कैसे होती है कृत्रिम वर्षा |  Artificial Rain In Hindi

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कैसे होती है कृत्रिम वर्षा, नुकसान, क्या है, किसे कहते है, खर्चा, फायदे  (Artificial Rain In Hindi, How It Works, Disadvantages, Chemical Used, Delhi, Cost, Side Effects, Process, News)

Artificial Rain In Hindi – बारिश शब्द से हमलोग सभी परिचित हैं. बादल से जब वर्षा की बुँदे धरती पर पड़ती है तो उस स्थिति को हम बारिश कहते है. वह प्राकृतिक बारिश कहलाती है. लेकिन तब क्या हो जब बादल बिना बरसे ही चला जाएँ और उस समय बारिश की बहुत जरुरत हो. वैसी स्थिति में उस क्षेत्र में वैज्ञानिक विधि से कृत्रिम बारिश करवाई जाती है. इस विधि को क्लाउड सीडिंग कहते है इसके अलावा बदलो को ड्रोन के सहयोग से इलेक्ट्रिक शॉक देकर भी बारिश करवाई जाती है, जैसा जुलाई 2021 में यूएई किया गया था मगर यह पद्दति अभी अधिक प्रचलित नहीं है. कृत्रिक बारिश के तौर पर जो सबसे प्रचलित है उसे हम क्लाउड सीडिंग के नाम से जानते है.

इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले है कैसे होती है कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain In Hindi), कृत्रिम वर्षा के नुकसान, कृत्रिम वर्षा क्या है, कृत्रिम वर्षा किसे कहते हैं के बारें में.

Artificial Rain In Hindi

कृत्रिम वर्षा क्या है (What Is Artificial Rain In Hindi)

जब वायुमंडल में वायुदाब के बाद बारिश होती है तब उस बारिश को प्राकृतिक बारिश कहते है. पर कई बार ऐसा भी होता है जब बादल बनते तो है मगर उससे बारिश नहीं हो पाती है और बिना बारिश किये ही बादल कुछ समय बाद छट जाते है जबकि उस समय उस क्षेत्र में बारिश की सख्त जरूरत होती है तब वैसी स्थिति में कृत्रिम वर्षा की आवश्यकता पड़ जाती है. क्लाउड सीडिंग ऐसा ही एक तरीका है जिसके माध्यम से बादलों से वर्षा करवाया जाता है. क्लाउड सीडिंग अंग्रेजी के दो शब्दों के मेल से बना है जिसका अर्थ है बादलों में बीज बोना अर्थात बादलों को वर्षा के लिए तैयार करना या फिर बादलों को बारिश के लिए उपयुक्त बनाना.

कृत्रिम बारिश कैसे काम करती है? (Artificial Rain How It Works)

कृत्रिम बारिश करवाने वाली इस पद्दति में कुछ केमिकल्स की आवश्यकता होती है. जिनको आसमान में पहले से उपस्थित बादलों पर छिड़काव किया जाता है. ये केमिकल्स (chemical used in artificial rain) है – कैल्सियम क्लोराइड, कैल्सियम कार्बाइड, कैल्सियम ऑक्साइड, नमक एवं यूरिया आदि. वायुमंडल में जाकर ये यौगिक जल वाष्प को सोख लेते है और उसके बाद संघनन शुरू कर देते है.

दूसरी प्रक्रिया में सिल्वर आयोडाइड (which chemical is used for artificial rain) और सुखी बर्फ जैसे पदार्थो को बादलों के ऊपर फेंका जाता है, यह प्रक्रिया उस समय कारगार होती है जब आसमान में पहले से कुछ बादल हो. इन पदार्थो के छिड़काव से बादलों को घनत्व बढ़ने लगता है और उसके बाद वे भारी होकर धरती पर बारिश की बूंदो के रूप में बरसने लगते है, इसे ही कृत्रिम बारिश कहते है जिसको वैज्ञानिक भाषा में क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding Kya Hai) कहा जाता है.

बादलों में केमिकल्स के ये छिड़काव छोटे व हल्के विमान के सहयोग से किया जाता है. ये विमान या तो बादलों के ऊपर उड़ सकते है या फिर बादलों के नीचे से उड़ान भर सकते है. उड़ान पड़ते समय ये उलटी दिशा में केमिकल्स के छिड़काव करते है ताकि इन्हे आगे बढ़ने में कोई परेशानी न हो. ये विमान उन केमिकल्स के छिड़काव को करते हुए मध्यम गति से आगे बढ़ जाते है क्योकि यदि ये अपनी गति को तेज रखेंगे तो ये बिना अधिक छिड़काव किये ही वहां से आगे बढ़ जाएंगे. इसलिए इसमें विमान की गति को कम रखा जाता है.

