आईपीओ क्या होता है, फुल फॉर्म, फायदे, नुकसान, कैसे ख़रीदे, मतलब, ग्रे मार्किट, शेयर मार्किट, और इसमें निवेश कैसे करे (Ipo Kya Hai, Allotment Status, Full Form In Hindi, Type, Benefits, Disadvantage, Initial Public Offering, IPO GMP Today)
आज का समय इन्वेस्ट करने का है. और कई बड़े लोग अच्छा इन्वेस्टमेंट करके और अपनी स्ट्रेटजी बनाकर लाखों करोड़ों रुपये कमा रहे हैं. आज का दौरा पैसे से पैसा कमाने का है. कई लोग शेयर मार्केट से पैसा कमा रहे हैं तो कुछ लोग बिट कॉइन में निवेश करके पैसा कमा रहे हैं. अगर आप कोई भी बिजनेस शुरू करते हैं तो शुरुआत में आपको उसमें निवेश करना पड़ता है. फिर उसके बाद आप इससे मुनाफा कमाना शुरू कर देते हैं, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि हर बार आपको फायदा हो, कभी-कभी आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. लेकिन शेयर बाज़ार का दायरा व्यापक होने के कारण बहुत से लोगों को इन सबमें निवेश कैसे करें इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है.
जब बड़ी कंपनियाँ बाज़ार में स्थापित हो जाती हैं तो वे IPO के माध्यम से शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध हो जाती हैं और अधिक से अधिक पैसा कमाती हैं. देश में हर दिन कई छोटी-बड़ी कंपनियां अपने IPO जारी करती रहती हैं. अब कई लोगो के मन में यह सवाल है कि आईपीओ क्या होता है और इसमें निवेश कैसे किया जाता है.
आज के इस आर्टिकल में हम हम आपको बताएँगे कि आईपीओ (IPO Kya Hai) क्या होता है, इसमें निवेश कैसे करे और इससे जुड़ी तमाम तरह की जानकारी जो आपके लिए जानना बेहद जरूरी है.
आईपीओ क्या होता है (What Is IPO In Hindi)
आईपीओ का फुल फॉर्म होता है “Initial Public Offering” इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग और हिंदी में “प्रारंभिक पब्लिक पेशकश” होता है. जब कोई भी कंपनी अपना शेयर पहली बार सार्वजनिक रूप से पेश करती है यानि पब्लिक के लिए जारी करती है ताकि वह उसे खरीद सके तो इसे IPO कहते है. कंपनी आईपीओ इसलिए जारी करती है क्योंकि वे कंपनी को बड़े स्तर पर ले जाने के लिए फंडिंग जुटाते हैं. और IPO जारी होने के बाद शेयर मार्किट में लिस्टेड हो सके. और जब कंपनी का स्टॉक शेयर मार्किट में लिस्टेड हो जाता है. बाद में कंपनी के शेयरों को शेयर मार्किट में खरीदे और बेचे जा सकते हैं.
आसान भाषा में समझें तो जब कोई कंपनी अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए पैसे जुटाती है तो बदले में वह लोगो को कंपनी के शेयर देती है. और जब कंपनी पहली बार अपने शेयर जनता के लिए इशू करती है तो उसे IPO कहा जाता है. और कंपनी तब IPO जारी करती है जब उसे बड़ी मात्रा में फंड की जरूरत होती है.
आईपीओ के प्रकार (Types Of IPOS In India)
आईपीओ दो प्रकार के होते है पहला फिक्स्ड प्राइस आईपीओ और दूसरा बुक बिल्डिंग आईपीओ. इन दोनों आईपीओ की जानकारी हमने नीचे विस्तार से दी है-
फिक्स्ड प्राइस आईपीओ (Fixed Price IPO)
फिक्स्ड प्राइस आईपीओ में कुछ कंपनियां अपने शेयरों की शुरुआती बिक्री के लिए एक निश्चित कीमत रखती हैं. और बाद में इन्वेस्टर को उन शेयरों की प्राइस का पता चल जाता है जिन्हें कंपनी आईपीओ के जरिए सार्वजनिक करने वाली है. और इश्यू प्राइस के बाद मार्किट में शेयरों की डिमांड का अनुमान लगाया जाता है. और यदि कोई इन्वेस्टर आईपीओ में हिस्सा लेता है, तो आवेदन और फिक्स्ड प्राइस के बाद शेयरों का पूरा मूल्य चुकाना होता है. इसके बाद ही आप कंपनी के शेयर खरीदने की हिस्सेदारी का हिस्सा बन सकते हैं.
