कंप्यूटर क्या है | What is Computer in Hindi | Computer kya hai
नमस्कार दोस्तों, हम रोजाना हमारे दैनिक कार्य में कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं। कंप्यूटर ने हमारे जीवन को आसान बना दिया हैं। क्या आप जानते हैं कि वास्तव में कंप्यूटर क्या हैं, और कंप्यूटर कैसे काम करता हैं ? अगर आप नही जानते हैं तो यह लेख आपके लिए ही हैं। इस लेख में आपको इसी के बारे में आसान भाषा में बताया गया हैं।
कंप्यूटर क्या हैं ? (What is computer In Hindi)
वैसे तो कंप्यूटर की एक निश्चित परिभाषा नही हैं कि कंप्यूटर क्या हैं। क्योंकि हम कैलकुलेटर और मोबाइल को भी कंप्यूटर की श्रेणी में मानते हैं। हर वो चीज़ जो गणना करने में मददगार हो उसे हम कंप्यूटर कहते है ।
कंप्यूटर की परिभाषा क्या हैं ? (Computer Definition in Hindi)
कंप्यूटर एक ऐसी मशीन हैं जो डाटा को Input के रूप में लेती हैं, उसे Process करती हैं और उसका परिणाम Output के रूप में देती हैं। यह एक कंप्यूटर की सामान्य परिभाषा हैं। वर्तमान में इस परिभाषा का पूरा मतलब बदल चुका हैं और इस परिभाषा के मायने भी बदल चुके है, वर्तमान में कंप्यूटर केवल एक मशीन से बढ़कर और भी काफी कुछ हैं।
कंप्यूटर की विशेषताएं (Characteristics of Computer in Hindi)
कंप्यूटर की परिभाषा के बाद अगर हम कंप्यूटर की विशेषताओं के बारे में जाने तो इसकी कुछ सामान्य विशेषताएँ हैं। यह सभी विशेषताएं निम्न हैं
- गति ( Speed ) – कंप्यूटर अपने काम को करने में काफी तेज़ हैं। कंप्यूटर की गति आपकी आँख की पलकें बदलने से भी तेज़ हैं। यह सेकंड में लाखों करोड़ो नंबर की गिनती कर सकता हैं।
- शुद्ध कार्य ( Accuracy ) – कंप्यूटर की एक और विशेषता देखे तो इसमें कंप्यूटर अपना काम बिना किसी ग़लती के करता हैं और इसमें किसी भी प्रकार की गलती रहने के चांस बहुत कम रहते हैं।
- भण्डारण की सुविधा ( Storage ) – कंप्यूटर में किसी भी डाटा को आसानी से सेव किया जा सकता हैं और उसे सालों तक सेव कर के रखा जा सकता हैं। कंप्यूटर में डाटा और स्टोरेज की आसानी से सेव किया जा सकता हैं।
- जल्दी निर्णय लेने की क्षमता ( Fast Decision ) – कंप्यूटर की सोचने और निर्णय लेने की क्षमता काफी तेज़ होती हैं। कंप्यूटर के जरिये आसानी से किसी भी कार्य को कर सकते हैं।
कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer in Hindi)
कहते हैं की आवश्यकता आविष्कार की जननी हैं। ऐसे ही कंप्यूटर का आविष्कार भी एक बड़ी आवश्यकता की पूर्ति हैं। वैसे कंप्यूटर का इतिहास तकरीबन 2500 साल पुराना हैं। कंप्यूटर की इसी खोज ने आज इतिहास ही बदल कर रख दिया हैं।
- अबेकस – कंप्यूटर वर्तमान में हमारे जीवन और कार्यशैली में एक अहम हिस्सा बन चूका हैं। कंप्यूटर के इतिहास में सबसे पहला नाम अबेकस का आता है। इस अबेकस का आविष्कार आज से तक़रीबन 600 ईसा पूर्व चीन में हुआ था। सामान्य गणित की समस्या हल करने के लिए इस डिवाइस को बनाया गया हैं। अबेकस को सोरोबान के नाम से भी जाना जाता हैं।
