डीपफेक टेक्नोलॉजी क्या है, डीपफेक एआई, डीपफेक एआई अप्प, डीपफेक एआई टूल, डीपफेक काय आहे (Deepfake Video in Hindi, deepfake technology, deepfake meaning, video viral, app download, AI bot)
Deepfake In Hindi – पिछले कुछ समय से AI टेक्नोलॉजी किसी के लिए मददगार तो किसी के लिए घातक बन गई है. AI टेक्नोलॉजी की मदद से बहुत से काम आसान हो गये है. लेकिन कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर बॉलीवुड की एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना (Rashmika Mandana Deepfake Viral Video) का एक विडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया के साथ साथ लोगो में भी खलबली मच गई. दरअसल 6 नवंबर को रश्मिका मंदाना के फेस के एक विडियो वायरल हुआ. जब पता चला तो वो विडियो सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर जारा पटेल का था जिसे AI टेक्नोलॉजी Deepfake एप्लीकेशन की मदद से चेहरे को रिप्लेस कर बनाया गया है. जब वीडियो वायरल हुआ तो इस तकनीक को देश के लिए बेहद खतरनाक माना जा रहा है.
Deepfake विडियो से रश्मिका मंदाना के अलावा कैटरीना कैफ और काजोल तक के विडियो में चेहरा रिप्लेस किया गया है यहाँ तक कि एक विडियो में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी फेस को लगाया गया है. इसके बाद भारत सरकार इस एप्लीकेशन पर जल्द से जल्द शिकंजा कसने की तैयारी में लगी हुई है. अगर आज इस तरह की AI टेक्नोलॉजी पर लगाम नही लगाई तो आने वाले दिनों में यह लोकतंत्र के लिए खतरा बन सकता है. इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले है Deepfake टेक्नोलॉजी क्या है, Deepfake Video को कैसे पहचानें, डीपफेक कैसे बनाए जाते हैं, डीपफेक खतरनाक (Deepfake Video in Hindi) क्यों है के बारें में.
डीपफेक टेक्नोलॉजी क्या है (Deepfake Video Kya Hai)
डीपफेक फोटो और विडियो दोनों को बनाने में हो सकता है. इस तरह का कंटेंट स्पेशल मशीन लर्निंग की मदद से मनाया जाता है. जिसे Deep Learning भी कहा जाता है. डीपफेक की यह टेक्नोलॉजी मशीन लर्निंग का ही एक हिस्सा है. डीपफेक का मतलब मल्टिपल लेयर्स यानि कई सारी लेयर्सस का कॉम्बिनेशन होता है. आपको जानकारी के लिए बता दूँ Deepfake AI न्यूरल नेटवर्क पर आधारित है. इस नेटवर्क की मदद से कई सारे नकली विडियो और फोटो को असली बनाकर दिखाया जाता है.
साल 2017 में पहली बार Deepfake का नाम सुना गया था. उस वक्त एक अमेरिकन सोशल न्यूज़ वेबसाइट Reddit यूजर ने अधिक मात्रा में Deepfake Video बनाये थे. Deefake Video दो नेटवर्क से मिलकर बनाया जाता है पहला इनकोडर और दूसरा डिकोडर.
इनकोडर इस प्रीसेस का पहला पार्ट है जिसमे ओरिजनल कंटेंट को अच्छी तरह से रीड किया जाता है. फिर दुसरे प्रोसेस में डीकोडर ओरिजनल कंटेंट को फेक वीडियो में कन्वर्ट करता है जिसके लिए ओरिजनल कंटेंट को डिकोडर नेटवर्क में ट्रांसफर करता है. इस प्रक्रिया में कुछ समय लगता है, जिसके बाद एक वीडियो बन जाता है जिसमें शरीर का हिस्सा किसी और का होता है और चेहरा किसी और का होता है.
