चिकन पॉक्स क्यों होता है, लक्षण, ट्रीटमेंट और दवा | Chicken Pox Treatment In Hindi

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चिकन पॉक्स क्यों होता है, लक्षण, ट्रीटमेंट और दवा,प्रकार, क्या पीना चाहिए, कितने दिन रहता है, टिका (Chicken Pox Treatment In Hindi, Lakshan, Treatment, Bimari, Causes, Symptoms, vaccine)

Chicken Pox Treatment in Hindi – हम जब छोटे थे तब स्कूल या अड़ोसी पड़ोसी से सुना करते थे कि फलने बच्चे को माता निकल आई है. इस दौरान बच्चे के चेहरे पर पिंपल्स और दाग-धब्बे नजर आने लगते है. साथ ही साथ बुखार और खुजली भी होने लगती है. फिर जब बड़े हुए तो पता चला कि इस बीमारी को चिकन पॉक्स या फिर चेचक के नाम से भी जानते है. यह एक प्रकार का वायरस है जो इंसान में बड़ी तेज़ी से फैलता है. इस बीमारी से देश ही नही पूरा विश्व काफी परेशान है. इस वायरस की खास बात यह है कि यह हवा से ज्यादा फैलती है. चिकन पॉक्स से बच्चे और बुडे लोग ज्यादा परेशान हो जाते है. और जिन लोगो का इम्यूनिटी कमजोर होता है उसे भी यह बीमारी जकड़ लेती है.

इस आर्टिकल में हम आपको चिकन पॉक्स क्यों होता है, चिकन पॉक्स में क्या करे, चिकन पॉक्स के लक्षण, चिकन पॉक्स के कारण, चिकन पॉक्स ट्रीटमेंट (Chicken Pox Treatment In Hindi), चिकन पॉक्स की दवा, चिकन पॉक्स कितने दिन रहता है, चिकन पॉक्स कितने प्रकार के होते हैं, चिकन पॉक्स में क्या नही खाना चाहिए, चिकनपॉक्स का उपचार, चिकनपॉक्स से बचाव के बारें में पूरी जानकारी देने वाले है.

Chicken Pox Treatment In Hindi

चिकन पॉक्स क्या होता है? (What Is Chickenpox Hindi)

चिकन पॉक्स एक घातक बीमारी है जो वायरस के संक्रमण से फैलती है. इस वायरस को मेडिकल भाषा में  वेरीसेल्ला जोस्टर बोलते है. देश के सभी घरो में चिकन पॉक्स को माता आना या निकला कहते है. चिकन पॉक्स का वायरस किसी भी उम्र में किसी को भी प्रभावित कर सकता है. लेकिन इसके अधिकतर मामले बच्चों में देखे गये हैं. चिकन पॉक्स  के 90 फीसदी मामले 10 साल से कम आयु के बच्चों में होता हैं. जब भी किसी को चिकन पॉक्स होता है तो शरीर में लाल धब्बे, दाने और खुजली होने लगती है. और बुखार भी होने लगता है. इसी एक साथ साथ मांसपेशियों में दर्द, साँस लेने में कठिनाई और भूख में कमी जैसे लक्षण भी देखने को मिलत है.

चिकन पॉक्स के कारण (Causes Of Chicken Pox In Hindi)

अमूमन चिकन पॉक्स दो कारणों की वजह से होते है. इसका प्रमुख और पहला कारण रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स है. रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स मतलब छींकने और खांसने समय निकलने वाली बुँदे. यह एक चिकन पॉक्स के संक्रमित मरीज से हेल्दी इंसान में चली जाती है जिससे हेल्दी इंसान भी इस वायरस से संक्रमित हो जाता है. इसका दूसरा कारण यह है कि संक्रमित मरीज के शरीर पर हुए फफोले और दानों में से निकलने वाली पानी अगर किसी दुसरे इंसान को लग जाये तो वह इंसान भी इस बीमारी की चपेट में आ जायेगा. तो यह बीमारी संक्रमित मरीज के आस पास रहने से भी दुसरे को होने की संभावना बनी रहती है.    