- John Napier’s बोन – इस यंत्र का आविष्कार आज से पहले सत्रहवी शताब्दी की शुरुआत में हुआ था। यह हड्डियों और धातुओं से बना होता हैं और इस यंत्र के ऊपर कुछ नंबर लिखे होते हैं। इस यंत्र को Cardboard multiplication calculator के नाम से भी जाना जाता हैं।
- यह डिवाइस भी एक गणनांक यंत्र हैं वही इसका इस्तेमाल जोड़ और बाकी करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। यह एक Manual Calculating Device हैं।
- इन सब के अलावा और भी कई डिवाइस कंप्यूटर के रूप में बनाये गये थे जो गणना करने के लिए इस्तेमाल किये जाते थे।
कंप्यूटर के प्रकार (Type of Computer)
कंप्यूटर की साइज़ के आधार पर कंप्यूटर को मुख्य रूप से 4 भागों में बाँटा गया हैं। कंप्यूटर के यह प्रकार मुख्य हैं –
माइक्रो कंप्यूटर ( Micro Computer )
कंप्यूटर की साइज़ के आधार पर कंप्यूटर का यह पहला भाग हैं। इस प्रकार के कंप्यूटर को डेस्क यानी टेबल पर रख कर आसानी से इस कंप्यूटर की मदद से काम किया जा सकता हैं। इस कंप्यूटर में सीपीयू और माइक्रोप्रोसेसर लगा होता हैं जिस वजह से इस कंप्यूटर को माइक्रो कंप्यूटर के नाम से जाना जाता हैं।
इस प्रकार के कंप्यूटर में इस्तेमाल होने वाला माइक्रोप्रोसेसर का पहली बार निर्माण साल 1970 Intel कंपनी द्वारा किया गया था। उसके बाद इस तकनीक का विकास होता गया और निरंतर यह तकनीक काम में आती जा रही हैं।
इसके अलावा IBM कम्पनी द्वारा बना गया माइक्रोप्रोसेसर जिसकी साइज़ 8 बिट थी, का भी इस्तेमाल काफी किया जाने लगा। वर्तमान में 8 बिट से बढ़ कर 64 बिट तक के माइक्रोप्रोसेसर बाज़ार में उपलब्ध हैं और यह साइज़ निरंतर बढती जा रही हैं।
मिनीकंप्यूटर ( Mini Computer )
माइक्रो कंप्यूटर के बाद आकार के आधार पर इस कंप्यूटर को दुसरे नम्बर पर रखा जाता हैं। यह कंप्यूटर मिनी कंप्यूटर का एक बड़ा रूप हैं। इस कंप्यूटर का आकर फ्रीज़ के आकार के सामान होता हैं।
इस कंप्यूटर में एक से अधिक CPU लगे होते हैं और इस कंप्यूटर पर एक से अधिक लोग काम कर सकते हैं। इस एक मिनी कंप्यूटर में कई अनेक माइक्रोप्रोसेसर लगे होते हैं। इस मिनी कंप्यूटर का निर्माण पहली बार DEC द्वारा साल 1965 में किया गया था।
मेनफ्रेम कंप्यूटर ( Mainframe Computer )
कंप्यूटर को आकर के आधार पर बांटने में इस कंप्यूटर को तीसरे स्थान पर रखते हैं। यह बहुत बड़े आकार का एक कंप्यूटर होता हैं। इस कंप्यूटर की गति और क्षमता काफी तेज़ होती हैं। इस कंप्यूटर पर 24 घंटे लगातार काम किया जा सकता हैं।
इस कंप्यूटर को ठंडा रखने के लिए AC की भी जरूरत पड़ सकती हैं। इसमें एक से अनेक मेनफ़्रेम और कई मिनी कंप्यूटर को एक साथ जोड़ा जा सकता हैं।
सुपर कंप्यूटर ( Supercomputer )
आकर के आधार पर इस कंप्यूटर को सबसे बाद में यानी चौथे नंबर पर रखा जाता है। यह कंप्यूटर आकर में एक बड़ी इमारत जितना बड़ा होता हैं। इस कंप्यूटर का निर्माण पहली बार साल 1960 में CDC द्वारा किया गया था।
भारत में पहला सुपर कंप्यूटर साल 1998 में आया था जिसका नाम परम-1000 दिया गया था। इस प्रकार के कंप्यूटर का इस्तेमाल अनुसंधान जैसे कार्यों के लिए किया जाता हैं।
कंप्यूटर कैसे काम करता हैं ? (How do computers work)
