चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय | Chandra Shekhar Azad Biography Hindi

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चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय, जीवनी, इतिहास, बायोग्राफी, कहानी , निबंध, विचार, जयंती, के बारे में, सुविचार, जन्म, मृत्यु ,पुण्यतिथि, भाषण, एजुकेशन, पत्नी, परिवार, धर्म, जाति, घर, करियर, विवाह   (Chandra Shekhar Azad Biography Hindi, Wikipedia, Jayanti, Birthday, Quotes, Books, birthday, Information, History, Religion, Cast, Marriage, wife, Education, Essay, Death Anniversary,Born, Died, Death Reason)

चन्द्रशेखर आजाद को चन्द्रशेखर तिवारी के नाम से जाना जाता था. चंद्रशेखर आजाद एक भारतीय क्रांतिकारी नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे. चन्द्रशेखर आजाद स्वभाव उग्र था. वे बचपन से ही क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रीय रहते थे. चन्द्रशेखर आजाद छोटी उम्र से ही देश की आजादी की लड़ाई में भागीदार बन गये. भारत के महान क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद ने अपनी अटूट देशभक्ति और साहस से स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कई लोगों को इस आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया.

वीर सपूत चन्द्रशेखर आजाद ने अपनी बहादुरी से काकोरी ट्रेन में डकैती डाली और उन्होंने वायसराय की ट्रेन को भी उड़ाने का प्रयास किया. इस महान क्रांतिकारी ने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए सॉन्डर्स को गोली मारी. भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर “हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन” की स्थापना की.

चन्द्रशेखर आजाद ने कसम खाई थी कि वे अंग्रेजों के हाथ मरते दम तक नहीं आयेंगे. जब अंतिम समय में अंग्रेजों ने उन्हें घेर लिया तो वह उन्होंने स्वयं को गोली मारकर शहीद हो गये. चन्द्रशेखर आजाद ने गुलाम भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए अपनी जान भी दे दी.

तो आज के इस लेख में हम आपको चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय (Chandra Shekhar Azad Biography Hindi) से जुड़े तमाम पहलुओं के बारे में विस्तार से आपको बताएंगे.

Chandra Shekhar Azad Biography Hindi

चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय (Chandra Shekhar Azad Biography Hindi)

नाम (Name) चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad)
असली नाम (Real Name) चन्द्रशेखर तिवारी
अन्य नाम (Other Names) आजाद, बलराज और ठाकुर साहेब
जन्म तारीख (Date Of Birth) 23 जुलाई 1906
चंद्रशेखर आजाद जयंती (Chandra Shekhar Azad Birthday) 23 जुलाई
जन्म स्थान (Place) भाभरा, अलीराजपुर राज्य, ब्रिटिश भारत
उम्र (Age) 24 साल
मृत्यु की तारीख (Date of Death) 27 फरवरी 1931
मृत्यु का कारण (Death Cause) बंदूक की गोली से आत्महत्या
मृत्यु स्थान (Place Of Death) अल्फ्रेड पार्क, इलाहाबाद
व्यवसाय  (Profession) स्वतंत्रता सेनानी
संगठन (Organization) हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन
शिक्षा (Educational Qualification)
स्कूल (School)
कॉलेज (College)
नागरिकता (Citizenship) भारतीय
भाषा (Languages) हिंदी
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) अविवाहित
पिता का नाम (Chandra Shekhar Azad Father Name) पंडित सीताराम तिवारी
माता का नाम (Chandra Shekhar Azad Mother Name) जगरानी देवी
बड़े भाई का नाम (Chandra Shekhar Azad Brother Name) सुखदेव पंडित

कौन थे चंद्रशेखर आजाद (Who was ChandrashekharAzad)

चंद्रशेखर आजाद भारत प्रसिद्ध एवं महान क्रांतिकारी थे. चंद्रशेखर आजाद के रंगों में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध नफरत की भावना थी. बचपन से ही ऐसी भावना होने के कारण वह थोड़े उग्र स्वभाव के हो गए थे, जिसके कारण उन्होंने अपने बचपन से ही भारत को आजाद करने के लिए बहुत से आंदोलनों में हिस्सा लेने लगे.

