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National Engineer’s Day 2023 – किसी भी क्षेत्र में विकास के योगदान में इंजीनियर्स की मुख्य भूमिका रही है. आज के परिवेश में इंसान की सुख सुविधा का ध्यान रखते हुए इंजीनियर ने वो सभी तमाम चीजों का अविष्कार किया है जिससे मनुष्य का जीवन सरल और आरामदायक हो गया है. इन सभी कार्य में इंजीनियर की अहम योगदान रहा है.
हर वर्ष भारत में 15 सितंबर को इंजीनियर डे (National Engineer’s Day 2023) के रूप में मनाया जाता है. यह दिवस भारत रत्न से सम्मानित और महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया (mokshagundam visvesvaraya) को समर्पित है. इनका राष्ट्र हित के निर्माण में अहम योगदान है. और उनके जन्मदिन को पुरे देश में इंजीनियर दिवस के रूप में बनाते है. तो आज हम आपको इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जीवन से जुड़ें कुछ बातें बताने जा रहे है.
15 सितंबर को क्यों मनाया जाता है National Engineer’s Day
नाम (Name) | मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया (Mokshagundam Visvesvaraya) |
अन्य नाम (Other Name) | एम विश्वेश्वरैया |
जन्म तारीख (Date Of Birth) | 15 सितंबर 1861 |
जन्मदिन (Engineer’s Day) | 15 सितंबर |
जन्म स्थान (Place) | कोलार, मैसूर |
उम्र (Age) | 100 साल (मृत्यु के समय) |
मृत्यु की तारीख (Date of Death) | 14 अप्रैल 1962 |
मृत्यु स्थान (Place Of Death) | कर्नाटक |
शिक्षा (Education ) | सिविल इंजीनियरिंग |
कॉलेज (Collage ) | मद्रास विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज, पुणे |
व्यवसाय (Business) | इंजीनियर |
अवार्ड (Awards) | भारत रत्न |
पिता का नाम (Father’s name) | श्रीनिवास शास्त्री (आयुर्वेद डॉक्टर) |
माता का नाम (Mother’s name) | वेंकटलक्ष्मीम्मा, मोक्षगुंडम |
वैवाहिक स्थिति (Marital Status ) | अवैवाहिक |
नागरिकता (Citizenship) | भारतीय |
कौन थे मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया (Who was Mokshagundam Visvesvaraya)
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को एक ब्राह्मण परिवार में मैसूर के कोलार जिले (कर्नाटक) में हुआ, उनके पिता जी का नाम श्रीनिवास शास्त्री जो कि एक आयुर्वेद के डॉक्टर और संस्कृत के विद्वान थे. और माता जी का नाम वेंकटलक्ष्मीम्मा था.
विश्वेश्वरैया की शुरूआती पढाई अपने गृहनगर से पूरी इसके बाद बीए की शिक्षा के लिए मद्रास यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. लेकिन इन्होने अपना करियर में थोड़ा बदलाव करते हुए मद्रास यूनिवर्सिटी से पुणे के कॉलेज ऑफ साइंस में एडमिशन लिया और वहा से सफलतापूर्वक सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया.
सिविल इंजीनियरिंग करने के बाद तत्काल ही असिस्टेंट इंजिनियर की पोस्ट पर नौकरी मिल गई. और विश्वेश्वरैया साल 1912 से लेकर साल 1918 तक मैसूर के 19वें दीवान यानि दूसरे मंत्री रहे. साल 1917 में बैंगलोर में गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना में इनकी मुख्य भूमिका थी, जो देश के पहली इंजीनियरिंग कॉलेज में से एक थी. इनका मैसूर में किये गए अनेक कार्यो के कारण इनको मॉर्डन मैसूर का पिता भी कहा जाता है. इतना ही नही इन्होने मैसूर की गवर्मेंट के साथ मिलकर कई एजुकेशनल इंस्टिट्यूट और फैक्ट्रियों की स्थापना करवाई थी. इसके अलावा इन्होने कर्नाटक राज्य के मांड्या जिले में कृष्णराज सागर बांध का निर्माण करवाया. इन्हें सर एमवी (sir m visvesvaraya) के नाम से भी जानते थे. साल 1962 में 100 वर्ष की उम्र में इनका निधन हुआ.
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की उपलब्धियां (Mokshagundam Visvesvaraya Achievements)
- विश्वेश्वरैया ने मैसूर में कई जगह नई ट्रेन लाइनों की शुरुआत की थी.
- सर एमवी ने मैसूर में महान कृष्ण राजा सागर बांध के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी और खुद इस प्रोजेक्ट के आर्किटेक्ट भी थे.
- विश्वेश्वरैया ने मुसी रिवर द्वारा हैदराबाद की सिटी के लिए फ्लड प्रोटेक्शन सिस्टम तैयार की.
- तिरुपति और तिरुमाला के मध्य सड़क बनाने की प्लानिंग में सर एमवी का योगदान रहा था.
- साल 1909 में मैसूर के इंजीनियर के तौर पर और साल 1912 में मैसूर के दीवान के तौर पर कार्य किया.
- पुणे में पहली बार खडकवासला जलाशय में अपशिष्ट जल प्रवाह को रोकने का ब्लॉक सिस्टम बनाया.
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को मिले पुरस्कार और सम्मान (Mokshagundam Visvesvaraya Awards and honors)
- साल 1911 में सर एमवी को कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ द इंडियन एम्पायर नियुक्त किया गया था.
- साल 1915 में मैसूर के दीवान होने के दौरान जनता की भलाई में उनके योगदान के लिए अंग्रेजों द्वारा नाइट कमांडर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द इंडियन एम्पायर के रूप में नाइट कमांडर के रूप में नाइट किया गया.
- साल 1955 में देश के सर्वोच्च सम्मान, भारत रत्न पुरस्कार से नवाज़ा गया.
- लंदन इंस्टीट्यूशन ऑफ सिविल इंजीनियर्स की मानद सदस्यता, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से फेलोशिप और डी.एससी., एलएल.डी., डी.लिट समेत भारत की आठ यूनिवर्सिटी से मानद उपलब्धियां प्राप्त हुई.
- साल1923 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अधिवेशन के अध्यक्ष बने.
निष्कर्ष– आज हमने आपको बताया कि 15 सितंबर को क्यों मनाया जाता है National Engineer’s Day और इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जीवन से जुड़ें कुछ बातों के बारे में. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी.
FAQ
Q: इंजीनियर दिवस क्यों मनाते हैं?
Ans: इस दिन महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्मदिन होता है.
Q: इंजीनियर्स डे की शुरुआत किसने की?
Ans: एम विश्वेश्वरैया
Q: विश्व इंजीनियर्स दिवस कब मनाया जाता है?
Ans: 15 सितंबर को
Q: भारत का सबसे बड़ा इंजीनियर कौन है?
Ans: इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया
Q: 15 सितंबर क्यों प्रसिद्ध है?
Ans: इस दिवस पर इंजीनियर डे मनाया जाता है.
Q: 15 सितंबर को कौनसा दिवस मनाया जाता है?
Ans: National Engineer’s Day
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