अब समझते हैं की आखिर यह कंप्यूटर काम कैसे करता हैं ? कंप्यूटर के काम करने के प्रोसेस और इसके तरीके के बारे में भी जान ले तो हमारे लिए यह जानना आसान हो जाएगा की कंप्यूटर के काम करने के पीछे लॉजिक क्या हैं।
कंप्यूटर मुख्य रूप से 3 लॉजिक पर काम करता हैं। इन तीनों प्रोसेस के बारे में आप आसानी से समझ सकते हैं। इसमें Input, Processing और Output मुख्य हैं। इन सब के बारे में विस्तार से समझते हैं वो इस प्रकार हैं।
Input – इनपुट का शाब्दिक अर्थ होता हैं अंदर रखना। अगर आप कंप्यूटर में कोई भी डाटा डालते हैं या टाइप करते हैं तो उस स्थिति में उसे Input की श्रेणी में रखा जाएगा। कंप्यूटर के कार्य करने की सूची में इसे सबसे पहले नंबर पर रखा जाता हैं।
Process – यह कंप्यूटर के कार्य का दूसरा मुख्य कार्य हैं। इसमें डाटा के इनपुट करने के बाद उसे प्रोसेस किया जाता हैं। Process करने के तरीके को इसी में रखा जाता हैं। यह कंप्यूटर का मुख्य भाग हैं जिसमे डाटा को इनपुट और आउटपुट के बीच में माना जाता हैं।
Output – यह कंप्यूटर का सबसे अंतिम तरीका हैं। इसमें डाटा जो भी हम कंप्यूटर में इनपुट डिवाइस के माध्यम के ऐड करते हैं, उसके बाद उसके प्रोसेस होने के बाद जो भी रिजल्ट होता हैं वो हमे आउटपुट डिवाइस पर मिलता हैं।
कंप्यूटर को किस काम के लिए इस्तेमाल किया जा रहा हैं। इस पर भी निर्भर करता हैं की कंप्यूटर कैसे काम करेगा, परन्तु ऊपर बताया गया वो सामान्य तरीका हैं जो कंप्यूटर के इस्तेमाल के लिए किया जाता हैं।
कंप्यूटर के भाग (Main Components of Computer)
कंप्यूटर के भाग में हम सामान्य तौर पर उन भागों को देखते हैं जो कंप्यूटर के साथ जुड़ के कंप्यूटर को एक मशीन बनाते हैं। इन सभी में कंप्यूटर के वो सभी हार्डवेयर आते हैं जो कंप्यूटर में सबसे ज्यादा ज़रुरी हैं।
- सी.पी.यू. (C.P.U.)- CPU को आसान भाषा में समझे तो यह कंप्यूटर का सबसे मुख्य भाग हैं। इसे कंप्यूटर का दिमाग भी कहा जाता हैं। इसका पूरा नाम Central processing unit होता हैं। कंप्यूटर के इस भाग के साथ अन्य सभी डिवाइस जुड़े हुए होते हैं।
- मॉनिटर (Monitor) – मॉनिटर जिसे हम आज सामान्य भाषा में LED या LCD के नाम से भी जानते हैं। यह कंप्यूटर का एक आउटपुट डिवाइस हैं। कंप्यूटर में क्या हो रहा हैं, कौनसा प्रोग्राम चल रहा हैं। वो सभी इस मॉनिटर में आता हैं।
- की-बोर्ड (Key-Board) – यह कंप्यूटर का एक इनपुट डिवाइस हैं। हम कंप्यूटर में जो भी लिखते हैं या टाइप करते हैं वो इस कीबोर्ड के माध्यम से ही करते हैं। यह कंप्यूटर का एक महत्वपूर्ण भाग इसलिए बन जाता हैं क्योंकि इसके बिना आप कंप्यूटर में कुछ भी नही लिख सकते हैं।
- माउस (Mouse) – कंप्यूटर का एक और इनपुट डिवाइस के तौर पर जाना जाने वाला माउस भी कंप्यूटर के लिए सबसे ज्यादा जरुरी हैं। माउस का इस्तेमाल कंप्यूटर में किसी भी फाइल को खोलने के लिए या किसी फाइल को एक जगह से दुसरे जगह पर ले जाने जैसे कार्यों को किया जाता हैं।
यह सभी कंप्यूटर के सबसे मुख्य भाग हैं जिनके बिना कंप्यूटर सामान्य तौर पर अधूरा – अधूरा सा लगता हैं।
