वतंत्रता सेनानी, एक नेता, लेखक, वकील, समाज-सुधारक और आर्य समाजी थे. लाला लाजपत राय जी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ शक्तिशाली भाषण दिया और ब्रिटिश सत्ता को समाप्त कर दिया, साथ ही उन्होंने लोगों में देश भक्ति की भावना जागृत की, इसी वजह से उन्हें पंजाब केसरी तथा पंजाब का शेर भी उपाधि मिली. बचपन से ही वह अपने देश की सेवा करने की इच्छा रखतें थे और इसलिए उन्होंने इसे विदेशी शासन से मुक्त करवाने की प्रतिज्ञा ली थी. लाला जी महान् स्वतंत्रता सेनानी थे. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया. वह बचपन से ही अपने मन में देश-प्रेम एवं देश-सेवा की भावना रखते थे. शेर-ए-पंजाब लाला लाजपतराय राय ने भारत देश को विदेशी शासन से मुक्त करवाने की कसम खाई थी, जिसके लिए उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनो में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना की. भारत के तीन प्रमुख नायकों लाल-पाल-बाल में से लाला लाजपतराय राय भी एक थे.

लाला लाजपत राय का जन्म और परिवार (Lala Lajpat Rai Birth and Family)

लाला लाजपतराय राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के लुधियाना के एक छोटे से गांव धुड़िके के अग्रवाल जैन परिवार में हुआ उनके पिता का नाम मुंशी राधा कृष्ण अग्रवाल और माता का नाम गुलाब देवी था, जो एक धार्मिक महिला थी, इन्होंने अपने बच्चों में मजबूत नैतिक मूल्यों का विकास किया. इनके पिता उर्दू तथा पर्शियन गवर्नमेंट स्कूल के टीचर थे, जिनका तबादला हरियाणा के रेवाड़ी शहर में हो गया और इनका परिवार रेवाड़ी चला गया. वहां जाकर इनकी शुरुआती शिक्षा प्रारम्भ हुईं.

गांधी जयंती पर भाषण

लाला जी के भाई का नाम लाला धनपत राय, लाला रनपत राय, लाला दलपत राय था. और इनकी पत्नी का नाम राधा देवी अग्रवाल था इनके दो बेटे और एक बेटी है. जिनका नाम पार्वती अग्रवाल, प्यारेलाल अग्रवाल एवं अमृत राय अग्रवाल है.      

लाला लाजपत राय की शिक्षा (Lala Lajpat Rai Educational Qualification)

लाला लाजपत राय की प्रारंभिक शिक्षा साल 1880 में गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल रेवाड़ी से पूरी हुई, जहां इनके पिता उर्दू के टीचर हुआ करते थे. वह बचपन से ही बहुत होशियार और मेधावी छात्र थे. इसके बाद इन्होने अपनी कानून की पढ़ाई के लिए लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज में दाखिला लिया.

कॉलेज के दौरान इनकी मुलाकात पंडित गुरु दत्त और लाला हंस राज जैसे स्वतंत्रता सेनानियों से हुई. उन्होंने वकालत की शिक्षा के बाद, हरियाणा के हिसार में अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू की और इसके बाद वह एक अच्छे वकील बने और उन्होंने कुछ समय वकालत भी की किंतु लाला लाजपत राय राय का मन वकालत से संतुष्ट नहीं था. अंग्रेजों की कानून व्यवस्था के खिलाफ उनके मन में आक्रोश उत्पन हो गया, जिस वजह से उन्होंने वकालत छोड़ दी. उनके मन में बचपन से ही देश प्रेम की भावना थी, इसी कारण उन्होंने भारत को विदेशी साम्राज्य से मुक्त कराने का संकल्प लिया और स्वतंत्रता की राह पर चल पड़े.

लाला लाजपत राय का क्रांतिकारी जीवन (Lala Lajpat Rai Revolutionary life)

लाला लाजपत ने साल 1884 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और लाहौर से हिसार चले आये. साल 1886 में उनका परिवार हिसार में शिफ्ट हो गया, जहां उन्होंने वकील के रूप में कानून का प्रशिक्षण किया. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की हिसार ब्रांच की स्थापना की. साल 1892 में वह अपनी कानून की पढ़ाई को सुप्रीम कोर्ट में लागू करने के लिए लाहौर चले गए. उन्होंने जनरलिज्म का भी अभ्यास किया और “द ट्रिब्यून अखबार” में अपने विचार प्रकाशित करना जारी रखा.

लाला लाजपत राय ने साल 1888 में राजनीति में प्रवेश किया और एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में काम किया और देश की आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया. वह इलाहाबाद में हुए कांग्रेस सत्र में 80 प्रतिनिधियों में से एक व्यक्ति थे और उनके वीरतापूर्ण भाषण ने कांग्रेस मंडल में हलचल मचा दी और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ गई. उन्होंने देश को बेहतर बनाने के लिए हिसार के छोटे से शहर से पलायन करने का फैसला किया. लाला लाजपत राय ने साल 1888 और 1889 में एक प्रतिनिधि के रूप में राष्ट्रीय कांग्रेस के वार्षिक सत्र में भाग लिया और फिर 1892 में सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए लाहौर चले गए, जहां उन्होंने पंजाब सुप्रीम कोर्ट में एक वकील के रूप में कानून का प्रशिक्षण किया. उन्होंने हमेशा कानूनी दायित्वों और सामाजिक सेवा का ध्यान रखा.

