Fungus Effects in Hindi – आमतौर पर हम खाने को स्टोर रखने के लिए कुछ दिन फ्रिज में रख देते है. फिर चाहे हो हुआ खाना, सब्जी,फल ब्रेड. जल्द ध्यान नही देते तो इन पर फफूंद लग जाती है. जानते है फफूंद से कैसे बचे.
आज के समय खाने पीनी की बहुत से चीज़े है जिसे हम स्टोर करने के लिए फ्रीज या कबर्ड रख देते है. और देखते है कि कुछ दिनों बाद उसमे फंगस यानि फफूंद लगने लग जाती है. आमतौर पर यह सभी के साथ होता है. या तो हम फफूंदी वाली चीज को फेंक देते हैं या फिर उस हिस्से को हटाकर खा लेते हैं. और यह अक्सर गर्मियों में या नम जगहों पर ज्यादा देखने को मिलता है. बरसात के मौसम में कई खाने-पीने की चीजों में फफूंद लग जाती है और वे अलग-अलग रंग की होती हैं. जिसे पहचानना हमारे लिए थोड़ा मुश्किल हो जाता है. फिर हम उसे खा जाते हैं और जब स्वाद में थोडा कड़वापन आता है तो हम चिंतित हो जाते हैं और सोचते हैं कि कहीं हम बीमार तो नही हो जाएंगे. तो चिंता मत करिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको भोजन में फफूंद कितनी खतरनाक (Fungus Effects in Hindi ) है, फफूंद कितने रंगों की होती है, भोजन पर फफूंदी कैसे बढ़ती है? फ्रिज में खाना फफूंदी क्यों जाता है? खाने पर फफूंद लग जाए तो क्या करें? फफूंद हटाने के उपाय के बारें में पूरी जानकारी देने वाले है.
फफूंद क्या होती है? (What Is Fungus In Hindi)
लंबे समय तक स्टोर किए गए खाद्य पदार्थों में अक्सर फफूंदी लग जाती है. फिर चाहे वो मसाले, सब्जियां, फल, ब्रेड, पके हुए भोजन आदि. इन्ही सब पर जल्दी फंगस लग जाती और और अक्सर आपने इन पर लगी देखा होगा. कई बार तो फ्रिज में रखने के बाबजूद खाद्य पदार्थ फफूंद की चपेट में आ जाते है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि फंगस के बीजाणु हवा के जरिए भोजन तक पहुंच जाते हैं. भोजन जितना पुराना होगा और उसकी नमी का स्तर उतना ही अधिक होगा उसमे फफूंद जल्दी लगने की संभावना उतनी ही ज्यादा बनी रहेगी. फंगस दिखने में साधारण होता है, लेकिन इसकी थोड़ी मात्रा भी सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकती है. यहाँ तक कि डॉक्टर के पास जाना भी पड़ सकता है.
शरीर के लिए फफूंद कितनी खतरनाक है?
फंगस हमारे शरीर में जाने के बाद कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकती है. यह हमारे शरीर में जाकर खतरनाक और घातक पदार्थ उत्पन करता है. इसकी वजह से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर बीमारी हो सकती हैं. फंगस हमारे शरीर के अंदर पहुंचकर श्वसन तंत्र में समस्या उत्पन कर सकता है. जिसके कारण सीने में जलन, खांसी और उल्टी हो सकती है. इसी के साथ ही आंतों को भी काफी गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है. फफूंदयुक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से फूड पॉइज़निंग भी हो सकता है. जिससे आपको बुखार हो सकता है. इसी के साथ ही यूरिनरी ट्रैक्ट और गैस्ट्रो से जुड़ी समस्याएं भी उत्पन हो सकती यहाँ तक की कई मामलों में जान भी चली जा सकती है.
इन सामान में जल्दी लगती है फफूंद
कुछ खाद्य सामग्री जल्दी फफूंद की चपेट में आती है जैसे ब्रेड, पनीर, चीज़, सूखे मेवे, मूंगफली, अचार, रोटी, मक्का, फल में जैसे कि स्ट्रॉबेरी, अंगूर औरं रसभरी, सब्जियां में जैसे टमाटर, मिर्च और खीरे आदि. अगर इनको ठंडी व सूखी जगह पर न रखा जाए तो इनमे जल्दी फफूंद लग सकती है. इसके अलावा आंवला और नींबू में भी जल्दी फंगस लगती है. और पिसे हुए मसालों में जब नमी आ जाती है तो इनमें भी फफूंद लगने की संभावना बढ़ जाती है. यहाँ तक कि साबुत मसालों में भी इसके बढ़ने की संभावना रहती है.
कैसे रंगों से फफूंद की पहचान करें
हरी फफूंद – इस रंग की फंगस रोटी, पनीर, नींबू, रोटी आदि पर दिखाई देती है. इसका असर इतना अधिक होता है कि खट्टे नींबू का स्वाद भी खराब हो जाता है.
काली फफूंद – इस रंग की फंगस खाने पर हरापन लिए हुए काले रंग की दिखने वाली फफुंद स्टैचीबोट्रीज चार्टारम होती है जो काफी जहरीली होती है. यह मिट्टी और अनाज जैसे नम स्थानों में ज्यादा होता है. प्याज में लगने वाली फफूंद एस्परजिलस नाइजर होती है. कुछ काली फंगस फ्रिज, मिक्सर जार या लकड़ी के बर्तनों के ऊपर भी हो सकती है.
ग़लाबी फफुंद – इस रंग की फंगस मांस, ब्रेड और दूध से बने प्रोडक्ट पर ज्यादा देखने को मिलती है. इन्हें ऑरियोबैसिडियम और फुसैरियम कहा जाता है.