चन्द्रशेखर आजाद एक प्रसिद्ध भारतीय क्रांतिकारी थे. चन्द्रशेखर आजाद के मन में ब्रिटिश शासन के प्रति घृणा की भावना थी. बचपन से ही उन्हें अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर किये जाने रहे अत्याचार और उनकी गतिविधियां पसंद नहीं थी, इसी कारण वह उग्र स्वभाव के हो गये थे. वह बचपन से ही भारत को आजाद कराने के लिए स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग लेने लग गये.

भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले भारतीय क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद ने जीवन भर ब्रिटिश हाथों में न पड़ने की शपथ ली थी और उन्होंने इसे निभाया भी.

चंद्रशेखर आजाद का जन्म और परिवार (Chandrashekhar Azad Birth and Family)

चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरागाँव में हुआ. उनका संबंध ब्राह्मण परिवार से था. चन्द्रशेखर आजाद के बचपन का नाम “चन्द्रशेखर तिवारी” था. इनके पिता पंडित सीताराम तिवारी थे, जो कि पेशे से ही पंडित थे और उनकी माता जगरानी देवी था. चन्द्रशेखर आजाद के बड़े भाई सुखदेव पंडित थे, जो उनकी भांति ही साहसी क्रांतिकारी थे. चन्द्रशेखर आजाद और सुखदेव पंडित कम उम्र में ही भारत की स्वतंत्रता के लिए शहीद हो गये.

चंद्रशेखर आजाद का प्रारंभिक जीवन (Chandrashekhar Azad Early Life)

चन्द्रशेखर आजाद का प्रारंभिक जीवन भाबरा गाँव (आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र) में बीता. बचपन में चन्द्रशेखर आजाद ने भील बच्चों के साथ रहकर धनुष चलाना सीखा. उनको निशानेबाजी में काफी रुचि थी, जिससे वह अपने अचूक निशानेबाजी में निपुण हो गये थे. चन्द्र शेखर आजाद बचपन से ही विद्रोही स्वभाव के थे, उन्हें पढ़ाई में कोई रुचि नहीं थी, बचपन से ही उनकी रुचि खेल-कूद में ही थी.

जब साल 1919 में अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए भीषण नरसंहार ने देश के युवाओं को क्रोधित कर दिया. उस समय तब चन्द्रशेखर ने अपनी पढ़ाई कर रहे थे.

चन्द्रशेखर आजाद ने छोटी उम्र में ही स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेना शुरू कर दिया था. जब गांधीजी ने 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू किया, तो वह और अन्य छात्र इस लड़ाई में सड़कों तक उतर आए. इसी वजह से उन्हें पहली बार गिरफ्तार किया गया था. बचपन से ही उनमें देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी.

चंद्रशेखर आजाद की शिक्षा (Chandrashekhar Azad Educational Qualification)

चन्द्रशेखर की प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही शुरू हुई. पढ़ाई में उनकी कोई खास रुचि नहीं थी. उनके पिता के घनिष्ठ मित्र पंडित मनोहर लाल त्रिवेदी जी ने उनकी पढ़ाई की जिम्मेदारी ली. वह उनको और उनके भाई सुखदेव को अध्यापन कराते थे और गलती होने पर बेंत भी लगाते थे. चन्द्रशेखर के माता-पिता उन्हें संस्कृत का विद्वान बनाना चाहते थे, लेकिन आजाद की पढ़ाई-लिखाई में कोई रुचि नहीं थी. चौथी कक्षा तक तो उनका मन पढ़ाई से बिलकुल ही उचट गया था और वह घर से भागने के अवसर ढूंढते रहते थे.

इसी दौरान मनोहरलाल जी ने उनका मन इधर-उधर की बातों से हटाने के लिए उन्हें अपनी तहसील में एक साधारण-सी नौकरी दे दी. लेकिन आजाद का मन नौकरी में भी नहीं लगा. वे नौकरी को छोड़ने के प्रयास में ही लगे रहते थे. उनके हृदय में देशभक्ति की चिंगारी थीं, यहीं चिंगारी धीरे-धीरे आग में बदल गई और वे घर से भागते रहे. उचित अवसर पाकर चंद्रशेखर घर से भाग गये.