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तीन प्रमुख हिंदू राष्ट्रवादी नेताओं में से एक लाला लाजपत राय थे. वह लाल-बाल-पाल की तिकड़ी का एक हिस्सा थे. बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल इस तिकड़ी के अन्य दो सदस्य थे. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में नरमपंथियों का विरोध करने के लिए गरम दल का गठन किया. लाहौर में उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कंपनी की स्थापना की. उन्होंने बंगाल विभाजन के खिलाफ प्रतिरोध में सक्रिय भाग लिया और स्वदेशी अभियान चलाया. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नए अध्यक्ष के रूप में उनका नाम तब सामने आया, जब वे प्रसिद्ध लाल बाल और पाल में शामिल हुए.

सरकार द्वारा किये गये दमनात्मक उपायों का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और उन्होंने लोगों को राष्ट्रीय गौरव और आत्म-सम्मान के प्रति अग्रसर किया. लाला लाजपत राय का स्वभाव निष्पक्ष था, इसी कारण उन्हें हिसार नगर पालिका की सदस्यता प्राप्त हुई, जिसके बाद वे सेक्रेटरी भी बने. बाल गंगाधर तिलक जी ने पूर्ण स्वराज को लेकर पूरे देश में आवाज बुलंद की, इस राह पर चलते हुए तिलक जी के उपरांत लाला लाजपतराय राय ने भी पूर्ण स्वराज की मांग उठाई, जिससे वह तिलक जी के बाद पूर्ण स्वराज की मांग करने वाले पहले नेता बने.

साल 1914 में प्रथम विश्व युद्ध के फैलने से छह महीने के लिए इंग्लैंड में रहने की उनकी योजना बाधित हो गई. जिसके परिणामस्वरूप, उन पर देश छोड़ने का आरोप लगाया गया, जिसके कारण उन्हें अमेरिका जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. जब वह अमेरिका में थे, तब उन्होंने अपने क्रांतिकारी भाषणों और किताबों में भारत और भारतीयों की दयनीय स्थिति के बारे में अपनी आवाज उठाई.

लाला लाजपत राय ने पंजाब में हुये जलियांवाला बाग हत्याकांड के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने गांधीजी द्वारा चलाये गये असहयोग आंदोलन में भी भाग लिया. उन्हें कई बार गिरफ्तार भी किया गया. चौरी-चौरा कांड के कारण गांधीजी ने असहयोग आंदोलन को समाप्त कर दिया और गांधी के इस फैसले से असहमत होकर उन्होंने “कांग्रेस इंडिपेंडेंस पार्टी” की स्थापना की.

अमेरिका की यात्रा

लाला लाजपत राय ने अमेरिका में “इंडियन होम रूल लीग” की स्थापना की और “यंग इंडिया” नामक एक पत्रिका का प्रकाशन किया, जिसमें भारतीय संस्कृति और स्वतंत्रता की आवश्यकता के बारे में लिखा गया था. इसका प्रचार अखबार के माध्यम से किया गया और इसी वजह से इस पत्रिका की लोकप्रियता पूरी दुनिया में फैल गई.

1920 में भारत लौटने के बाद, सितंबर में एक विशेष सत्र में उन्हें राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया. उनकी बढ़ती लोकप्रियता ने उन्हें राष्ट्रीय नायक बना दिया और लोग उन पर आँख मूँद कर भरोसा करने लगे और उनका समर्थन करने लगे.

अगले ही वर्ष उन्होंने लाहौर में “सर्वेंट ऑफ पीपुल्स सोसायटी” नामक एक गैर-लाभकारी कल्याण संगठन की स्थापना की. उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती गई और वह ब्रिटिश साम्राज्य के लिए एक संभावित खतरा बन गए. इसी कारण उन्हें साल 1921 से 1923 तक जेल में बंद कर दिया गया.

अपनी रिहाई के बाद, उन्होंने भारत को खतरे में डालने वाले सामाजिक मुद्दों और सांप्रदायिक समस्या की ओर ध्यान केंद्रित किया. हर व्यक्ति धर्माधिकारी हिंदू था और आर्य समाज से काफी प्रभावित था, लेकिन उन्होंने जनता को हिंदू और इस्लाम के बीच एकता की आवश्यकता को समझाया और सक्रिय रूप से इसके लिए काम किया.

साल 1925 में उन्होंने कलकत्ता में आयोजित हिंदू महासभा की अध्यक्षता की, जहां उनके प्रेरणादायक भाषण ने कई हिंदुओं को राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया.