आसान शब्दों में समझे तो डीपफेक एक विडियो और फोटो एडिटिंग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एप्लीकेशन है जिसमे किसी दुसरे चेहरे को किसी अन्य चेहरे में तब्दील का सकते है. और यह प्रोसेस इतना सटीक होता है कि इसे पहचानना काफी मुश्किल होता है. हाल ही में एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का ब्लैक ड्रेस में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो पता चला कि ये वीडियो जारा पटेल का है. इस तरह के विडियो डीपफेक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से आसानी से बनाया जा सकता है.
डीपफेक कैसे बनाए जाते हैं? (How Do You Create Deepfakes)
Deepfakes विडियो AI टेक्नोलॉजी की मदद से बनाए जाते है. इसमें इनकोडर और डिकोडर दो तरह के प्रोसेस होते है. इनकोडर प्रोसेस में इमेज और विडियो को अच्छी तरह से रीड करता है और एक फेक विडियो क्रिएट करता है. और दुसरे प्रोसेस में डिकोडर इस क्रिएट किये गये विडियो की जांच करता है. यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक वीडियो और फोटो असली जैसे न दिखने लगें. यह प्रोसेस एक चेन की तरह चलती है जिसे जेनरेटिव एडवरसेरियल नेटवर्क बोलते है. और अंत में जब डिकोडर अपनी तरफ से बता देता है कि बनाया गया विडियो अब पूरी तरह से असली है तो उसे वायरल कर दिया जाता है.
डीपफेक वीडियो कैसे पहचानें?
Deepfakes टेक्नोलॉजी से बने विडियो की पहचान कर पाना काफी मुश्किल होता है लेकिन अगर इसे गौर से देखे तो इसकी पहचान की जा सकती है. इस तरह के विडियो की पहचान चेहरे के भाव, आंखों की चाल और शरीर की मूवमेंट से की जा सकती है. इसके साथ ही बॉडी के कलर और बाल से भी इसकी पहचान की जा सकती है. अमूमन विडियो में फेस और बॉडी का कलर अलग अलग रहता है. यह टेक्नोलॉजी सिर्फ चेहरे को ही रिप्लेस करती है. और बॉडी ओरिजनल ही रहती है. इन सभी के अलावा Deepfakes वीडियोस की पहचान लिप सिंकिंग से भी की जा सकती है. ऐसे वीडियो में ओरिजिनल साउंड बहुत कम होगा या तो वीडियो किसी गाने पर होगा या फिर कोई आवाज होगा तो सुनने में अलग लगेगा. फेक विडियो की पहचान आप लोकेशन और ब्राइटनेस को बढाकर भी कर सकते है.
डीपफेक खतरनाक क्यों है?
किसी भी टेक्नोलॉजी के आने के बाद उसका सही और गलत उपयोग दोनों आप पर निर्भर करता है. लेकिन कभी कभी कभी कुछ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना विनाशकारी साबित हो जाता है. और Deepfakes इसी का ही जीताजागता एक उधारण है. इसके जरिए किसी भी इंसान का जीवन बर्बाद किया जा सकता है. इसका उपयोग कई क्षेत्रों में जानलेवा साबित हो सकता है. खासकर चुनावों में इसके दुरुपयोग की सबसे ज्यादा आशंका रहती है. इसके जरिए किसी भी व्यक्ति का नाम बदनाम करने की कोशिश की जा सकती है. इतना ही नही Deepfakes टेक्नोलॉजी के गलत इस्तेमाल से लोकतंत्र को खतरा हो सकता है. कई लोग अपने फायदे के लिए इसका गलत इस्तेमाल करते है.
डीपफेक किस कानून के अंतर्गत आते हैं?
किसी AI टेक्नोलॉजी की मदद से कोई Deepfake Video या Deepfake Photo बनाकर सोशल मीडिया पर पब्लिश करता है तो उस व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 500 और 468 के तहत कार्रवाई की जाएगी.
निष्कर्ष – आज के इस लेख में हमने आपको Deepfake टेक्नोलॉजी क्या (Deepfake Video in Hindi) है के बारें में बताया. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आयी होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.
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