कंप्यूटर में ज़रुरी सॉफ्टवेयर (Software Required in Computer)
कंप्यूटर चाहे कोई भी, हम सामान्य तौर में मोबाइल को भी एक कंप्यूटर ही मानते हैं। कोई भी कंप्यूटर में सबसे ज्यादा ज़रुरी होता हैं कंप्यूटर का ऑपरेटिंग सिस्टम। ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर को एक साथ जुड़े रखने का काम करता हैं। ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर को सिस्टम सॉफ्टवेयर भी कहा जाता हैं।
ऑपरेटिंग सिस्टम के अलावा कंप्यूटर में कुछ ज़रुरी एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर होने चाहिए। हालाँकि कंप्यूटर में कौनसे एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर होंगे, इसका निर्धारण कंप्यूटर को चलाने वाला करता हैं परन्तु फिर भी इसमें इंटरनेट चलाने के लिए एक ब्राउज़र और डॉक्यूमेंट टाइप करने के लिए नोट सॉफ्टवेयर होने चाहिए।
कंप्यूटर की पीढ़ियाँ (Computer Generations in Hindi)
कंप्यूटर की वर्तमान पीढ़ियों के बारे में बात करे तो कंप्यूटर वर्तमान में 5 पीढ़ियों में बाँटा गया हैं।
प्रथम कंप्यूटर – यह कंप्यूटर की पहली पीढ़ी हैं। इस पीढ़ी का काल चक्र 1945-1955 तक का हैं। इस कंप्यूटर में Vacuum Tube Technology का इस्तेमाल किया जाता था। और इस कंप्यूटर को चलाने के लिए या समझने के लिए मशीन भाषा का इस्तेमाल किया जाता था।
दूसरी पीढ़ी – यह इस कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी हैं। इस पीढ़ी का काल चक्र या समय अवधि 1955 से 1964 की हैं। कंप्यूटर की इस पीढ़ी में Transistor का इस्तेमाल किया जाता था। इस प्रथम पीढ़ी और दूसरी, दोनों पीढ़ी के कंप्यूटर के इस्तेमाल के लिए बड़ी – बड़ी बिल्डिंग जैसे कमरों का इस्तेमाल किया जाता था।
तृतीय पीढ़ी – कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी का काल चक्र और समय चक्र तक़रीबन 1964-1975 तक का माना जाता हैं। कंप्यूटर की इस तीसरी पीढ़ी में IC यानी Integrated Circuit का इस्तेमाल किया जाता था। इस कंप्यूटर में इस्तेमाल होने वाली IC का विकास पहली बार Jack Kilby ने किया था। इस तकनीक में SSI यानी Small Scale Integration का इस्तेमाल किया जाता था। वही इस कंप्यूटर में एक मेमोरी के तौर पर चुम्बकीय डिस्क का इस्तेमाल किया जाता था।
चतुर्थ पीढ़ी – कंप्यूटर की इन चौथी पीढ़ी के बारे में तो आज के समय में शायद हर कोई जानता होगा। कंप्यूटर की इस चौथी पीढ़ी का समय क्रम 1975 से 1989 के मध्य का हैं। कंप्यूटर की इस तकनीक में IC का इस्तेमाल किया गया था। इसमें इस्तेमाल होने IC एक प्रकार से VLSI होती हैं जिसका पूरा नाम Very Large Scale Integration होता हैं।
पंचम पीढ़ी – यह कंप्यूटर की सबसे अंतिम पीढ़ी हैं। इस पीढ़ी का समय चक्र 1989 से मानी जाती हैं तो वर्तमान में लगातार चल रही हैं। इसमें भी IC तकनीक प्रयोग की जा रही हैं। इसके अलावा चौथी पीढ़ी में इस्तेमाल होने वाली VLSI का थोड़ा अल्ट्रा वर्शन इस्तेमाल किया जाता हैं जिसे Ultra Large Scale Integration के नाम से जाना जाता हैं।
आपने क्या सीखा ?
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