लेकिन क्लाउड सीडिंग के लिए केवल इतना ही काफी नहीं है. इसके लिए कई सरकारी संस्थाओ का परमिशन लेना होता है और अगर यह दिल्ली (Delhi Pollution Artificial Rain) जैसे क्षेत्र में कराया जा रहा है तब यह और भी जटिल हो जाती है क्योकि दिल्ली देश की राजधानी है और यहाँ बड़े बड़े सरकारी कार्यालय व अधिकारी रहते है इसलिए इसके लिए गृह मंत्रालय से भी परमिशन लेना आवश्यक है. हालांकि आने वाले 20 या 21 नवंबर (artificial rain in delhi date 2023) के लिए दिल्ली के राज्यपाल की उपस्थिति में मीटिंग की गई थी और इसे हरी झंडी मिल चुकी है. लेकिन इसके बावजूद इसमें कई अड़चने मौजूद है. दरअसल क्लाउड सीडिंग के लिए थोड़े बादलों का होना आवश्यक है. लेकिन इसमें बादलों का चयन सही होना आवश्यक है. यह सुनिश्चित किया जाना होता है कि जिस भी बादल का छिड़काव के लिए चयन किया गया है उसमें पर्याप्त नमी हो अर्थात उसमें जलवाष्प के कण उपस्थित हो. सर्दी के समय में वातावरण में इतनी नमी नहीं होती कि बादल बना सकें. अगर नमी नहीं होगी तब वैसी स्थिति में बारिश की बुँदे धरती पर आने से पहले ही भाप बनने की संभावना अधिक होती है. दूसरी हवा भी एक प्रमुख घटक है. अगर हवा की दिशा बदल जाती है या फिर अचानक से तेज हो जाती है तो वैसी स्थिति में छिड़काव के बाद वह बादल कही और जाकर बारिस कर देगा जो उस उद्देश्य की असफलता मानी जाएगी.

क्लाउड सीडिंग में कितना खर्च आता है? (Delhi Artificial Rain Cost)

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर डॉक्टर मनिंदर अग्रवाल एक मीडिया चैनल से बतलाया कि इसकी सही लागत का आकलन करना कठिन है मगर मोटे तौर पर राजधानी दिल्ली (Cost Of Artificial Rain In Delhi) में क्लाउड सीडिंग की लागत एक लाख प्रति स्क्वायर किलोमीटर आएगी.

दिल्ली में कब होगी क्लाउड सीडिंग (When Artificial Rain In Delhi)

राजधानी में प्रदूषण की स्तर खतरे से ऊपर होने के कारण यह लोगो के स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय बन गया है. इसी को ध्यान में रखकर 20 या 21 नवंबर को राजधानी दिल्ली में कृत्रिम बारिश पर सरकार ने आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिको के सहयोग से कृत्रिम बारिश करवाने का निर्णय लिया है. तारीख का निर्णय इस आधार पर लिया गया है कि वैज्ञानिको का अनुमान है उस दिन दिल्ली में कुछ बादल हो सकते है.

आर्टिफिशियल रेन की पद्धति कितनी पुरानी

आर्टिफिशियल रेन की तकनीक कोई नहीं है. पहली बार इस तकनीक से बारिश 1947 में बथर्स्ट, आस्ट्रेलिया में कराया गया था. बाद में यह बहुत प्रचलित हो गया और अब तक पचास से भी अधिक देश इस विधि से बारिश करवा चुके है. चीन में पॉल्यूशन के स्तर को कम करने के लिए आर्टिफिशियल रेन कई बार करवा चुका है जबकि अमेरिका, आस्ट्रेलिया, इजराइल व मिडिल ईस्ट के देशो में यह बहुत अधिक प्रचलित है क्योकि इनमें से कई देश ऐसे है जहाँ बारिश का स्तर बहुत कम है और इन्हे प्रायः उनकी भरपाई के लिए आर्टिफिशियल रेन का सहयोग लेना पड़ता है.

क्या भारत में कृत्रिम बारिश संभव है? (Is artificial rain possible in India)

भारत में इस विधि से कई बार बारिश करवाई जा चुकी है मगर भारत में जहाँ एक ओर इसकी सफलता दर कम है वही विदेशो की तुलना में यहाँ प्रति स्क्वायर किलोमीटर की लागत अधिक है. हालांकि अब इसमें कमी आने की संभावना है क्योकि जहाँ पहले भारत इसके लिए विदेशो पर निर्भर था तो वही अब यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से लैस हो गया है. यहाँ तक की छिड़काव के लिए केमिकल्स भी अब भारत में ही बनाये जाते है. इससे लागत में निश्चित ही कमी आएगी.

कृत्रिम वर्षा किस प्रकार प्रदूषण को कम करती है?

आर्टिफिशियल रेन प्रदूषण का स्थायी समाधान नहीं है. इसके मध्यम से वातावण में प्रदूषण के धूलकण बारिश की बूंदो के साथ जमीन पर बैठ जाते है, इससे प्रदूषण में अस्थायी कमी आ जाती है.

निष्कर्ष – आज के इस लेख में हमने आपको कैसे होती है कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain In Hindi), कृत्रिम वर्षा के नुकसान, कृत्रिम वर्षा क्या है, कृत्रिम वर्षा किसे कहते हैं के बारें में बताया. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आयी होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.

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