चन्द्रशेखर का ‘आजाद’ नाम कैसे पड़ा (How did Chandrashekhar get the name Azad)

जब महात्मा गांधी ने 1921 में असहयोग आंदोलन की घोषणा की, तब चन्द्रशेखर केवल 15 वर्ष के थे और उन्होंने इस आंदोलन में हिस्सा लिया. इस आन्दोलन में चन्द्रशेखर पहली बार गिरफ्तार हुए. इसके बाद चन्द्रशेखर को थाने में लेकर गये और हवालात में बंद कर दिया. दिसंबर की कड़कड़ाती ठंड में आजाद को ओढ़ने-बिछाने के लिए कोई बिस्तर भी नहीं दिया गया. आधी रात को जब इंस्पेक्टर ने चन्द्रशेखर की कोठरी में जाकर देखा तो वह आर्श्यचकित हो गया. बहुत ठंड होने के बावजूद भी चन्द्रशेखर दंड-बैठक लगा रहे थे और उनके पसीना बह रहा था.

चंद्रशेखर आजाद को अगले दिन न्यायालय में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया. जब मजिस्ट्रेट ने चन्द्रशेखर से पूछा तुम्हारा नाम क्या है- तो चन्द्रशेखर ने जवाब दिया, “आजाद”. फिर मजिस्ट्रेट ने सख्त आवाज में पूछा, “पिता का नाम”, फिर चन्द्रशेखर ने जवाब दिया, “ स्वतंत्र”, और जब पता पूछा गया, तो चन्द्रशेखर ने जवाब दिया, “जेल”. चन्द्रशेखर के ये जवाब सुनकर जज बहुत क्रोधित हो गये और उन्होंने चन्द्रशेखर को 15 कोड़े मारने की सजा सुना दी. चन्द्रशेखर की वीरता की कहानी बनारस के घर-घर तक पहुँची और उसी दिन से उन्हें “चन्द्रशेखर आजाद” कहा जाने लगा.

चंद्रशेखर आजाद का क्रांतिकारी जीवन (Chandrashekhar Azad Revolutionary life)

जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) में अंग्रेजों ने हजारों निर्दोष लोगों को मार डाला, इस घटना ने चन्द्रशेखर को अंदर से झकझोर दिया और तब से आजाद और कई अन्य क्रांतिकारियों ने अपने भारत देश को अंग्रेजों के शासन से आजाद कराने की प्रतिज्ञा ली.

इसी समय महात्मा गांधी और कांग्रेस का अहिंसात्मक आंदोलन काफी प्रगति में था और उन्हें पूरे देश में काफी समर्थन मिल रहा था. इस दौरान हिंसात्मक गतिविधियां भी कम थी. महात्मा गांधी के असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण चन्द्रशेखर आजाद को भी अंग्रेजों से सजा मिली, लेकिन चौरा-चौरी कांड होने की वजह से जब इस आन्दोलन को गांधीजी द्वारा वापस ले लिया गया, तो उनका कांग्रेस से मोहभंग हो गया और चन्द्रशेखर आजाद बनारस चले आये.

बनारस उन दिनों भारत में क्रांतिकारी गतिविधि का केंद्र था. बनारस में उनकी मुलाकात संपर्क देश के महान क्रांतिकारी मन्मथनाथ गुप्त और प्रणवेश चटर्जी से हुई. इन नेताओं को उन पर इतना प्रभाव पड़ा कि वे “हिंदुस्तान प्रजातंत्र संघ” के सदस्य बन गये. इस दल के शुरूआत में उन गाँवों के घरों को लूटने की कोशिश की जहाँ वह गरीबों का खून चूसकर धन जुटा रही थी, लेकिन जल्द ही उसे एहसास हुआ कि अपने ही लोगों को तकलीफ देकर कर जनमानस को अपने पक्ष में कभी नहीं कर सकते

इस दल ने अपनी गतिविधियाँ को बदल लिया और अब उसका उद्देश्य केवल सरकारी संस्थानों को नुकसान पहुँचाकर क्रांति के लक्ष्यों को प्राप्त करना था. पूरे देश को अपने उद्देश्यों से परिचित कराने के लिए इस दल ने प्रसिद्ध “पैम्फलेट द रिवाल्यूशरी” प्रकाशित किया.

आजाद ने अपने क्रांतिकारी जीवन का कुछ समय झाँसी में भी व्यतीत किया. झाँसी से लगभग 15 किमी दूर ओरछा का जंगल था. आजाद ने इन जंगलों में निशाने बाजी का अभ्यास करते थे और अपने समूह के युवाओं को भी निशानेबाजी की शिक्षा देते थे. इस दौरान वे लंबे समय तक एक भिक्षु के रूप में रहे और एक शिक्षक के रूप में अध्यापन का कार्य भी किया.