साइमन कमीशन का विरोध (Simon Commission In Hindi)

साल 1928 में ब्रिटिश सरकार ने भारत की राजनीतिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए एक आयोग का गठन किया. इस आयोग का मुख्य अध्यक्ष “जॉन साइमन” था. इस आयोग का नाम इसके मुख्य अध्यक्ष के नाम पर रखा गया, जिसे “साइमन आयोग या साइमन कमीशन” कहा गया. इस आयोग में सिर्फ सात व्यक्ति थे और वे सभी अंग्रेज थे. इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था, इसी कारण इसके विरुद्ध पूरे देश में विद्रोह हुआ.

जब 30 अक्टूबर 1928 को साइमन कमीशन लाहौर पहुंचा, तो लाला लाजपत राय ने साइमन कमीशन के लाहौर आगमन के खिलाफ एक शांतिपूर्ण जुलूस का नेतृत्व किया और कमीशन के विरुद्ध अहिंसक प्रदर्शन किया. उन्होंने नारा लगाया – ’’साइमन वापस आओ.’’

तभी पुलिस अधीक्षक जेम्स ए स्कॉट भी उनके भाषण और जुलुस को रोकने के लिए वहां पहुंचे और ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जेम्स स्कॉट ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करने का आदेश दिया. पुलिस ने लाजपत राय को निशाने पर लिया. इस कार्यवाही में उनको काफी सारी गंभीर चोटें आईं और वे बुरी तरह घायल हो गए. इस वजह से उन्हें कई दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा.

लाला लाजपत राय की पुस्तकें (Lala Lajpat Rai Books)

भारतीय महान् स्वत्रतंत्रता प्रेमी लाला लाजपत राय एक समाज सुधारक के साथ साथ एक अच्छे लेखक भी थे, उन्होंने अपने जीवन काल में अपने लेखन से समाज के लोगों का मार्गदर्शन किया. उन्होंने श्रीकृष्ण, शिवाजी महाराज और कई महान महापुरुषों की जीवनियाँ भी लिखीं. उनके द्वारा लिखी पुस्तकें निम्न हैं –

  • हिस्ट्री ऑफ आर्य समाज
  • स्वराज एंड सोशल चेंज
  • दी युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका
  • हिन्दू इम्प्रैशन एंड स्टडी
  • दी प्रॉब्लम ऑफ नेशनल एजुकेशन इन इंडिया
  • मेजिनी का चरित्र चित्रण (1896)
  • शिवाजी का चरित्र चित्रण (1896)
  • गेरीबाल्डी का चरित्र चित्रण (1896)
  • दयानन्द सरस्वती (1898)
  • युगपुरुष भगवान श्रीकृष्ण (1898)
  • मेरी निर्वासन कथा
  • रोमांचक ब्रह्मा
  • द मैसेज ऑफ द भगवद् गीता (1908)
  • यंग इण्डिया
  • इंग्लैंड डेब्ट टू इंडिया (1917)
  • द पोलिटिकल फ्युचर ऑफ इंडिया
  • अप्रसन्न भारत (1928)
  • ओपन लैटर टू द राइट ऑनोरेबल डेविड लोयडजोर्ज: प्राइम मिनिस्टर ऑफ ग्रेट ब्रिटेन
  • आत्मकथा.

लाला लाजपत राय की मृत्यु (Lala Lajpat Rai Death)

साइमन कमीशन के विरोध में लाहौर में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा लोगों पर लाठियां बरसाई गई जिसमें लाला लाजपतराय राय घायल हो गएऔर उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां दिल का दौरा पड़ने से 17 नवंबर 1928 को उनकी मृत्यु हो गई. उस समय भी लालाजी की अकारण मृत्यु के कारण क्रांतिकारियों में अंग्रेजों के खिलाफ रोष की लहर फैल गई और उनके अनुयायियों ने ब्रिटिश पर दोष लगाया और उनकी मृत्यु का बदला लेने की कसम खाई. चंद्रशेखर आजाद ने भगत सिंह और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर स्कॉट की हत्या की योजना बनाई, लेकिन क्रांतिकारियों ने जे.पी. सोन्डर्स को स्कॉट समझ लिया और सोन्डर्स को गोली मार दी.

निष्कर्ष :- तो आज के इस लेख में हमने आपको बताया लाला लाजपत राय का जीवन परिचय (Lala Lajpat Rai Biography Hindi) के बारे में. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.

FAQ

Q : लाला लाजपत राय का जन्म कहां हुआ था
Ans : पंजाब के लुधियाना के एक छोटे से गांव धुड़िके में

Q : लाला लाजपत राय का जन्म कब हुआ था
Ans : 28 जनवरी 1865 को

Q : लाला लाजपत राय की मृत्यु कब हुई
Ans : 17 नवंबर 1928 को

Q : लाला लाजपत राय कौन थे
Ans : राजनीतिज्ञ, स्वतंत्रता सेनानी और लेखक

Q : लाला लाजपत राय जयंती कब है
Ans : 28 जनवरी को

Q : लाला लाजपत राय का नारा क्या है?
Ans : अंग्रेजों वापस जाओ

Q : लाला लाजपत राय कौन से राज्य के थे?
Ans : पंजाब के

Q : पंजाब केसरी किसे कहा जाता है?
Ans : लाला लाजपत राय को

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