सफ़ेद फफुंद – कई प्रकार की रंगीन फफूंदी कुछ समय बाद सफेद फफूंदी में तब्दील हो जाती है. इसे स्नो फंगस, स्नो ईयर, व्हाइट एंड जेली मशरूम, सिल्वर ईयर फंगस, और व्हाइट क्लाउड ईयर के नाम से जाना जाता है. रुई या रेशे की तरह दिखने वाली सफेद फफूंद की पहचान करना बहुत आसान है.
नीली फफूंद – भोजन में दिखने वाला नीले रंग की फफूंद पेनिसिलियम जीनस होता है. यह चीज़, पनीर, ब्रेड, संतरा, नींबू आदि पर अधिक होता है. यह उन जगहों पर भी पनपता है जहां ऑक्सीजन की कमी होती है. यह ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर मायकोटॉक्सिन यानी जहरीला पदार्थ पैदा करता है.
नारंगी और पीली फफूंद – अक्सर आपने आंवले और नींबू पर पीली फफूंद देखी होगी. इस रंग की फफूंद से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं. इसलिए इसे छूने और सूंघने से बचें. नारंगी फफूंदी आमतौर पर लकड़ी पर होती है. अन्य रंगीन फफूंद की तुलना में यह काफी खतरनाक नहीं होती है.
लाल फफूंद – इस रंग की फंगस को आमतौर पर न्यूरोस्पोरा के नाम से जाना जाता है. यह भी माइकोटॉक्सिन उत्पन्न करती है. यह लगभग लाल रंग की दिखाई देती है, लेकिन इसका रंग एक जैसा नहीं रहता है. यह अन्य फंगस की तुलना में कम खतरनाक होती है, लेकिन फिर भी इसके संपर्क में आने से बचना चाहिए.
फफूंद से बचाव कैसे करे
- जहां भी खाने-पीने का सामान रखें, वहां साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें. अगर आप खाने की चीजों को ज्यादा दिनों तक फ्रिज में स्टोर करते हैं तो फ्रिज के अंदर के हिस्से को साफ रखें. अगर फ्रिज के अंदर का हिस्सा जरा सा भी गंदा दिखाई दे रहा है, तो उसमें फफूंदी लगने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है. इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि फ्रिज में हमेशा ताजी सब्जियां और फल ही रखें. और अधिक लंबे समय तक इनका इस्तेमाल न करें, फ्रिज में रखने के कुछ दिन बाद में ही इसको खाकर ख़त्म कर दे.
- ऐसे खाद्य पदार्थों को बाहर न रखें जिन्हें लंबे समय तक रेफ्रिजरेशन की आवश्यकता होती है. यदि इन खाद्य पदार्थों को सामान्य तापमान में कई घंटों के लिए बाहर रखा जाए, तो उनमें फफूंद लग सकती है.
- किचन की सफाई का पूरा ध्यान रखे और तौलिया, स्पंज, डिशक्लॉथ और वॉशक्लॉथ को हर समय साफ और सूखा रखें. थोड़ी सी गंदगी और नमी फंगस के पनपने के लिए काफी होती है. मिक्सर और जार को अच्छे से साफ रखे अगर किसी भी भाग में भोजन जम गया तो फंगस हो सकती है.
- यदि कोई खाद्य पदार्थ पहले से ही फफूंदीयुक्त है तो उसे प्लास्टिक की थैली में डालकर कूड़ेदान में फेंक दें. इसे अधिक समय तक घर में न रहने दें क्योंकि उन खाद्य पदार्थों पर फफूंदी अन्य खाद्य पदार्थों में भी फंगस पैदा कर सकती है.
- खाना परोसने के बाद हमेशा भोजन को ढककर रखें क्योंकि फफूंदी हवा में मौजूद बीजाणुओं के संपर्क में आने पर बढ़ती है.
- बाजार से लाए गए फलों और सब्जियों को हमेशा प्लास्टिक की थैली में ढक कर रखें. इन्हें बाहर रखने से फफूंदी लगने का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है.
- अगर आप लंबे समय के लिए घर से बाहर जा रहे हो और फ्रिज बंद कर देते हैं, तो इसे पूरी तरह से खाली कर दें, इसे साफ करके सुखाकर रख दे. फिर दुबारा चालू करने से इसे फिर से साफ़ करें और इस्तेमाल के ले.
फफूंद लगने पर ये गलती न करे
अगर आपके खाने में फफूंदी लग जाती है तो उसे प्रयोग में ना ले. कुछ लोग फफूंदी लगने पर सिर्फ़ फफूंदी लगे हिस्से को काटकर अलग करके बचे भाग को खा लेते है, परंतु उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि फफूंदी लगने का मतलब है कि भोजन में वह पहले से ही अपनी जड़ जमा चुकी है, यानीं वह पूरा ख़राब हो चुका है. यदि फफूंदी लगे भाग को हटाकर शेष भाग खाते हैं तो भी उसका दुष्प्रभाव हो सकता है. फफूंदी वाले भोजन को बच्चों और पालतू जानवरों को न खिलाये. अगर गलती से फफूंदी वाला भोजन खा लिया और शरीर में फफूंदी के लक्षण महसूस होने लगते है तो तुरंत बिना देरी किये डॉक्टर के परामर्श लें.
निष्कर्ष :- तो आज के इस लेख में आपने जाना हम आपको भोजन में फफूंद कितनी खतरनाक (Fungus Effects in Hindi ) है, फफूंद कितने रंगों की होती है, भोजन पर फफूंदी कैसे बढ़ती है, फ्रिज में खाना फफूंदी क्यों जाता है, खाने पर फफूंद लग जाए तो क्या करें, फफूंद हटाने के उपाय के बारे में. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.
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