सेंट्रल असेम्बली बमकांड (Central Assembly Bomb Case In Hindi)

8 अप्रैल 1929 को चन्द्रशेखर आजाद के सफल नेतृत्व में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की केन्द्रीय असेंबली में बम विस्फोट किया. यह विस्फोट किसी को नुकसान पहुंचाने के इरादे से नहीं किया गया था. जबकि यह विस्फोट ब्रिटिश सरकार द्वारा पारित “काले कानून के विरोध” में था. इस विस्फोट का नेतृत्व आजाद ने किया था. इस कांड के बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने खुद को गिरफ्तार कर लिया. वह न्यायालय को अपना प्रचार-मंच बनाना चाहते है. जिससे क्रांति की खबर देश की जनता तक पहुंच सके.

हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना

काकोरी कांड में अंग्रेजों द्वारा पकड़े हुए सभी क्रांतिकारियों को सजा दी गई, जिसके बाद हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन अपने पुराने स्वरूप में काम करना बंद कर दिया. फिर दिल्ली में फिरोज शाह कोटला के आवास पर एक गुप्त बैठक आयोजित की गई. भगत सिंह को चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी गई. इस बैठक में सभी क्रांतिकारी दलों को एकजुट करते हुए “हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन” का पुनर्गठन किया. इसके बाद हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का नाम बदलकर “हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसियेशन” कर दिया गया. आजाद को संगठन के प्रमुख (कमांडर-इन-चीफ) का कर्तव्य और जिम्मेदारी सौंपे गये.

काकोरी काण्ड (Kakori Conspiracy Case In Hindi)

चन्द्रशेखर आजाद एच.आर.ए. संगठन में सम्मिलित हुए. 1 जनवरी, 1925 को इस दल ने संपूर्ण हिन्दुस्तान में अपना बहुचर्चित पर्चा “द रिवोल्यूशनरी” बांट दिया, जिसमें दल की नीतियों का खुलासा सामने आया. इसने अपनी ओर जनता का ध्यान आकर्षित कर लिया.

कुछ समय बाद जब पार्टी के पास पैसे की ही कमी हो गयी, तो धन जुटाने के लिए इस दल ने सरकारी प्रतिष्ठानों को लूटने का फैसला किया. इसके बाद चन्द्रशेखर आजाद ने राम प्रसाद बिस्मिल और अन्य क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर 9 अगस्त 1925 को “काकोरी कांड” को अंजाम दिया किया और भाग गये.

इस कांड के बाद ब्रिटिश सरकार चन्द्रशेखर आजाद को तो पकड़ने में असमर्थ रही, लेकिन उनके साथ प्रमुख क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल और चार अन्य साथियों को गिरफ्तार कर लिया और 19 दिसंबर, 1927 को उन्हें फांसी दे दी. उसके बाद चन्द्रशेखर आजाद ने उत्तर भारत की सभी क्रांतिकारी पार्टियों को एक साथ मिलाकर 1927 में “हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन” की स्थापना की.

सांडर्स हत्याकाण्ड (Saunders Murder Case In Hindi)

17 दिसम्बर 1928 की शाम को चन्द्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह और राजगुर ने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए लाहौर में पुलिस अधीक्षक के कार्यालय को घेर लिया. जे. पी. सांडस के अपने अंगरक्षक के साथ बाहर निकलते ही पहली गोली राजगुरु ने चला दी. इसके बाद भगत सिंह ने 4-6 गोलियाँ चलाकर सॉन्डर्स को मौत के घाट उतार दिया.

उन क्रांतिकारियों का सांडर्स के अंगरक्षकों ने पीछा किया था, तभी चन्द्रशेखर आजाद ने एक ही गोली से उनको भी मौत के घाट उतार दिया. उन्होंने पूरे लाहौर में पर्चे चिपका दिये, जिसमें यह लिखा था कि लाला लाजपत राय की मौत का बदला ले लिया गया है. तब क्रांतिकारियों की इस पहल की पूरे भारत में सराहना हुई. अंग्रेजों से अपनी पहचान छुपाने के लिए चन्द्रशेखर भेष बदलकर रहते थे. कहा जाता है कि ब्रिटिश सरकार ने 700 लोगों को चंद्रशेखर आजाद को पहचानने के लिए काम पर रखा था.