चिकन पॉक्स के लक्षण (Symptoms Of Chicken Pox In Hindi)

चिकनपॉक्स के लक्षण संपर्क में आने के 10 दिनों के बाद से शरीर पर दिखाई देना शुरू हो जाता है. शुरू के दिनों में हल्का बुखार, बदन दर्द, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द थकान और भूख न लगना जैसे लक्षण होने लगते है. इसके बाद चेहरे, छाती और पीठ पर लाल रंग के चकते (दाने) होने शुरू होते है. और धीरे धीरे यह पुरे शरीर पर फ़ैल जाते है. ये लाल दाने मुंह के अंदर, पलकों के आसपास भी दिखाई देने लगते है. शुरू में यह दाने चकदार और बाहर की तरफ निकलने होते है लेकिन जब यह अधिक बिगड़ जाता है तो फफोले जैसा हो जाता है और मवाद से भर जाता है. कुछ दिनों बाद यह मवाद सुख जाती है और पपड़ी बनाकर उतरने लगती है. लेकिन कभी कभार यह काफी गंभीर रूप भी ले लेती है जिसमे 102 डिग्री से अधिक बुखार 3 से 4 दिनों तक रहता है. फफोले में सुजन आना और दर्द होता है. सिर में चक्कर जैसा आना और तेज सिरदर्द, नींद आना, सांस लेने में कठिनाई, गर्दन में अकड़न, उल्टी होती है. इस तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से इलाज करवाए.   

चिकनपॉक्स का उपचार (Chicken Pox Treatment In Hindi)

चिकनपॉक्स जब होता है तो बिना किसी इलाज और उपचार के अपने आप ही तीन से चार दिनों में सही हो जाता है. गंभीर लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. अगर बुखार होता है तो उसकी दवाई दी जाती और त्वचा पर खुजली हो रही तो उस पर लोशन लगाने की सलाह दी जाती है. साथ ही साथ एंटी एलर्जिक की भी दवाइयां दी जाती है ताकि खुजली कम हो. हालाँकि चिकन पॉक्स का कोई पुख्ता इलाज नहीं है. चिकनपॉक्स होने पर बच्चो को इंजेक्शन लगाये जाते है.

चिकनपॉक्स से बचाव (Chicken Pox Prevention In Hindi)

चिकन पॉक्स से बचने के लिए टीका लगवाना ही सही उपाय है. चिकनपॉक्स के वैक्सीन की पहली डोस बच्चे के जन्म के 12 से 15 महीने के बीच और दूसरी डोस 4 से 6 साल के कम उम्र के बच्चो को दी जानी चाहिए. यदि 13 वर्ष की आयु तक यह वैक्सीन नहीं लगवाना गया है तो दोनों डोस 4 से 8 सप्ताह के अंतराल पर लगवा लेनी चाहिए.अगर किसी इन्फेक्टेड व्यक्ति के संपर्क में आने के 72 घंटे के भीतर टीका लगवाने से भी इन्फेक्टेड होने से बचा जा सकता है.

चिकन पॉक्स कितने दिन रहता है?

आमतौर पर चिकन पॉक्स 3 से 5 दिनों तक रहता है. लेकिन जब आपके शरीर पर दाने होते है तो उसे पूरी तरह से सही होने पर 20 से 25 दिनों का समय लग जाता है. 

चिकन पॉक्स में क्या नही  खाना चाहिए?

चिकन पॉक्स होने पर ऑयली फूड और ट्रांस फूड का सेवन करने से बचे, जैसे समोसा, कचोरी, पकौड़े, फ्रैंच फ्राइज आदि. ज्यादा मसाला और नमक वाले खाने को भी कुछ दिनों तक दूर रखे. इससे आपके मुँह में जलन हो सकता है. और आपको पीनट बटर, ट्री नट्स से परहेज करना होगा. मांस मछली और खट्टे फल को न खाए. और आपको ज्यादा ज्यादा गर्म खाने वाली चीजों से भी दूर रहना चाहिए.

चिकन पॉक्स कितने प्रकार के होते हैं?

चिकन पॉक्स दो प्रकार के होते है छोटी माता और बड़ी माता.

चिकन पॉक्स में दूध पीना चाहिए या नहीं

चिकन पॉक्स में आप घर के ताजा दूध को पी सकते हो.

निष्कर्ष – आज के इस लेख में हमने आपको बताया पॉक्स क्यों होता है, चिकन पॉक्स में क्या करे, चिकन पॉक्स के लक्षण, चिकन पॉक्स के कारण, चिकन पॉक्स ट्रीटमेंट (Chicken Pox Treatment In Hindi), चिकन पॉक्स की दवा, चिकन पॉक्स कितने दिन रहता है, चिकन पॉक्स कितने प्रकार के होते हैं, चिकन पॉक्स में क्या नही खाना चाहिए, चिकनपॉक्स का उपचार, चिकनपॉक्स से बचाव के बारें में. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.

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