बुक बिल्डिंग आईपीओ (Book Building IPO)
बुक बिल्डिंग आईपीओ में शेयर जारी करने वाली कंपनी इन्वेस्टर को स्टॉक पर 20 प्रतिशत प्राइस बैंड ऑफर करती है. और इन आईपीओ में रुचि रखने वाले इन्वेस्टर अंतिम कीमत निर्धारित करने से पहले शेयरों पर बोली लगाते हैं. इन्वेस्टर को पहले यह तय करना होगा कि वे कितने शेयर खरीदना चाहते हैं और फिर प्रति शेयर के हिसाब से भुगतान करना होता है. इसमें सबसे कम प्राइस के शेयर को फ्लोर प्राइस और सबसे हाई प्राइस को कैप प्राइस के रूप में जाना जाता है. स्टॉक प्राइस के संबंध में अंतिम फैसला इन्वेस्टर की बोली से तय होता है.
आईपीओ कैसे खरीदें (How To Buy IPO)
अगर आप आईपीओ में निवेश करना चाहते है तो सबसे पहले आपके पास डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट होना आवश्क है. अगर नही है तो आप Zerodha, 5paisa, Angel One, Upstox, Motilal Oswal, Groww और Paytm Money जैसी स्टॉक ट्रेडिंग एप्स से आसानी से डीमैट अकाउंट खुलवा सकते है. डीमैट अकाउंट ओपन होने के बाद आप कोई भी आईपीओ पर निवेश कर सकते हो.
कोई भी कंपनी IPO जारी करती है तो इसका समय 3 से 5 दिन होता है. और इस अवधि के दौरान ही आप IPO के लिए आवेदन कर सकते है. यहां आप अपनी पसंद के मुताबिक कंपनी के शेयर नहीं खरीद सकते, बल्कि कंपनी द्वारा तय किए गए शेयरों की लॉट निर्धारित होती है. जैसे कंपनी 20, 100, 200 या इससे भी अधिक शेयरों के लॉट तय करती है. जैसे आपने 20 शेयर का एक लॉट ख़रीदा तो आपकी 1 शेयर की प्राइस से 20 शेयर का भुगतान करना होगा. और यह राशि आपके डीमैड एकाउंट से लिंक्ड सेविंग या करंट एकाउंट से कट हो जाती है. लेकिन इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि जब तक आपको शेयर आवंटित नहीं हो जाते तब तक आपके खाते से रकम नहीं कटेगी.
आईपीओ के फायदे और नुकसान (Advantages and Disadvantages of IPO in Hindi)
बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो बिना कुछ जाने IPO खरीद लेते हैं, फिर बाद में उन्हें पछताना पड़ता है, ऐसा नहीं है कि हमेशा IPO आपको फायदे में ही रखेगा, कभी-कभी इसमें आपको नुकसान भी उठाना पड़ता है. नीचे हम आपको आईपीओ के फायदे और नुकसान दोनों के बारें में विस्तार से जानकरी देने वाले है.
आईपीओ के फायदे (Benefits of IPO in Hindi)
- किसी अच्छी कंपनी में निवेश करने का मौका.
- लो बजट में शेयर का मिलना.
- कम समय में अच्छा फायदा.
- ज्यादा पैसों की आवश्यकता नही.
- इक्विटी स्वामित्व और लाभांश की प्राप्ति.
- कोई भी इसके लिए आवेदन कर सकता है.
- शेयर अलॉट होने पर ही अकाउंट से पैसा कटेगा.
- पूरी तरह से पारदर्शिता.
आईपीओ के नुकसान (Disadvantages of IPO in Hindi)
- तय प्राइस से कम में शेयर मार्किट में लिस्ट होना.
- कंपनी के बारे में कोई जानकारी लिए बिना आईपीओ खरीदा गया.
- आईपीओ के बाद शेयर में तेजी और गिरावट देखने को मिलती है.
निष्कर्ष – आज के इस लेख में हमने आपको आईपीओ (IPO Kya Hai) क्या होता है, इसमें निवेश कैसे करे और इससे जुड़ी तमाम तरह की जानकारी के बारें में बताया. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.
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