लाहौर षड्यंत्र केस (Lahore Conspiracy Case In Hindi)

अंग्रेजों से बचकर आजाद कई शहरों से गुजरे और अंत में कानपुर पहुँच गये, जहाँ HRA का मुख्यालय स्थित था, जहाँ उनकी मुलाकात भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे अन्य क्रांतिकारियों से हुई. यहां उन्होंने अपने जैसे कई अन्य देशभक्तों के साथ मिलकर HRA का पुनः स्थापित किया. आजाद और भगत सिंह ने इसका नाम बदलकर “हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन” (HSRA) कर दिया. अंग्रेजों के हाथों लालाजी की शहादत के बाद आजाद और उनके साथियों ने लाला जी की मौत के लिए पुलिस अधीक्षक को दोषी ठहराया और उससे बदला लेने का फैसला किया.

फिर उसने अपने साथियों के साथ स्कॉट को मारने की साजिश रची और 17 दिसंबर, 1928 को इस योजना को सफल बनाने का प्रयास किया. परन्तु उन्हें सही पहचान न हो पाने के कारण स्कॉट की जगह पुलिस सहायक पुलिस जॉन पी सॉन्डर्स की हत्या कर दी गई. HSRA ने अगले ही दिन इस आयोजन का कार्यभार संभाला और इसमें शामिल लोगों ने ब्रिटिश सरकार की सबसे वांछित सूची में स्थान प्राप्त कर लिया और उसके बाद भी सभी क्रांतिकारी लाहौर से भागने में सफल रहे. लेकिन वह अपनी आवाज आम-जन तक नहीं पहुंचा पाये. अंग्रेजों द्वारा भी लगातार देश-विरोधी बिल पास किये जाने से क्रांतिकारी और भी उग्र हो गये और संगठन ने असेम्बली में बम फेंकने की योजना बनाई.

भगत सिंह ने इसकी मुख्य जिम्मेदारी ली और 8 अप्रैल, 1929 को यह काम पूरा किया, जिसके लिए उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया. बाद की गिरफ्तारियों में राजगुरु और सुखदेव सहित 21 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया. लाहौर षड़यंत्र मामले में आजाद के अलावा 29 अन्य लोगों पर मुकदमा चलाया गया, लेकिन आजाद आसानी से अंग्रेजों के हाथ नहीं आ सके.

चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु (Chandrashekhar Azad Death)

चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु 27 फरवरी, 1931 को अल्फ्रेड पार्क, इलाहाबाद में हुई. जानकारों के मुताबिक यह माना जाता है कि ब्रिटिश पुलिस ने आजाद और उनके सहकर्मियों को चारों तरफ से घेर लिया था. अपने बचाव के दौरान आजाद गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्होंने कई पुलिसकर्मियों को भी मार डाला.

चन्द्रशेखर ने बड़ी बहादुरी से ब्रिटिश सेना का सामना किया और इसी वजह से सुखदेव राज वहां से भागने में सफल रहे. लंबे समय तक गोलियां चलती रही. लेकिन चन्द्रशेखर आजाद ने ब्रिटिशों के हाथों न लगने की कसम खाई थी, इसी वजह से जब उनकी पिस्तौल में आखिरी गोली बची, तब उन्होंने वह आखिरी गोली खुद को ही मार ली थी.

निष्कर्ष :- तो आज के इस लेख में हमने आपको बताया चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय (Chandra Shekhar Azad Biography Hindi) के बारे में. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.

FAQ

Q : चंद्रशेखर आजाद का जन्म कहां हुआ था
Ans : मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरागाँव में

Q : चंद्रशेखर आजाद का जन्म कब हुआ था
Ans : 23 जुलाई 1906 को को

Q : चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु कब हुई
Ans : 27 फरवरी, 1931 को

Q : चंद्रशेखर आजाद कौन थे
Ans : स्वतंत्रता सेनानी

Q : चंद्रशेखर आजाद जयंती कब है
Ans : 23 जुलाई को

Q : चंद्रशेखर आजाद का नारा क्या है?
Ans : मैं आजाद हूँ, आजाद रहूँगा और आजाद ही मरूंगा.

Q : चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि कब है?
Ans : 27 फरवरी

Q : चंद्रशेखर आजाद का पूरा नाम क्या है
Ans : चंद्रशेखर तिवारी

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